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'आधार' बना मिलन का आधार! 5 साल पहले परिवार से बिछड़ा था दिव्यांग, पढ़ें खबर

5 साल पहले अपने परिवार से बिछड़कर मानसिक विकलांग महाराष्ट्र के जलगांव से मध्यप्रदेश के जबलपुर पहुंच गया था, जिसके बाद अब आधार कार्ड के जरिए वह अपने परिवार से दोबारा मिल पाया. जानिए पूरी कहानी.

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Published : Apr 12, 2022, 6:23 PM IST

5 साल पहले परिवार से बिछड़ा था दिव्यांग
5 साल पहले परिवार से बिछड़ा था दिव्यांग

जबलपुर: आधार कार्ड केवल एक कार्ड नहीं है बल्कि एक ऐसी चीज बन चुका है, जिसके जरिए आप कहीं भी हो आपकी पहचान खत्म नहीं हो सकती. ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर से सामने आया है. जानकारी के मुताबिक जबलपुर में आधार कार्ड ने 5 साल से बिछड़े एक मासूम दिव्यांग को अपने परिजनों से मिलाने का काम किया है. 5 साल पहले अपने परिवार से बिछड़कर जबलपुर पहुंचे मानसिक दिव्यांग लालू को आधार कार्ड ने उसके परिवार से दोबारा मिलवाया है.

लालू की कहानी: बीते 5 सालों से जबलपुर के शासकीय मानसिक अविकसित बालगृह में लालू नामक बालक रह रहा था, यह बालक 10 जून 2017 को महाराष्ट्र के जलगांव से गुमशुदा हो गया था, जो ट्रेन में बैठकर जबलपुर पहुंच गया और विजय नगर क्षेत्र में भटक रहा था. 23 जून 2017 को चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्यों ने उसे बालगृह पहुंचाया, जहां उसकी देखरेख की गई. बालगृह अधीक्षक रामनरेश पटेल की मानें तो जब लालू उन्हें मिला तो उसकी उम्र करीब 13 वर्ष थी और वह काफी बीमार था. कई दिनों से उसने खाना पीना भी नहीं खाया था, जिसके कारण उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी. फिर बाद में बालगृह में उसकी देखरेख की गई, पढ़ाया लिखाया गया और दूसरे बच्चों के साथ उसे विभिन्न एक्टिविटीज सिखाई गईं.

5 साल पहले परिवार से बिछड़ा था दिव्यांग
5 साल पहले परिवार से बिछड़ा था दिव्यांग

ऐसे परिवार से मिला लालू: बच्चे का असली नाम अनस शेख है, जिसे बालगृह में लालू नाम दिया गया. अब लालू की उम्र 17 वर्ष के लगभग हो चुकी है और वह काफी कुछ सीख गया है. कुछ समय पहले जब बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई तो पोर्टल पर उसका पहले से आधार कार्ड रिकॉर्ड में दिखाई दिया. जिसके बाद यूआईडी विभाग से संपर्क करके उसकी पूरी जानकारी निकाली गई और परिजनों से संपर्क किया गया. आधार कार्ड सर्विस के जबलपुर प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी और बालगृह अधीक्षक रामनरेश ने बच्चे के परिवार की तलाश करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया और आखिरकार उनका पता एवं मोबाइल नंबर मिल गया, जिसके बाद उनसे संपर्क किया गया.

लालू से मिलकर खुश हुए परिजन: सोमवार को बच्चे के परिवार के सदस्य जबलपुर पहुंचे जहां वह लालू से मिलकर वे बेहद खुश हुए. दरअसल, लालू के माता-पिता की बहुत पहले ही मृत्यु हो चुकी है, करीब 2 साल की उम्र से वह अपने दीदी-जीजाजी के पास रह रहा था. मानसिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद शेरखान ने उसकी देखरेख की, लेकिन 10 जून 2017 को वह जलगांव के रेलवे स्टेशन से गायब हो गया था. उसके गुमशुदा हो जाने से पूरा परिवार दुखी था, लेकिन आधार कार्ड सर्विस प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी एवं बालगृह अधीक्षक के प्रयासों से लालू अब अपने घर जा सकेगा.

परिजनों ने आधार कार्ड सर्विस और बालगृह अधिकारियों का दिया धन्यवाद: फिलहाल, लालू को उनके परिजनों के सुपुर्द करने के पहले चाइल्ड वेलफेयर कमिटी में पूरा मामला रखा जाएगा और उसके परिजन होने का दावा करने वालों के साथ उसकी पुरानी पहचान वेरीफाई की जाएगी जिसके बाद परिवार के सदस्य लालू को अपने साथ घर ले जा सकेंगे. इसके साथ ही लालू के परिजनों ने न सिर्फ आधार कार्ड सर्विस के लिए सरकार का धन्यवाद दिया, बल्कि बालगृह के अधिकारियों का भी आभार जताया.

