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मानवता पर हमला था 9/11, ऐसी त्रासदियों का समाधान मानवीय मूल्यों में मिल सकता है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शनिवार को अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले को मानवता पर प्रहार बताते हुए कहा कि इस तरह की त्रासदियों का स्थायी समाधान मानवीय मूल्यों में मिल सकता है. उन्होंने कहा कि इसी तारीख ने पूरे विश्व को काफी कुछ सिखाया भी. पढ़िए पूरी खबर..

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Published : Sep 11, 2021, 7:09 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अहमदाबाद : अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले को मानवता पर प्रहार बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शनिवार को कहा कि ऐसी त्रासदियों का स्थायी समाधान मानवीय मूल्यों में मिल सकता है.

मोदी ने कहा कि 1893 में आज के ही दिन स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व धर्म संसद में अपने भाषण में दुनिया को भारत के मानवीय मूल्यों से परिचित कराया था. प्रधानमंत्री ने न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टॉवर पर 9/11 के हमलों की 20वीं बरसी पर और अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण समेत अन्य घटनाक्रम के बीच यह बात कही.

प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद में सरदारधाम भवन का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोकार्पण किया जहां पर रोजगार के आकांक्षियों और छात्रों को आवास एवं अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. उन्होंने सरदार धाम - द्वितीय चरण के तहत कन्या छात्रावास का भूमि पूजन भी किया.

उन्होंने कहा, 'आज 11 सितंबर यानी 9/11 है. दुनिया के इतिहास की एक ऐसी तारीख जिसे मानवता पर प्रहार के लिए जाना जाता है. लेकिन इसी तारीख ने पूरे विश्व को काफी कुछ सिखाया भी. एक सदी पहले 11 सितंबर 1893 का ही दिन था जब शिकागो में विश्व धर्म संसद का आयोजन हुआ था.'

ये भी पढ़ें - कोविड से प्रभावित होने की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक मजबूती से उबरी : मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा, 'आज के ही दिन स्वामी विवेकानंद ने उस वैश्विक मंच पर खड़े होकर दुनिया को भारत के मानवीय मूल्यों से परिचित कराया था. आज दुनिया ये महसूस कर रही है कि 9/11 जैसी त्रासदियों का स्थायी समाधान, मानवता के इन्हीं मूल्यों से ही होगा.' उन्होंने कहा कि इन आतंकवादी हमलों से मिली सीख को हमें याद रखना है तो हमें पूरे विश्वास के साथ मानवीय मूल्यों के लिए प्रयास करते रहना होगा.

मोदी ने तमिल कवि सुब्रमण्य भारती की पुण्यतिथि पर तमिल अध्ययन के लिए पीठ स्थापित करने की घोषणा की. उन्होंने कहा, 'आज इस अवसर पर मैं एक महत्वपूर्ण घोषणा भी कर रहा हूं. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में सुब्रमण्य भारती जी के नाम से एक पीठ स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. तमिल अध्ययन पर 'सुब्रमण्य भारती चेयर' बीएचयू के कला संकाय में स्थापित होगी.' उन्होंने कहा, 'आज भारत के महान विद्वान, दार्शनिक और स्वतंत्रता सेनानी भारती की सौंवी पुण्यतिथि है. सरदार (पटेल) साहब ने 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की जो कल्पना की थी वही दर्शन महाकवि भारती की तमिल रचनाओं में पूर्ण देवत्व के साथ दैदीप्यमान हो रहा है.'

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पीठ छात्रों और शोधार्थियों को महान भारत बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी जिसका भारती ने सपना देखा था. मोदी ने कहा, 'भारती ने देश की एकता पर भी विशेष जोर दिया था और उनके आदर्श भारतीय दर्शन का अभिन्न हिस्सा हैं.' उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की जिस प्रेरणा और ऊर्जा से अंग्रेज झुकने को मजबूर हुए वह अब दुनिया की सबसे बड़ी 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' के रूप में हमारे सामने खड़ी है.

मोदी ने कहा, 'कौन भूल सकता है कि जब गुजरात ने 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' का विचार रखा था तो पूरा देश एक प्रयास से जुड़ गया. देश के कोने-कोने से किसानों ने लोहा भेजा. यह प्रतिमा प्रेरणास्रोत है, देश की एकता, समन्वित प्रयासों का प्रतीक है.' उन्होंने यह भी कहा कि 'सहकार से सफलता' के विचार से देश लाभान्वित हो रहा है जिसे गुजरात ने देश के समक्ष रखा था.

