मुंबई: इस महीने की शुरुआत में फोन पर वंदे मातरम (Vande Matram) कहने के सरकारी आदेश को अब राजनीतिक दलों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. 'एक सच्चा मुसलमान कभी भी 'वंदे मातरम' नहीं कहेगा, क्योंकि इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी की पूजा नहीं की जा सकती है.' यह बयान समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने दिया है. उनका कहना है कि वह कभी भी वंदे मातरम नहीं बोलेंगे और उन्होंने इस आदेश का कड़ा विरोध किया है.
क्या कहा अबू आजमी ने?
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार (Shinde Sarkar) द्वारा वंदे मातरम बोलने को लेकर जीआर जारी किए जाने के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. एक तरफ सत्ताधारी पार्टी इसे बड़ी पहल बता रही है. वहीं दूसरी ओर इसे लेकर विरोधी कई तरह के सवाल भी उठा रहे हैं. मुंबई में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी ने कहा कि 'मैं कभी वंदे मातरम नहीं कहूंगा. हम सिर्फ अल्लाह की इबादत करते हैं और उसी की इबादत करेंगे.
साथ ही, जब भी मैं बालासाहेब ठाकरे से मिला, मैंने उनके मुंह से जय महाराष्ट्र सुना. दिलचस्प बात यह है कि बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) के सिपाही एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) भी जय महाराष्ट्र कहते थे. इस संबंध में खुद महाराष्ट्र सरकार ने जीआर जारी किया था. आखिर जय महाराष्ट्र की जगह शिंदे सरकार में वंदे मातरम क्यों कहा जा रहा है? यह समझ से परे है कि क्या वे अब भाजपा और आरएसएस की भाषा बोल रहे हैं या एकनाथ शिंदे ने यह आदेशन उनके दबाव के कारण दिया है.'
सरकार तानाशाही रवैया नहीं अपना सकती
वंदे मातरम भाषण को लेकर जैसे ही राजनीतिक माहौल गरमा गया, राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने शिंदे-फडणवीस सरकार को घेर लिया और कहा कि सरकार इस तरह के कदम के लिए मजबूर नहीं कर सकती. लोगों को अपनी मर्जी से बोलने की छूट दी जानी चाहिए. सरकार तानाशाही रवैया नहीं अपना सकती. उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के फोन कॉल का जवाब देते समय वंदे मातरम कहना पूरी तरह गलत है.
जनता का ध्यान भटकाने का एक तरीका?
वंदे मातरम के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के नेता चरण सिंह सपरा ने सरकार पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि 'हम वंदे मातरम के बिल्कुल खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मेरा शिंदे सरकार से एक सवाल है कि जय महाराष्ट्र कहने वाले आदेश का क्या होगा. आखिर जय महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का क्या कसूर है? क्या शिंदे सेना आरएसएस की सलाह पर काम कर रही है? या राज्य की जनता का ध्यान अहम मुद्दों से भटकाने की बड़ी साजिश है.
आज महंगाई और बेरोजगारी की समस्या लोगों के सामने है. क्या वंदे मातरम के जाप से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है? अगर ऐसा है तो मैं हजार बार वंदे मातरम बोलने को तैयार हूं. मुझे लगता है कि यह जनता का ध्यान भटकाने का एक तरीका है.