जबलपुर: आधार कार्ड केवल एक कार्ड नहीं है बल्कि एक ऐसी चीज बन चुका है, जिसके जरिए आप कहीं भी हो आपकी पहचान खत्म नहीं हो सकती. ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर से सामने आया है. जानकारी के मुताबिक जबलपुर में आधार कार्ड ने 5 साल से बिछड़े एक मासूम दिव्यांग को अपने परिजनों से मिलाने का काम किया है. 5 साल पहले अपने परिवार से बिछड़कर जबलपुर पहुंचे मानसिक दिव्यांग लालू को आधार कार्ड ने उसके परिवार से दोबारा मिलवाया है.

लालू की कहानी: बीते 5 सालों से जबलपुर के शासकीय मानसिक अविकसित बालगृह में लालू नामक बालक रह रहा था, यह बालक 10 जून 2017 को महाराष्ट्र के जलगांव से गुमशुदा हो गया था, जो ट्रेन में बैठकर जबलपुर पहुंच गया और विजय नगर क्षेत्र में भटक रहा था. 23 जून 2017 को चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्यों ने उसे बालगृह पहुंचाया, जहां उसकी देखरेख की गई. बालगृह अधीक्षक रामनरेश पटेल की मानें तो जब लालू उन्हें मिला तो उसकी उम्र करीब 13 वर्ष थी और वह काफी बीमार था. कई दिनों से उसने खाना पीना भी नहीं खाया था, जिसके कारण उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी. फिर बाद में बालगृह में उसकी देखरेख की गई, पढ़ाया लिखाया गया और दूसरे बच्चों के साथ उसे विभिन्न एक्टिविटीज सिखाई गईं.

5 साल पहले परिवार से बिछड़ा था दिव्यांग
5 साल पहले परिवार से बिछड़ा था दिव्यांग

ऐसे परिवार से मिला लालू: बच्चे का असली नाम अनस शेख है, जिसे बालगृह में लालू नाम दिया गया. अब लालू की उम्र 17 वर्ष के लगभग हो चुकी है और वह काफी कुछ सीख गया है. कुछ समय पहले जब बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई तो पोर्टल पर उसका पहले से आधार कार्ड रिकॉर्ड में दिखाई दिया. जिसके बाद यूआईडी विभाग से संपर्क करके उसकी पूरी जानकारी निकाली गई और परिजनों से संपर्क किया गया. आधार कार्ड सर्विस के जबलपुर प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी और बालगृह अधीक्षक रामनरेश ने बच्चे के परिवार की तलाश करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया और आखिरकार उनका पता एवं मोबाइल नंबर मिल गया, जिसके बाद उनसे संपर्क किया गया.

लालू से मिलकर खुश हुए परिजन: सोमवार को बच्चे के परिवार के सदस्य जबलपुर पहुंचे जहां वह लालू से मिलकर वे बेहद खुश हुए. दरअसल, लालू के माता-पिता की बहुत पहले ही मृत्यु हो चुकी है, करीब 2 साल की उम्र से वह अपने दीदी-जीजाजी के पास रह रहा था. मानसिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद शेरखान ने उसकी देखरेख की, लेकिन 10 जून 2017 को वह जलगांव के रेलवे स्टेशन से गायब हो गया था. उसके गुमशुदा हो जाने से पूरा परिवार दुखी था, लेकिन आधार कार्ड सर्विस प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी एवं बालगृह अधीक्षक के प्रयासों से लालू अब अपने घर जा सकेगा.

परिजनों ने आधार कार्ड सर्विस और बालगृह अधिकारियों का दिया धन्यवाद: फिलहाल, लालू को उनके परिजनों के सुपुर्द करने के पहले चाइल्ड वेलफेयर कमिटी में पूरा मामला रखा जाएगा और उसके परिजन होने का दावा करने वालों के साथ उसकी पुरानी पहचान वेरीफाई की जाएगी जिसके बाद परिवार के सदस्य लालू को अपने साथ घर ले जा सकेंगे. इसके साथ ही लालू के परिजनों ने न सिर्फ आधार कार्ड सर्विस के लिए सरकार का धन्यवाद दिया, बल्कि बालगृह के अधिकारियों का भी आभार जताया.

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