चंडीगढ़: हरियाणा सरकार प्रदेश में 300 से ज्यादा कानूनों को सजा मुक्त करने की तैयारी में है. ऐसे सभी कानूनों और अधिनियमों को अपराधमुक्त करने की कवायद भी शुरू कर दी गई है. इन सभी कानूनों को गंभीर की जगह नागरिक अपराध माना जायेगा. इसका मुख्य उद्वेश्य कानून के अनुपालन को सरल, डिजिटल, अपराधमुक्त और तर्कसंगत बनाना है. इन अपराधों में एफआईआर दर्ज करके जेल भेजने के बजाय सिर्फ जुर्माना वसूला जायेगा.
हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने चंडीगढ़ में इसको लेकर बैठक की. उन्होंने इन तमाम कानून और अधिनियमों से संबंधित विभागों के प्रशासनिक सचिवों को 15 दिन के अन्दर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये हैं. इसके अतिरिक्त अपराध मुक्त की श्रेणी में लाने के लिए विभागों को 319 अधिनियमों की समीक्षा करने का काम सौंपा गया है.
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मुख्य सचिव ने कहा कि इसका मुख्य लक्ष्य जो कानून गंभीर प्रकृति के नहीं हैं, उनके छोटे-मोटे उल्लंघनों के लिए एफआईआर दर्ज कर लोगों को जेल में डालने या उन पर मुकदमा चलाने से से बचाना है. इसलिए उन्हें आपराधिक कृत्यों के रूप में मानने की बजाय नागरिक अपराध के रूप में मानकर प्रशासनिक उपायों, जुर्माने या अन्य गैर-अपराधिक दंडों के माध्यम से विनियमित किया जा सकता है.
संजीव कौशल ने कहा कि इसका मकसद सिर्फ लोगों को राहत देना ही नहीं है बल्कि राज्य में व्यवसाय और उद्योगों के अनुकूल माहौल को बढ़ावा देना भी है. उन्होंने कहा कि कुछ छोटे-मोटे अपराध नियमित हिस्से के रूप में हो सकते हैं, उन्हें अपराधिक रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए. राज्य सरकार प्रदेश में ऐसे 28 कानूनों को पहले ही अपराधमुक्त कर चुकी है.
हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि राज्य में बोझिल अधिनियमों, नियमों, विनियमों तथा अधिसूचनाओं के अनुपालन कम करने का विस्तार से विश्लेषण करने के लिए विभाग सक्रिय होकर काम कर रहे हैं. अधिनियमों को अपराधमुक्त करने की शुरुआत से अब तक हरियाणा ने 500 से अधिक अनुपालनों का बोझ कम किया है.
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