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अवैध रूप से बेंगलुरु में रहने वाले बांग्लादेशी नागरिक बने पुलिस के लिए समस्या

अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की वजह से बेंगलुरु पुलिस को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि ये लोग फर्जी आधार कार्ड व अन्य कागजातों को बनवा कर शहर में न केवल रहते हैं बल्कि कई आपराधिक घटनाओं में भी संलिप्त रहते हैं.

पुलिस के लिए समस्या
पुलिस के लिए समस्या
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Published : Jun 11, 2021, 12:18 AM IST

बेंगलुरु : राजधानी में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की वजह से परेशानी काफी बढ़ गई है. क्योंकि ये लोग न केवल अवैध रूप से शहर में आते हैं बल्कि आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल होते हैं, जो पुलिस के लिए एक समस्या बन गए हैं.

दस्तावेजों के मुताबिक बेंगलुरु में ज्यादा बांग्लादेशी नागरिक नहीं हैं. वहीं शहर में भारतीय विदेशी पंजीकरण केंद्र (FRRO) के अनुसार, आधिकारिक तौर पर वीजा और पासपोर्ट के आधार पर 132 बांग्लादेशी नागरिक हैं और 17 अवैध रूप से पाए गए हैं.

बांग्लादेशी नागरिकों पर आपराधिक मामले

शहर में अब तक बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ कुल 74 विभिन्न आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं एफआरआरओ ने शहर के पुलिस विभाग को बताया है कि इनके विरुद्ध कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने वाली आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने का मामला दर्ज किया गया है.

पढ़ें - येदियुरप्पा अच्छा काम कर रहे हैं, मुख्यमंत्री बने रहेंगे: भाजपा राष्ट्रीय महासचिव

हालांकि कुछ साल पहले तक यहां पर हजारों की संख्या में बांग्लादेशी नागरिक थे लेकिन अब इनकी संख्या सैकड़ों में सिमट कर रह गई है. इसकी वजह लॉकडाउन का लगना भी हो सकता है या फिर लॉकडाउन के कारण इनकी अपने देश में वापस चले जाना भी हो सकता है.

अवैध रूप से आधार कार्ड बनवाना

बांग्लादेशी नागरिकों के द्वारा आधार कार्ड को अवैध तरीके से बनाया गया है या नहीं इस पर काफी संदेह है. इस बारे में एफआरआरओ द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने शहर के डीसीपी से इसका आंकड़ा मांगा है कि यह लोग अवैध रूप से कहां पर और कितनी संख्या में रह रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ यह भी बताया गया है कि अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या अब 17 हो गई है, जबकि यह पिछले कुछ साल तक हजारों में होती थी.

पढ़ें - कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन ने भारत में बाल श्रम के जोखिम को बढ़ाया : यूनिसेफ

बताया जाता है कि ये लोग पश्चिम बंगाल, बिहार और असम के रास्ते भारत की सीमा में प्रवेश करते हैं और दलालों को पैसे देकर कुछ ही दिनों में आसानी से आधार कार्ड प्राप्त कर लेते हैं. इसी के आधार पर वे बेंगलुरु में रहते हैं. हाल ही में सामूहिक बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किए गए बांग्लादेशी-आधारित आरोपियों ने खुलासा किया था कि उन्होंने 2000 रुपये देकर आधार कार्ड बनवाया था.

लॉकडाउन का प्रभाव

दूसरी ओर, कई ऐसे बांग्लादेशी नागरिकों के भी होने की संभावना है जो लॉकडाउन होने के कारण वापस चले गए. इसी तरह राममूर्तिनगर पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म के 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. वहीं बगलागुंडे पुलिस ने दो बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया था जो 90 लाख की चोरी कर बांग्लादेश लौटने वाले थे. फिलहाल पुलिस शहर में अवैध रूप से रहने और अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों पर अपनी नजर बनाए हुए है.

बेंगलुरु : राजधानी में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की वजह से परेशानी काफी बढ़ गई है. क्योंकि ये लोग न केवल अवैध रूप से शहर में आते हैं बल्कि आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल होते हैं, जो पुलिस के लिए एक समस्या बन गए हैं.

दस्तावेजों के मुताबिक बेंगलुरु में ज्यादा बांग्लादेशी नागरिक नहीं हैं. वहीं शहर में भारतीय विदेशी पंजीकरण केंद्र (FRRO) के अनुसार, आधिकारिक तौर पर वीजा और पासपोर्ट के आधार पर 132 बांग्लादेशी नागरिक हैं और 17 अवैध रूप से पाए गए हैं.

बांग्लादेशी नागरिकों पर आपराधिक मामले

शहर में अब तक बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ कुल 74 विभिन्न आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं एफआरआरओ ने शहर के पुलिस विभाग को बताया है कि इनके विरुद्ध कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने वाली आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने का मामला दर्ज किया गया है.

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हालांकि कुछ साल पहले तक यहां पर हजारों की संख्या में बांग्लादेशी नागरिक थे लेकिन अब इनकी संख्या सैकड़ों में सिमट कर रह गई है. इसकी वजह लॉकडाउन का लगना भी हो सकता है या फिर लॉकडाउन के कारण इनकी अपने देश में वापस चले जाना भी हो सकता है.

अवैध रूप से आधार कार्ड बनवाना

बांग्लादेशी नागरिकों के द्वारा आधार कार्ड को अवैध तरीके से बनाया गया है या नहीं इस पर काफी संदेह है. इस बारे में एफआरआरओ द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने शहर के डीसीपी से इसका आंकड़ा मांगा है कि यह लोग अवैध रूप से कहां पर और कितनी संख्या में रह रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ यह भी बताया गया है कि अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या अब 17 हो गई है, जबकि यह पिछले कुछ साल तक हजारों में होती थी.

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बताया जाता है कि ये लोग पश्चिम बंगाल, बिहार और असम के रास्ते भारत की सीमा में प्रवेश करते हैं और दलालों को पैसे देकर कुछ ही दिनों में आसानी से आधार कार्ड प्राप्त कर लेते हैं. इसी के आधार पर वे बेंगलुरु में रहते हैं. हाल ही में सामूहिक बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किए गए बांग्लादेशी-आधारित आरोपियों ने खुलासा किया था कि उन्होंने 2000 रुपये देकर आधार कार्ड बनवाया था.

लॉकडाउन का प्रभाव

दूसरी ओर, कई ऐसे बांग्लादेशी नागरिकों के भी होने की संभावना है जो लॉकडाउन होने के कारण वापस चले गए. इसी तरह राममूर्तिनगर पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म के 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. वहीं बगलागुंडे पुलिस ने दो बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया था जो 90 लाख की चोरी कर बांग्लादेश लौटने वाले थे. फिलहाल पुलिस शहर में अवैध रूप से रहने और अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों पर अपनी नजर बनाए हुए है.

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