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IIT कानपुर 63 साल का: देश-दुनिया को पोर्टेबल वेंटीलेटर देकर कोरोना को हराया, बैलगाड़ी पर आया पहला कंप्यूटर - आईआईटी कानपुर में पहला कंप्यूटर

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर का आज 64वां स्थापना दिवस है. आईआईटी के छात्रों ने इस दौरान देश को कई उपलब्धियां दी हैं. नई शिक्षा नीति, भू-परीक्षक उपकरण, पोर्टेबल वेंटिलेटर बेहतरीन सुविधाओं वाले ड्रोन समेत नैनो सैटेलाइट सिस्टम भी दिए हैं. आइये जानते हैं इस विशेष रिपोर्ट में...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 2, 2023, 12:06 PM IST


कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर का आज 64वां स्थापना दिवस है. आईआईटी कानपुर के इस 6 दशक के सफर में संस्थान की उपलब्धियों पर अगर सबसे पहले बात करें, तो शायद कैंपस की उपलब्धियों वाली झोली इतनी भारी है कि आप हैरान रह जाएंगे. हालांकि, इनमें कई उपलब्धियां वो हैं, जिनके चलते देश में फैसले बदल दिए गए. आज जो देश में नई शिक्षा पद्धति क्रियान्वित की गई है. उसमें ग्रेडिंग सिस्टम के पैटर्न को आईआईटी कानपुर से ही लिया गया है.

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कानपुर आईआईटी का पूरा कैंपस.

पीएम मोदी ने शुरू किया ब्लॉकचेन तकनीक
इसी तरह पूरे देश को सेमेस्टर सिस्टम का तोहफा भी आईआईटी कानपुर ने ही दिया. संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बताया कि, 1959 में जब आईआईटी कानपुर की स्थापना हुई थी. उसी साल वार्षिक परीक्षाओं को 2 हिस्सों में कराया गया था. जिसे बाद में सेमेस्टर सिस्टम का नाम दिया गया. संस्थान के 54वें दीक्षांत समारोह में शामिल होकर पीएम मोदी ने आईआईटी की ब्लॉकचेन तकनीक को शुरू किया था. जिसकी मदद से छात्रों की डिग्रियां और अन्य डॉक्यूमेंट्स हमेशा के लिए सुरक्षित हो गए. इस तकनीक को कई अन्य नामचीन संस्थानों ने भी अब अपना लिया है.

आईआईटी कानपुर.
आईआईटी कानपुर.
आईआईटी की स्थापना का रोचक इतिहासआईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसरों ने बताया कि, साल 1959 में एचबीटीयू (हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) कैंपस ही आईआईटी कैंपस हुआ करता था. यह बारा सिरोही, रतनपुर समेत अन्य गांवों को मिलाकर कुल 1055 एकड़ जमीन पर फैला था. सबसे पहले यहां मैकेनिकल विभाग बनाया गया. जिसमें 23 छात्र हुआ करते थे. वहीं, आईआईटी कानपुर के पहले निदेशक प्रो. पीके केलकर थे. जिनका अब निधन हो चुका है. कानपुर आईआईटी पहले बैच में 1969 में 66 छात्रों ने बीटेक, एक छात्र ने एमटेक, 6 छात्रों ने पीएचडी और 12 छात्रों ने अन्य डिग्रियां प्राप्त की थीं. जबकि 6 दशक बीतने के बाद मौजूदा समय में 9 हजार छात्र यहां पढ़ाई कर रहे हैं. इसके अलावा यहां छात्रों के साथ 550 फैकल्टी मेंबर भी कार्यरत हैं.
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आईआईटी कानपुर में पहला कंप्यूटर आईबीएम-1620.

मिट्टी की सेहत बताने वाला भू-परीक्षक
आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो.जयंत सिंह और उनकी टीम ने एक ऐसा भू-परीक्षक उपकरण बनाया है. जो केवल 90 सेकेंड में मिट्टी का स्वास्थ्य बता देता है. एक साल में इस भू-परीक्षक उपकरण से एक मिलियन किसानों को मदद मिली है. यह मिट्टी के 6 प्रमुख तत्वों की जांच कर परिणाम देने वाला देश का पहला उपकरण है.