ये भी पढ़ें - तमिल कवि सुब्रमण्यम की याद में 'महाकवि दिवस', BHU में स्थापित होगी चेयर

मोदी ने कहा, 'मुझे खुशी है कि सरदार धाम ट्रस्ट ने अपने सामूहिक प्रयासों से अपने लिए 5 से 10 साल का लक्ष्य रखा है. देश आजादी के सौ वर्ष होने के सपने को पूरा करने की ओर बढ़ रहा है. एक अलग सहकारिता मंत्रालय भी गठित किया गया है और यह सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं कि किसानों एवं युवाओं को सहकारिता की ताकत का लाभ मिले.' प्रधानमंत्री ने कहा, 'समाज के जो वर्ग पिछड़ गये हैं, उन्हें आगे लाने के सतत प्रयास जारी है. आज एक तरफ दलितों तथा पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए काम हो रहा है, दूसरी तरफ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. इन नीतियों के परिणामस्वरूप समाज में नया विश्वास पैदा हो रहा है.'

उन्होंने यह भी कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल विकास पर ध्यान दिया गया है. उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्रों को वैश्विक वास्तविकताओं के लिए तैयार करेगी कि भविष्य में बाजार में कौन से हुनर की मांग होगी और हमारे युवाओं को भावी दुनिया का नेतृत्व करने के लिए क्या जरूरत होगी.' मोदी ने कहा कि देश जब 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है तो 'सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास' के साथ 'सबका प्रयास' का मंत्र दिया गया है.

प्रधानमंत्री ने पाटीदार समुदाय के छात्रों के लिए सरदारधाम भवन के निर्माण के लिए समुदाय की तारीफ की और कहा कि उसके सदस्य जहां भी जाते हैं, व्यापार को नयी पहचान देने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कहा, 'आपके हुनर को न केवल गुजरात में बल्कि देश में और पूरी दुनिया में पहचान मिल रही है. पाटीदार समुदाय की एक और बड़ी खासियत है कि आप जहां भी रहें, भारत का हित आपके लिए सर्वोपरि है.'

मोदी ने कहा, 'चाहे प्राचीन काल के दधीचि या कर्ण जैसी हस्तियां हों या मध्यकाल के महाराजा हर्षवर्धन जैसे महापुरुष हों, सेवा के लिए सबकुछ त्यागने की इस परंपरा से भारत हमेशा प्रेरित रहा है.' अहमदाबाद में 11,672 वर्ग फुट क्षेत्र में बने सरदारधाम भवन का पहला चरण लगभग 200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. विश्व पाटीदार समाज ने भवन बनाया है. प्रधानमंत्री ने आज जिस छात्रावास का भूमिपूजन किया, उसमें करीब 2,500 छात्राएं रह सकेंगी. परियोजना की लागत 200 करोड़ रुपये हैं.

(पीटीआई-भाषा)

अहमदाबाद : अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले को मानवता पर प्रहार बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शनिवार को कहा कि ऐसी त्रासदियों का स्थायी समाधान मानवीय मूल्यों में मिल सकता है.

मोदी ने कहा कि 1893 में आज के ही दिन स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व धर्म संसद में अपने भाषण में दुनिया को भारत के मानवीय मूल्यों से परिचित कराया था. प्रधानमंत्री ने न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टॉवर पर 9/11 के हमलों की 20वीं बरसी पर और अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण समेत अन्य घटनाक्रम के बीच यह बात कही.

प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद में सरदारधाम भवन का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोकार्पण किया जहां पर रोजगार के आकांक्षियों और छात्रों को आवास एवं अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. उन्होंने सरदार धाम - द्वितीय चरण के तहत कन्या छात्रावास का भूमि पूजन भी किया.

उन्होंने कहा, 'आज 11 सितंबर यानी 9/11 है. दुनिया के इतिहास की एक ऐसी तारीख जिसे मानवता पर प्रहार के लिए जाना जाता है. लेकिन इसी तारीख ने पूरे विश्व को काफी कुछ सिखाया भी. एक सदी पहले 11 सितंबर 1893 का ही दिन था जब शिकागो में विश्व धर्म संसद का आयोजन हुआ था.'

ये भी पढ़ें - कोविड से प्रभावित होने की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक मजबूती से उबरी : मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा, 'आज के ही दिन स्वामी विवेकानंद ने उस वैश्विक मंच पर खड़े होकर दुनिया को भारत के मानवीय मूल्यों से परिचित कराया था. आज दुनिया ये महसूस कर रही है कि 9/11 जैसी त्रासदियों का स्थायी समाधान, मानवता के इन्हीं मूल्यों से ही होगा.' उन्होंने कहा कि इन आतंकवादी हमलों से मिली सीख को हमें याद रखना है तो हमें पूरे विश्वास के साथ मानवीय मूल्यों के लिए प्रयास करते रहना होगा.

