पानीपत: हरियाणा के पानीपत में बुनकर उद्योग (Weaver Industries in Panipat) के लिए मुसीबत का समय आ गया है. एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने करीब 1 साल पहले पानीपत के उद्योगपतियों को चेतावनी दी थी कि बढ़ते प्रदूषण के कारण वह अपने कोयले से चलने वाले उद्योगों को बंद कर दें या तो उन्हें पीएनजी या बायोफ्यूल पर शिफ्ट कर दें. 1 साल में करीब 150 उद्योगपतियों ने ही पानीपत में अपनी फैक्ट्रियों को बायोफ्यूल पर शिफ्ट किया है. जबकि अभी भी पानीत में करीब 400 फैक्ट्रियां हैं जो कोयले से चलती हैं और इन्हें एक अक्टूबर से बंद करना पड़ेगा.
एक करोड़ का जुर्माना लगेगा- 30 सितंबर 2022 एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की दी गई तारीख का आखिरी दिन था. 1 अक्टूबर को कोयले से चलने वाले पानीपत के सभी उद्योग बंद हो जाएंगे. अगर कोई भी उद्योगपति अपनी यूनिट को कोयले पर चलाता हुआ पाया जाता है तो पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से उस पर 1 करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
हैंडलूम नगरी है पानीपत (Handloom city Panipat)- आपको बता दें कि औद्योगिक नगरी पानीपत को हैंडलूम की नगरी कहा जाता है. हैंडलूम उद्योग की रीढ़ की हड्डी डाइंग हाउस को माना जाता है. डाइंग हाउस मतलब जहां धागों की रंगाई का काम होता है. जिसके बाद अलग अलग रंग के धागे बनते हैं. पानीपत की धागा इंडस्ट्री एशिया में सबसे बड़ी मानी जाती है. जिले में करीब 650 डाइंग हाउस हैं, जिनमें से करीब 150 यूनिट ही पीएनजी पर शिफ्ट हुई हैं. अगर पानीपत के डाइंग हाउस बंद कर किए जाते हैं तो पानीपत की सभी हैंडलूम इंडस्ट्री ठप होने के कगार पर आ जाएंगी. पानीपत में छोटी और बड़ी लगभग 25 से 30 हजार हैंडलूम और टेक्सटाइल यूनिट हैं.
लाखों लोग होंगे बेरोजगार- सालों से चले आ रहे पानीपत के टेक्सटाइल उद्योग (Panipat Textile Industries) में लगभग 6 से 7 लाख लोग जुड़े हुए हैं. इनमें से करीब 3 लाख लोग प्रवासी हैं. बाकी स्थानीय लोगों को भी यहां रोजगार मिला हुआ है. अगर पानीपत की हैंडलूम इंडस्ट्री बंद होती हैं करीब सात लाख लोग और उनके परिवार पर आर्थिक तंगी और बेरोजगारी का संकट मंडराने लगेगा. 7 लाख लोग इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. अगर अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए लोगों की बात करें तो संख्या इससे ज्यादा निकलेगी.
ठप हो जायेगा पानीपत का बुनकर उद्योग- बड़ी बात यह है कि पानीपत जिले से करीब 20 से 25 हजार करोड़ रुपए का सालाना टेक्सटाइल का माल विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाता है. यूरोप, यूएसए और जापान जैसे बड़े देशों में पानीपत में बने कंबल की एक अलग ही पहचान है. निर्यातकों के पास फिलहाल बड़ी मात्रा में इन देशों से आर्डर आए हुए हैं. ऐसे में अगर उद्योगों को ताला लगता है तो एक्सपोर्ट मार्केट ठप हो जाएगी. इसी का फायदा दूसरे देश उठा सकते हैं. हाल ही में पानीपत के कंबल ने चीन के कंबल को भी डिमांड में पछाड़ दिया था. जो अब वापस चीन को मिल सकते हैं. इसके अलावा पानीपत की डॉमेस्टिक मार्केट सालाना करीब 30 से 35 हजार करोडट रुपए का टर्नओवर करती है, वह भी बिल्कुल समाप्त हो जाएगा.
पीएनजी पर शिफ्ट करने में समस्या- पानीपत के उद्योगपतियों का कहना है कि वह अपने उद्योगों को अगर पीएनजी और बायोफ्यूल पर शिफ्ट करते हैं तो उनके लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. क्योंकि दूसरे जिले और अन्य देश 4 रुपये प्रति किलो के भाव से आने वाले कोयले से अपने उद्योगों को संचालित कर रहे हैं और हम 80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चलने वाली पीएनजी से अपने उद्योग को संचालित करेंगे तो हमे मार्जन रेट भी कब मिलेगा बाकी खर्चा अपनी जेब से लगाना पड़ेगा.
हरियाणा का 90 फीसदी उद्योग एनसीआर में- पानीपत डाइंग एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भीम राणा ने बताया कि वह लंबे समय से पानीपत को एनजीटी से बाहर लाने का प्रयत्न कर रहे हैं. उन्हें नहीं लगता कोई समाधान नहीं हो पाएगा. हरियाणा का 64 प्रतिशत हिस्सा NCR में है. और हरियाणा का 90 प्रतिशत उद्योग NCR एरिया में है. पहले जब कोयले से उद्योगों को चलाया जाता था तो उसके जलने से निकलने वाले (एसपीएम) सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर लेवल 800 था जिसे अब वह 80 तक कर दिया गया. उसके बाद भी ये फैक्ट्रियां इन पैरामीटर को पूरा नहीं करती हैं.
हरियाणा के पानीपत जिले में 3500 टन कोयले की रोजाना खपत होती है. उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार को जल्दी इसका कोई समाधान निकालना चाहिए. अगर उन्हें फैक्ट्री बंद करने की नौबत आती है तो पानीपत का व्यापार बिलकुल जीरो हो जाएगा. उसके बाद उद्योगपति सभी एनसीआर के लोगों से मिलकर एक मीटिंग करेंगे और उसके बाद सरकार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की भी तैयारी की जाएगी.