लखनऊ : 'राजधानी के त्रिवेणीनगर में रहने वाली 90 वर्षीय बुजुर्ग के चार बेटे हैं, फिर भी वह छह कमरों के घर में अकेले (Crime News) रहती थी. उसने नवरात्रि के नौ दिनों का व्रत अपने बच्चों की लंबी उम्र और उनकी सुरक्षा के लिए रखा था, लेकिन उनके बेटे ही अपनी मां की सुरक्षा नहीं कर सके.' यह बातें वो पड़ोसी कह रहे हैं जिनके बगल के घर में रहने वाले 90 वर्षीय स्नेहलता की रविवार को गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. पुलिस भले ही बुजुर्ग की निर्मम हत्या करने वाले का सुराग ढूंढ रही है, लेकिन सवाल उन हालातों पर उठ रहे हैं जिन्होंने एक 90 वर्षीय महिला को अकेले रहने को विवश कर दिया.
एक बेटा सात हजार तो एक सात किमी दूरी पर रहता था : त्रिवेणी नगर के योगी नगर में रहने वाली 90 वर्षीय स्नेहलता की रविवार को गला रेत कर हत्या कर दी गई. स्नेहलता बीते कई वर्षों से अपने घर में अकेले रह रही थी. उनके चार बेटे और एक बेटी थी. बड़ा बेटा रमेश चंद लंदन में अपने परिवार के साथ रहता है, दूसरा बेटा आलोक सीतापुर में और सबसे छोटा बेटा महेश चंद्र शर्मा सिधौली में अपनी जिंदगी जी रहे थे. बुजुर्ग का तीसरे नम्बर का बेटा मुकेश चंद्र अपनी मां के घर से महज कुछ किलो मीटर दूर आलीशान घर में मां को अकेले छोड़ कर रह रहा था. बुजुर्ग स्नेहलता के पड़ोस में रहने वाली महिला बताती हैं कि मुकेश चंद्र हफ्ते में एक बार आता था अपनी मां के साथ समय बिताता था, लेकिन अपनी मां के पास क्यों नहीं रहता था ये समझ से परे है.
नौ दिन का रखा था व्रत : त्रिवेणीनगर के योगी नगर मोहल्ले में रहने वाली मृतका बुजुर्ग के विषय में बात करते हुए एक अन्य महिला ने बताया कि 'अम्मा नौ दिन का नवरात्रि व्रत थीं. उन्होंने बताया था कि, इस उम्र में व्रत रहना बहुत कठिन है, लेकिन उनके सभी बच्चे खुश रहें, सुरक्षित रहें और उनकी उम्र बढ़े इसके लिए वो व्रत रहती हैं.' पड़ोसी महिला कहती हैं कि 'जिन बच्चों के लिए अम्मा व्रत रह रही थीं, वही बच्चे उनसे इतने दूर थे कि उनकी ही सुरक्षा नहीं कर सके. उन्होंने बताया हालांकि उनका पोता एक अक्टूबर को ही यहां रहने आया था. इससे पहले भी वह दस बारह दिनों के लिए आया करता था, लेकिन अधिकांश समय अम्मा अकेले ही रहीं.'
मृतका स्नेहता के बेटों ने बताया कि, 'मां यह घर छोड़ कर जाना ही नहीं चाहती थीं. पिता के निधन के बाद वो हमेशा कहती थीं कि यहां पिता से जुड़ी यादें हैं जिन्हें छोड़कर वो नहीं जाना चाहती हैं, हालांकि हम लोग उनसे मिलने जरूर आया करते थे, हालांकि बेटे मुकेश चंद्र इस बात का जवाब नहीं दे सके कि वो ही क्यों अपनी मां के साथ इसी घर में नहीं रहते थे. उन्होंने बस इतना कहा कि सुबह ही तो मां को फल देकर निकला था.'