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त्रिपुरा: दस साल से कम आयु के 38 बच्चे कोरोना पॉजिटिव - 38 बच्चे भी हुए कोरोना पॉजिटिव

त्रिपुरा में कोविड 19 से स्वस्थ्य होने वाले मरीजों की दर चिंता का सबब बनी हुई है. कोविड 19 की निगरानी करने वाले अधिकारी दीप कुमार देबबर्मा ने बताया कि अगर यही हाल रहा तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे.

त्रिपुरा में कोविड 19
त्रिपुरा में कोविड 19
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Published : May 6, 2021, 3:37 PM IST

अगरतला: कोरोना महामारी से कोई भी देश अछूता नहीं है. भारत में कोरोना की दूसरी लहर कहर ढा रही है. हर दिन मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. त्रिपुरा भी इस महामारी से बचा नहीं है. हर दिन कोविड तेजी से फैल रहा है. इस वजह से स्वास्थ्य सेवाएं भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं.

यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में हालात और भी बिगड़ जाएंगे. बता दें, बुधवार को जहां त्रिपुरा में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुईं. वहीं, रोज के मुकाबले 240 नए केस सामने आए. इन सबके बीच सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस बार बच्चे भी केविड पॉजिटिव हो रहे हैं.

Tripura
Tripura

त्रिपुरा में कोविड 19 से स्वस्थ्य होने वाले मरीजों की दर चिंता का सबब बनी हुई है. कोविड 19 की निगरानी करने वाले अधिकारी दीप कुमार देबबर्मा ने बताया कि अगर यही हाल रहा तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे. इसके अलावा, एजीएमसी और जीबीपी अस्पताल की उच्चस्तरीय तकनीकी समिति के सदस्यों ने भी आगाह किया था कि कोरोना की दूसरी लहर काफी घातक साबित होगी औ इससे काफी लोग पॉजिटिव होंगे.

एजीएमसी कॉन्फ्रेंस हॉल में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दीप कुमार देबबर्मा ने कहा कि अगले डेढ़ महीने राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि परीक्षण सकारात्मकता दर पहले ही नाजुक स्तर को पार कर गई है, जो 5 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि यदि हम कोविड से बचने को उचित इंतजाम नहीं करेंगे तो मामले तेजी से बढ़ेंगे. उनके अनुसार जीबीपी अस्पताल में गंभीर रोगियों की संख्या में पिछले कुछ दिनों से इजाफा हो रहा है.

जानकारी के मुताबिक अभी अगरतला के जीबीपी अस्पताल में 93 मरीजों को भर्ती कराया गया है. जो राज्य का सबसे बड़ी कोविड-19 सेंटर है. बता दें, यहां भर्ती मरीजों में से पचास प्रतिशत गंभीर स्थिति में हैं. देबबर्मा ने कहा कि जैसे ही रोगियों में कुछ हल्के लक्षण दिखाई पड़ते हैं, वे डर जाते हैं और अस्पताल भागे चले आते हैं. उन्हें इससे बचना चाहिए. इससे अस्पतालों में अनावश्यक भीड़ नहीं लगेगी और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को सही से इलाज मिल सकेगा. वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि हल्के लक्षण वाले रोगियों को स्वास्थ्यकर्मियों से सलाह लेनी चाहिए.

पढ़ें: ऑक्सीजन एक्सप्रेस के टैंकर से O2 लीक होता रहा, ट्रेन दौड़ती रही

वहीं, एक दूसरे वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से बच्चे भी बच नहीं पाए हैं, जबकि पहली लहर में ऐसा देखने को नहीं मिला. उन्होंने कहा कि अभी तक दस वर्ष से कम उम्र के 38 बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें आगे आने वाले जोखिम के लिए भी तैयार रहना होगा.

अगरतला: कोरोना महामारी से कोई भी देश अछूता नहीं है. भारत में कोरोना की दूसरी लहर कहर ढा रही है. हर दिन मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. त्रिपुरा भी इस महामारी से बचा नहीं है. हर दिन कोविड तेजी से फैल रहा है. इस वजह से स्वास्थ्य सेवाएं भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं.

यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में हालात और भी बिगड़ जाएंगे. बता दें, बुधवार को जहां त्रिपुरा में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुईं. वहीं, रोज के मुकाबले 240 नए केस सामने आए. इन सबके बीच सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस बार बच्चे भी केविड पॉजिटिव हो रहे हैं.

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त्रिपुरा में कोविड 19 से स्वस्थ्य होने वाले मरीजों की दर चिंता का सबब बनी हुई है. कोविड 19 की निगरानी करने वाले अधिकारी दीप कुमार देबबर्मा ने बताया कि अगर यही हाल रहा तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे. इसके अलावा, एजीएमसी और जीबीपी अस्पताल की उच्चस्तरीय तकनीकी समिति के सदस्यों ने भी आगाह किया था कि कोरोना की दूसरी लहर काफी घातक साबित होगी औ इससे काफी लोग पॉजिटिव होंगे.

एजीएमसी कॉन्फ्रेंस हॉल में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दीप कुमार देबबर्मा ने कहा कि अगले डेढ़ महीने राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि परीक्षण सकारात्मकता दर पहले ही नाजुक स्तर को पार कर गई है, जो 5 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि यदि हम कोविड से बचने को उचित इंतजाम नहीं करेंगे तो मामले तेजी से बढ़ेंगे. उनके अनुसार जीबीपी अस्पताल में गंभीर रोगियों की संख्या में पिछले कुछ दिनों से इजाफा हो रहा है.

जानकारी के मुताबिक अभी अगरतला के जीबीपी अस्पताल में 93 मरीजों को भर्ती कराया गया है. जो राज्य का सबसे बड़ी कोविड-19 सेंटर है. बता दें, यहां भर्ती मरीजों में से पचास प्रतिशत गंभीर स्थिति में हैं. देबबर्मा ने कहा कि जैसे ही रोगियों में कुछ हल्के लक्षण दिखाई पड़ते हैं, वे डर जाते हैं और अस्पताल भागे चले आते हैं. उन्हें इससे बचना चाहिए. इससे अस्पतालों में अनावश्यक भीड़ नहीं लगेगी और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को सही से इलाज मिल सकेगा. वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि हल्के लक्षण वाले रोगियों को स्वास्थ्यकर्मियों से सलाह लेनी चाहिए.

पढ़ें: ऑक्सीजन एक्सप्रेस के टैंकर से O2 लीक होता रहा, ट्रेन दौड़ती रही

वहीं, एक दूसरे वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से बच्चे भी बच नहीं पाए हैं, जबकि पहली लहर में ऐसा देखने को नहीं मिला. उन्होंने कहा कि अभी तक दस वर्ष से कम उम्र के 38 बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें आगे आने वाले जोखिम के लिए भी तैयार रहना होगा.

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