मोदी ने तमिल कवि सुब्रमण्य भारती की पुण्यतिथि पर तमिल अध्ययन के लिए पीठ स्थापित करने की घोषणा की. उन्होंने कहा, 'आज इस अवसर पर मैं एक महत्वपूर्ण घोषणा भी कर रहा हूं. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में सुब्रमण्य भारती जी के नाम से एक पीठ स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. तमिल अध्ययन पर 'सुब्रमण्य भारती चेयर' बीएचयू के कला संकाय में स्थापित होगी.' उन्होंने कहा, 'आज भारत के महान विद्वान, दार्शनिक और स्वतंत्रता सेनानी भारती की सौंवी पुण्यतिथि है. सरदार (पटेल) साहब ने 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की जो कल्पना की थी वही दर्शन महाकवि भारती की तमिल रचनाओं में पूर्ण देवत्व के साथ दैदीप्यमान हो रहा है.'

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पीठ छात्रों और शोधार्थियों को महान भारत बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी जिसका भारती ने सपना देखा था. मोदी ने कहा, 'भारती ने देश की एकता पर भी विशेष जोर दिया था और उनके आदर्श भारतीय दर्शन का अभिन्न हिस्सा हैं.' उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की जिस प्रेरणा और ऊर्जा से अंग्रेज झुकने को मजबूर हुए वह अब दुनिया की सबसे बड़ी 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' के रूप में हमारे सामने खड़ी है.

मोदी ने कहा, 'कौन भूल सकता है कि जब गुजरात ने 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' का विचार रखा था तो पूरा देश एक प्रयास से जुड़ गया. देश के कोने-कोने से किसानों ने लोहा भेजा. यह प्रतिमा प्रेरणास्रोत है, देश की एकता, समन्वित प्रयासों का प्रतीक है.' उन्होंने यह भी कहा कि 'सहकार से सफलता' के विचार से देश लाभान्वित हो रहा है जिसे गुजरात ने देश के समक्ष रखा था.

ये भी पढ़ें - तमिल कवि सुब्रमण्यम की याद में 'महाकवि दिवस', BHU में स्थापित होगी चेयर

मोदी ने कहा, 'मुझे खुशी है कि सरदार धाम ट्रस्ट ने अपने सामूहिक प्रयासों से अपने लिए 5 से 10 साल का लक्ष्य रखा है. देश आजादी के सौ वर्ष होने के सपने को पूरा करने की ओर बढ़ रहा है. एक अलग सहकारिता मंत्रालय भी गठित किया गया है और यह सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं कि किसानों एवं युवाओं को सहकारिता की ताकत का लाभ मिले.' प्रधानमंत्री ने कहा, 'समाज के जो वर्ग पिछड़ गये हैं, उन्हें आगे लाने के सतत प्रयास जारी है. आज एक तरफ दलितों तथा पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए काम हो रहा है, दूसरी तरफ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. इन नीतियों के परिणामस्वरूप समाज में नया विश्वास पैदा हो रहा है.'

उन्होंने यह भी कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल विकास पर ध्यान दिया गया है. उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्रों को वैश्विक वास्तविकताओं के लिए तैयार करेगी कि भविष्य में बाजार में कौन से हुनर की मांग होगी और हमारे युवाओं को भावी दुनिया का नेतृत्व करने के लिए क्या जरूरत होगी.' मोदी ने कहा कि देश जब 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है तो 'सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास' के साथ 'सबका प्रयास' का मंत्र दिया गया है.

प्रधानमंत्री ने पाटीदार समुदाय के छात्रों के लिए सरदारधाम भवन के निर्माण के लिए समुदाय की तारीफ की और कहा कि उसके सदस्य जहां भी जाते हैं, व्यापार को नयी पहचान देने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कहा, 'आपके हुनर को न केवल गुजरात में बल्कि देश में और पूरी दुनिया में पहचान मिल रही है. पाटीदार समुदाय की एक और बड़ी खासियत है कि आप जहां भी रहें, भारत का हित आपके लिए सर्वोपरि है.'

मोदी ने कहा, 'चाहे प्राचीन काल के दधीचि या कर्ण जैसी हस्तियां हों या मध्यकाल के महाराजा हर्षवर्धन जैसे महापुरुष हों, सेवा के लिए सबकुछ त्यागने की इस परंपरा से भारत हमेशा प्रेरित रहा है.' अहमदाबाद में 11,672 वर्ग फुट क्षेत्र में बने सरदारधाम भवन का पहला चरण लगभग 200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. विश्व पाटीदार समाज ने भवन बनाया है. प्रधानमंत्री ने आज जिस छात्रावास का भूमिपूजन किया, उसमें करीब 2,500 छात्राएं रह सकेंगी. परियोजना की लागत 200 करोड़ रुपये हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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