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कानपुर आईआईटी का निर्माणाधीन भवन.
कोरोना काल में छा गया पोर्टेबल वेंटिलेटरदेश और दुनिया में जब कोरोना महामारी की वजह से महामारी की स्थिति बनी हुई थी. उस समय आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय और उनकी टीम ने पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाया था. इस वेंटिलेटर को कई देशों में खरीदा भी गया. इसे एक बेड से दूसरे बेड में शिफ्ट किया जा सकता था. इसे देश का सबसे सस्ता वेंटिलेटर भी माना गया. इसके अलावा इसी कालखंड में पीएम मोदी ने अयोध्या स्थित मंदिर में पूजा के दौरान जो स्वासा मास्क पहना था. वह भी इसी आईआईटी कानपुर द्वारा बनाया गया था.
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कानपुर आईआईटी का कैंपस.
सेना को मिला विभ्रमवैसे तो आईआईटी कानपुर ने 20 से अधिक बेहतरीन सुविधाओं वाले ड्रोन भी बनाए है. लेकिन सेना को जो ड्रोन विभ्रम मिला है. उसकी रफ्तार 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की थी. वह ड्रोन 2 घंटे तक लगातार उड़ सकता है. कोरोना काल के दौरान इस ड्रोन की मदद से तेलंगाना और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने का काम भी किया गया था.
पहला
पहला कंप्यूटर आईबीएम-1620.
देश का पहला नैनो सैटेलाइट भी आईआईटीआईआईटी कानपुर के प्रो.नलिनाक्ष व्यास के दिशा-निर्देशन में छात्रों ने देश के पहले नैनो सैटेलाइट जुगनू को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में 12 अक्टूबर 2011 को लांच किया था. इसमें सबसे रोचक बात यह है कि इससे पहले किसी भी संस्थान ने यह सफलता हासिल नहीं की थी. जुगनू 8 सेंटीमीटर चौड़ा और 30 सेंटीमीटर लंबा सूक्ष्म सैटेलाइट है. इसकी मदद से बाढ़, सूखा, आपदा प्रबंधन समेत अन्य सूचनाएं एकत्र की जा सकती हैं.
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कानपुर आईआईटी का कैंपस.
देश को मिला पहला आईजीएमएस पोर्टलउत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लोगों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए आईजीआरएस पोर्टल संचालित कर रही है. जिसे देश को पहला आईजीएमएस पोर्टल का नाम मिला है. इसे आईआईटी कानपुर में ही बनाया गया था. कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे लांच भी किया है. इस पोर्टल को केंद्र के हर विभाग में उपयोग करने का आदेश जारी हुआ है. जिससे संबंधित विभागों में आने वाली शिकायतों का जल्द निस्तारण किया जा सके.
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर.
आईआईटी में होगा मेडिकल कालेजदेश के 20 से अधिक आईआईटी में शामिल आईआईटी कानपुर देश की पहली ऐसी आईआईटी है. जहां मेडिकल कालेज भी होगा. संस्थान में बने रहे गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड इंजीनियरिंग के तहत यहां सबसे पहले आर्टिफिशियल हार्ट (हृदयंत्र) को तैयार किया जा रहा है. इसका सफल परीक्षण पशुओं पर हो चुका है. इसकी कीमत विदेशों से बहुत कम होगी.
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कानपुर आईआईटी में बैलगाड़ी से कैंपस पहुंचा पहला कंप्यूटर.
बैलगाड़ी से कैंपस पहुंचा पहला कंप्यूटरआईआईटी कानपुर में पहला कंप्यूटर आईबीएम-1620 बैलगाड़ी से कैंपस पहुंचा था. आईआईटी का यह किस्सा सबसे अधिक रोचक है. दरअसल, आईआईटी कानपुर के पहले निदेशक पीके केलकर व टीसीएस के वरिष्ठ अधिकारी ईसी कोहली ने संस्थान में कंप्यूटर मंगवाने में अहम भूमिका निभाई. इसे सरकारी संस्था एजूकेशनल डेवलपमेंट सेंटर की मदद से वाशिंगटन डीसी से कानपुर भिजवाया गया था. जब चकेरी के एयरफोर्स हवाई अड्डा पर यह कंप्यूटर पहुंचा तो यह बहुत भारी और आकार में बड़ा था. इसे आईआईटी तक पहुंचाने के लिए सैकड़ों मजदूरों की मदद ली गई थी. हालांकि, देश के किसी भी संस्थान में लगने वाला यह पहला कंप्यूटर था. इसी तरह आईआईटी कानपुर में 1965 में पहला क्लोज टीवी सर्किट टीवी विकसित किया गया था. इस टीवी से छात्रावास, गेस्ट हाउस और मनोरंजन केंद्र में कार्यक्रमों का प्रसारण होता था.

