नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि पिछले पांच वर्षों में देश में कम से कम 352 लोगों की मौत सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हुई है, जिसमें उत्तर प्रदेश 57 मौतों के साथ इस सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद तमिलनाडु में 46, नई दिल्ली में 42 और हरियाणा में 38 लोगों की मौत दर्ज की गई है. यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री (एमओएस) रामदास अठावले (MoS Ramdas Athawale) ने संसद के ऊपरी सदन में रालोद सांसद जयंत सिंह चौधरी के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए एक लिखित उत्तर के माध्यम से साझा की.
राज्य मंत्री ने अपने जवाब में यह भी कहा कि 'वर्तमान में देश में मैनुअल स्कैवेंजिंग में लगे लोगों की कोई रिपोर्ट नहीं है.' मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, सबसे कम मौत दर्ज करने वाले राज्यों में केरल और छत्तीसगढ़ हैं, जहां सिर्फ एक-एक मौत हुई है. इसके बाद बिहार और ओडिशा में 2-2 और चंडीगढ़, दादरा नगर, हवेली और उत्तराखंड में 3-3 लोगों की मौत दर्ज की गई है.
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मैला ढोने पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर राज्यमंत्री ने जवाब दिया कि 'स्वच्छ भारत मिशन के तहत, 2 अक्टूबर 2014 से, ग्रामीण क्षेत्रों में 11.06 करोड़ से अधिक स्वच्छ शौचालयों का निर्माण किया गया है और शहरी क्षेत्रों में 62.79 लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है और अस्वच्छ शौचालयों को स्वच्छ शौचालयों में परिवर्तित किया गया है. मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने की दिशा में इस कार्य ने बहुत बड़ा योगदान दिया.'