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राजस्थान : अवैध रूप से रह रहे 362 रोहिंग्या, 90 प्रतिशत से अधिक जयपुर में

रोहिंग्या मुस्लिम न केवल भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बने हुए हैं, बल्कि अवैध रूप से भारत में रहते हुए फर्जी कागजात तैयार कर यहां की नागरिकता तक हासिल कर रहे हैं. यदि बात राजस्थान में बसने वाले रोहिंग्याओं की करी जाए तो राजस्थान में 362 रोहिंग्या निवास कर रहे हैं, जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक (Rohingya Muslims in Jaipur) जयपुर में निवास कर रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

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Published : Apr 26, 2022, 8:52 PM IST

जयपुर : राजस्थान में 362 रोहिंग्या निवास कर रहे हैं, जिसमें से 354 राजधानी जयपुर में रह रहे हैं. इनमें सर्वाधिक रोहिंग्या जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के दक्षिण जिले में रहते हैं, जिनकी संख्या 287 है. इसके साथ ही जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के पश्चिम जिले में 67 रोहिंग्या निवास करते हैं. वहीं, शेष आठ रोहिंग्या (rajasthan rohingyas fake documents) अजमेर में रहते हैं. यह जानकारी राजस्थान में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं की एक त्रैमासिक रिपोर्ट में दी गई है.

जानकारी के मुताबिक, पुलिस मुख्यालय की इंटेलिजेंस शाखा प्रदेश में अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्याओं की एक त्रैमासिक रिपोर्ट बनाकर (Quarterly Report of Rohingyas) गृह मंत्रालय को सौंपती है. इस रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में रह रहे रोहिंग्याओं की संख्या व अन्य बिंदुओं को लेकर समीक्षा की जाती है. इसके साथ ही रोहिंग्याओं पर कड़ी निगरानी भी रखी जाती है.

राजस्थान में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं की एक त्रैमासिक रिपोर्ट

गौरतलब है कि इसके साथ ही गृह मंत्रालय से मिली सूचना के आधार पर राजस्थान पुलिस की इंटेलिजेंस शाखा सर्वे कर (indian rohingya muslims identification) अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को चिह्नित करने का काम करती है. हाल ही में जयपुर के कानोता थाना इलाके में रह रहे एक रोहिंग्या की पहचान की गई, जो तकरीबन 20 वर्षों से जयपुर में रह रहे हैं.

डीजी इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में रह रहे रोहिंग्याओं को आईडेंटिफाई किया जाता है. इसके साथ ही उनके आगमन और तमाम गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है. रोहिंग्याओं को आईडेंटिफाई करने के बाद उनके बायोग्राफिक विवरण और बायोमैट्रिक डाटा संकलित किए जाते हैं. साथ ही रोहिंग्या के बनाए गए राज्य स्तरीय दस्तावेजों को निरस्त करवाने की कार्रवाई के संबंध में संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए जाते हैं. इनके साथ ही रोहिंग्या के बनाए गए आधार कार्ड और पैन कार्ड को निरस्त करने की कार्रवाई भारत सरकार के स्तर पर प्रक्रियाधीन होती है. प्रदेश में रोहिंग्याओं के निवासरत होने के संबंध में त्रैमासिक आधार पर रिपोर्ट तैयार कर उसकी सूचना गृह मंत्रालय को भिजवाई जाती है.

जयपुर : राजस्थान में 362 रोहिंग्या निवास कर रहे हैं, जिसमें से 354 राजधानी जयपुर में रह रहे हैं. इनमें सर्वाधिक रोहिंग्या जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के दक्षिण जिले में रहते हैं, जिनकी संख्या 287 है. इसके साथ ही जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के पश्चिम जिले में 67 रोहिंग्या निवास करते हैं. वहीं, शेष आठ रोहिंग्या (rajasthan rohingyas fake documents) अजमेर में रहते हैं. यह जानकारी राजस्थान में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं की एक त्रैमासिक रिपोर्ट में दी गई है.

जानकारी के मुताबिक, पुलिस मुख्यालय की इंटेलिजेंस शाखा प्रदेश में अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्याओं की एक त्रैमासिक रिपोर्ट बनाकर (Quarterly Report of Rohingyas) गृह मंत्रालय को सौंपती है. इस रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में रह रहे रोहिंग्याओं की संख्या व अन्य बिंदुओं को लेकर समीक्षा की जाती है. इसके साथ ही रोहिंग्याओं पर कड़ी निगरानी भी रखी जाती है.

राजस्थान में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं की एक त्रैमासिक रिपोर्ट

गौरतलब है कि इसके साथ ही गृह मंत्रालय से मिली सूचना के आधार पर राजस्थान पुलिस की इंटेलिजेंस शाखा सर्वे कर (indian rohingya muslims identification) अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को चिह्नित करने का काम करती है. हाल ही में जयपुर के कानोता थाना इलाके में रह रहे एक रोहिंग्या की पहचान की गई, जो तकरीबन 20 वर्षों से जयपुर में रह रहे हैं.

डीजी इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में रह रहे रोहिंग्याओं को आईडेंटिफाई किया जाता है. इसके साथ ही उनके आगमन और तमाम गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है. रोहिंग्याओं को आईडेंटिफाई करने के बाद उनके बायोग्राफिक विवरण और बायोमैट्रिक डाटा संकलित किए जाते हैं. साथ ही रोहिंग्या के बनाए गए राज्य स्तरीय दस्तावेजों को निरस्त करवाने की कार्रवाई के संबंध में संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए जाते हैं. इनके साथ ही रोहिंग्या के बनाए गए आधार कार्ड और पैन कार्ड को निरस्त करने की कार्रवाई भारत सरकार के स्तर पर प्रक्रियाधीन होती है. प्रदेश में रोहिंग्याओं के निवासरत होने के संबंध में त्रैमासिक आधार पर रिपोर्ट तैयार कर उसकी सूचना गृह मंत्रालय को भिजवाई जाती है.

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