यह भी पढ़ें- अब कानपुर IIT में शोध के साथ होगी मेडिकल की पढ़ाई, बनाया जाएगा 'आर्टिफिशियल हार्ट'

यह भी पढ़ें- स्ट्रोक वाले मरीजों के लिए मददगार बनेंगे आईआईटी कानपुर के खास रोबोट, कराएंगे एक्सरसाइज


कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर का आज 64वां स्थापना दिवस है. आईआईटी कानपुर के इस 6 दशक के सफर में संस्थान की उपलब्धियों पर अगर सबसे पहले बात करें, तो शायद कैंपस की उपलब्धियों वाली झोली इतनी भारी है कि आप हैरान रह जाएंगे. हालांकि, इनमें कई उपलब्धियां वो हैं, जिनके चलते देश में फैसले बदल दिए गए. आज जो देश में नई शिक्षा पद्धति क्रियान्वित की गई है. उसमें ग्रेडिंग सिस्टम के पैटर्न को आईआईटी कानपुर से ही लिया गया है.

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कानपुर आईआईटी का पूरा कैंपस.

पीएम मोदी ने शुरू किया ब्लॉकचेन तकनीक
इसी तरह पूरे देश को सेमेस्टर सिस्टम का तोहफा भी आईआईटी कानपुर ने ही दिया. संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बताया कि, 1959 में जब आईआईटी कानपुर की स्थापना हुई थी. उसी साल वार्षिक परीक्षाओं को 2 हिस्सों में कराया गया था. जिसे बाद में सेमेस्टर सिस्टम का नाम दिया गया. संस्थान के 54वें दीक्षांत समारोह में शामिल होकर पीएम मोदी ने आईआईटी की ब्लॉकचेन तकनीक को शुरू किया था. जिसकी मदद से छात्रों की डिग्रियां और अन्य डॉक्यूमेंट्स हमेशा के लिए सुरक्षित हो गए. इस तकनीक को कई अन्य नामचीन संस्थानों ने भी अब अपना लिया है.

आईआईटी कानपुर.
आईआईटी कानपुर.
आईआईटी की स्थापना का रोचक इतिहासआईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसरों ने बताया कि, साल 1959 में एचबीटीयू (हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) कैंपस ही आईआईटी कैंपस हुआ करता था. यह बारा सिरोही, रतनपुर समेत अन्य गांवों को मिलाकर कुल 1055 एकड़ जमीन पर फैला था. सबसे पहले यहां मैकेनिकल विभाग बनाया गया. जिसमें 23 छात्र हुआ करते थे. वहीं, आईआईटी कानपुर के पहले निदेशक प्रो. पीके केलकर थे. जिनका अब निधन हो चुका है. कानपुर आईआईटी पहले बैच में 1969 में 66 छात्रों ने बीटेक, एक छात्र ने एमटेक, 6 छात्रों ने पीएचडी और 12 छात्रों ने अन्य डिग्रियां प्राप्त की थीं. जबकि 6 दशक बीतने के बाद मौजूदा समय में 9 हजार छात्र यहां पढ़ाई कर रहे हैं. इसके अलावा यहां छात्रों के साथ 550 फैकल्टी मेंबर भी कार्यरत हैं.
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आईआईटी कानपुर में पहला कंप्यूटर आईबीएम-1620.

मिट्टी की सेहत बताने वाला भू-परीक्षक
आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो.जयंत सिंह और उनकी टीम ने एक ऐसा भू-परीक्षक उपकरण बनाया है. जो केवल 90 सेकेंड में मिट्टी का स्वास्थ्य बता देता है. एक साल में इस भू-परीक्षक उपकरण से एक मिलियन किसानों को मदद मिली है. यह मिट्टी के 6 प्रमुख तत्वों की जांच कर परिणाम देने वाला देश का पहला उपकरण है.

