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बजट 2022: 2 से 5 फीसद की कटौती होने पर 40% लोग नई आयकर व्यवस्था में जाने को तैयार

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Published : Feb 1, 2022, 6:49 AM IST

केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले बजट में इनकम टैक्स का नया स्लैब पेश किया था. वहीं, इस बार वित्त मंत्री के बजट भाषण में भी इस स्लैब की तरफ लोगों का ध्यान रहेगा.

आज पेश होगा आम बजट
आज पेश होगा आम बजट

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज आम बजट 2022 पेश करेंगी. इस बजट को लेकर आमजन उत्सुक्ता से इंतजार कर रहे हैं. वहीं, बड़ी संख्या में वेतनभोगी और कारोबारियों को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं.

केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले बजट में इनकम टैक्स का नया स्लैब पेश किया था. वहीं, इस बार वित्त मंत्री के बजट भाषण में भी इस स्लैब की तरफ लोगों का ध्यान रहेगा. आम बजट 2022 से लोग कयास लगाए बैठे हैं कि केंद्र सरकार इस बार इनकम टैक्स में कुछ राहत दे क्योंकि दो साल से जारी कोविड 19 महामारी के चलते लोगों को नौकरी छूटने और सैलरी में कटौती का दौर देखना पड़ा है. गिरती अर्थव्यवस्था ने आमलोगों के जीवन को काफी कठिन बना दिया है.

बता दें, पिछले 3 साल से टैक्स की दरें कम करने की मांग उठ रही है, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने धीमा अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सितंबर 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा की थी. बता दें, 2020 के आम बजट में एक नया इनकम टैक्स जारी किया था, जिसे एक नई और सरलीकृत व्यक्तिगत टैक्स व्यवस्था करार दिया गया था. हालांकि, कम्युनिटी नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 9,300 से अधिक करदाताओं में से केवल 13 फीसदी ने ही नई आयकर व्यवस्था को अपनाया है.

वहीं, दूसरी ओर बड़ी संख्या में करदाताओं ने कहा कि अगर वित्त मंत्री इनकम टैक्स स्लैब में 2 से 5 फीसद तक कमी कर दें, तो वे नए आयकर ढांचे में स्विच करना चाहेंगे. इस सर्वेक्षण में करदाताओं से पूछा गया कि क्या उन्हें नया टैक्स स्लैब स्विच करने के लिए प्रेरित करेगा क्योंकि नई व्यवस्था कटौती की अनुमति नहीं देती है, लेकिन आयकर दरों को कम करती है. इस सवाल का जवाब देते हुए करीब 37 फीसद करदाताओं ने कहा कि वे नए इनकम टैक्स स्लैब में शामिल हो जाएंगे यदि कर की दर में और 2 से 5% की कमी की जाती है, जबकि 3 प्रतिशत कररदाता 0 से 2 प्रति वर्ष की कमी पर भी नई व्यवस्था में स्विच करने के लिए तैयार थे. वहीं, एक चौथाई से अधिक करदाताओं (28%) ने कहा कि इनकम टैक्स की दर की परवाह किए बिना वे नई कर व्यवस्था में नहीं जाएंगे.

पढ़ें: आज से इन नियमों में हो रहा है बदलाव, नहीं समझे तो हो सकती है परेशानी

दूसरी ओर, 13 फीसद ने पुष्टि की कि वे पहले ही नई कर व्यवस्था में चले गए हैं और कर की दर में और कमी का स्वागत किया है.

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज आम बजट 2022 पेश करेंगी. इस बजट को लेकर आमजन उत्सुक्ता से इंतजार कर रहे हैं. वहीं, बड़ी संख्या में वेतनभोगी और कारोबारियों को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं.

केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले बजट में इनकम टैक्स का नया स्लैब पेश किया था. वहीं, इस बार वित्त मंत्री के बजट भाषण में भी इस स्लैब की तरफ लोगों का ध्यान रहेगा. आम बजट 2022 से लोग कयास लगाए बैठे हैं कि केंद्र सरकार इस बार इनकम टैक्स में कुछ राहत दे क्योंकि दो साल से जारी कोविड 19 महामारी के चलते लोगों को नौकरी छूटने और सैलरी में कटौती का दौर देखना पड़ा है. गिरती अर्थव्यवस्था ने आमलोगों के जीवन को काफी कठिन बना दिया है.

बता दें, पिछले 3 साल से टैक्स की दरें कम करने की मांग उठ रही है, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने धीमा अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सितंबर 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा की थी. बता दें, 2020 के आम बजट में एक नया इनकम टैक्स जारी किया था, जिसे एक नई और सरलीकृत व्यक्तिगत टैक्स व्यवस्था करार दिया गया था. हालांकि, कम्युनिटी नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 9,300 से अधिक करदाताओं में से केवल 13 फीसदी ने ही नई आयकर व्यवस्था को अपनाया है.

वहीं, दूसरी ओर बड़ी संख्या में करदाताओं ने कहा कि अगर वित्त मंत्री इनकम टैक्स स्लैब में 2 से 5 फीसद तक कमी कर दें, तो वे नए आयकर ढांचे में स्विच करना चाहेंगे. इस सर्वेक्षण में करदाताओं से पूछा गया कि क्या उन्हें नया टैक्स स्लैब स्विच करने के लिए प्रेरित करेगा क्योंकि नई व्यवस्था कटौती की अनुमति नहीं देती है, लेकिन आयकर दरों को कम करती है. इस सवाल का जवाब देते हुए करीब 37 फीसद करदाताओं ने कहा कि वे नए इनकम टैक्स स्लैब में शामिल हो जाएंगे यदि कर की दर में और 2 से 5% की कमी की जाती है, जबकि 3 प्रतिशत कररदाता 0 से 2 प्रति वर्ष की कमी पर भी नई व्यवस्था में स्विच करने के लिए तैयार थे. वहीं, एक चौथाई से अधिक करदाताओं (28%) ने कहा कि इनकम टैक्स की दर की परवाह किए बिना वे नई कर व्यवस्था में नहीं जाएंगे.

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दूसरी ओर, 13 फीसद ने पुष्टि की कि वे पहले ही नई कर व्यवस्था में चले गए हैं और कर की दर में और कमी का स्वागत किया है.

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