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कानपुर आईआईटी का निर्माणाधीन भवन.
कोरोना काल में छा गया पोर्टेबल वेंटिलेटरदेश और दुनिया में जब कोरोना महामारी की वजह से महामारी की स्थिति बनी हुई थी. उस समय आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय और उनकी टीम ने पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाया था. इस वेंटिलेटर को कई देशों में खरीदा भी गया. इसे एक बेड से दूसरे बेड में शिफ्ट किया जा सकता था. इसे देश का सबसे सस्ता वेंटिलेटर भी माना गया. इसके अलावा इसी कालखंड में पीएम मोदी ने अयोध्या स्थित मंदिर में पूजा के दौरान जो स्वासा मास्क पहना था. वह भी इसी आईआईटी कानपुर द्वारा बनाया गया था.
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कानपुर आईआईटी का कैंपस.
सेना को मिला विभ्रमवैसे तो आईआईटी कानपुर ने 20 से अधिक बेहतरीन सुविधाओं वाले ड्रोन भी बनाए है. लेकिन सेना को जो ड्रोन विभ्रम मिला है. उसकी रफ्तार 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की थी. वह ड्रोन 2 घंटे तक लगातार उड़ सकता है. कोरोना काल के दौरान इस ड्रोन की मदद से तेलंगाना और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने का काम भी किया गया था.
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पहला कंप्यूटर आईबीएम-1620.
देश का पहला नैनो सैटेलाइट भी आईआईटीआईआईटी कानपुर के प्रो.नलिनाक्ष व्यास के दिशा-निर्देशन में छात्रों ने देश के पहले नैनो सैटेलाइट जुगनू को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में 12 अक्टूबर 2011 को लांच किया था. इसमें सबसे रोचक बात यह है कि इससे पहले किसी भी संस्थान ने यह सफलता हासिल नहीं की थी. जुगनू 8 सेंटीमीटर चौड़ा और 30 सेंटीमीटर लंबा सूक्ष्म सैटेलाइट है. इसकी मदद से बाढ़, सूखा, आपदा प्रबंधन समेत अन्य सूचनाएं एकत्र की जा सकती हैं.
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कानपुर आईआईटी का कैंपस.
देश को मिला पहला आईजीएमएस पोर्टलउत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लोगों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए आईजीआरएस पोर्टल संचालित कर रही है. जिसे देश को पहला आईजीएमएस पोर्टल का नाम मिला है. इसे आईआईटी कानपुर में ही बनाया गया था. कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे लांच भी किया है. इस पोर्टल को केंद्र के हर विभाग में उपयोग करने का आदेश जारी हुआ है. जिससे संबंधित विभागों में आने वाली शिकायतों का जल्द निस्तारण किया जा सके.
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर.
आईआईटी में होगा मेडिकल कालेजदेश के 20 से अधिक आईआईटी में शामिल आईआईटी कानपुर देश की पहली ऐसी आईआईटी है. जहां मेडिकल कालेज भी होगा. संस्थान में बने रहे गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड इंजीनियरिंग के तहत यहां सबसे पहले आर्टिफिशियल हार्ट (हृदयंत्र) को तैयार किया जा रहा है. इसका सफल परीक्षण पशुओं पर हो चुका है. इसकी कीमत विदेशों से बहुत कम होगी.
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कानपुर आईआईटी में बैलगाड़ी से कैंपस पहुंचा पहला कंप्यूटर.
बैलगाड़ी से कैंपस पहुंचा पहला कंप्यूटरआईआईटी कानपुर में पहला कंप्यूटर आईबीएम-1620 बैलगाड़ी से कैंपस पहुंचा था. आईआईटी का यह किस्सा सबसे अधिक रोचक है. दरअसल, आईआईटी कानपुर के पहले निदेशक पीके केलकर व टीसीएस के वरिष्ठ अधिकारी ईसी कोहली ने संस्थान में कंप्यूटर मंगवाने में अहम भूमिका निभाई. इसे सरकारी संस्था एजूकेशनल डेवलपमेंट सेंटर की मदद से वाशिंगटन डीसी से कानपुर भिजवाया गया था. जब चकेरी के एयरफोर्स हवाई अड्डा पर यह कंप्यूटर पहुंचा तो यह बहुत भारी और आकार में बड़ा था. इसे आईआईटी तक पहुंचाने के लिए सैकड़ों मजदूरों की मदद ली गई थी. हालांकि, देश के किसी भी संस्थान में लगने वाला यह पहला कंप्यूटर था. इसी तरह आईआईटी कानपुर में 1965 में पहला क्लोज टीवी सर्किट टीवी विकसित किया गया था. इस टीवी से छात्रावास, गेस्ट हाउस और मनोरंजन केंद्र में कार्यक्रमों का प्रसारण होता था.

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