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पृथ्वी दिवस मनाकर धरा को बचाने के संकल्प का दिन आज

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Published : Apr 22, 2021, 9:45 AM IST

पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने तथा दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ 22 अप्रैल के दिन 'पृथ्वी दिवस' यानि 'अर्थ डे' मनाने की शुरूआत की गई थी. 1970 में शुरू की गई इस परंपरा को 192 देशों ने खुली बांहों से अपनाया और आज लगभग पूरी दुनिया में प्रति वर्ष पृथ्वी दिवस के मौके पर धरा की धानी चुनर को बनाए रखने और हर तरह के जीव-जंतुओं को पृथ्वी पर उनके हिस्से का स्थान और अधिकार देने का संकल्प लिया जाता है.

International Earth Day
International Earth Day

हैदराबाद : आज अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है. यह दिवस हमें याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि पृथ्वी और उसके पारिस्थितिक तंत्र हमें जीवन और जीविका प्रदान करते हैं. पृथ्वी दिवस हमें हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को भी याद दिलाता है.

जैसा कि साल 1992 के रियो घोषणापत्र में कहा गया है, प्रकृति के साथ सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए मानवजाति को आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं के बीच एक उचित संतुलन स्थापित करना होगा. जैव विविधता में परिवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र के कार्य को प्रभावित करते हैं और पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा करते हैं

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प ए/आरईएस/63/278 के माध्यम से 22 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र ने पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के लिए पृथ्वी दिवस के दिन को चुना था.

पृथ्वी दिवस 2021 थीम- रीस्टोर ऑवर अर्थ (Restore Our Earth)

  • पृथ्वी दिवस 2021 की थीम रीस्टोर ऑवर अर्थ है. इस वर्ष के अन्य विषयों में जलवायु और पर्यावरण साक्षरता, जलवायु बहाली की तकनीकें, वनीकरण के प्रयास, पुनर्योजी कृषि, समानता और पर्यावरण न्याय, नागरिक विज्ञान और सफाई शामिल होंगे.
  • धरती पुकार रही है. प्रकृति तकलीफ में है. सागर प्लास्टिक से भर गए हैं. अत्यधिक गर्मी, जंगल की आग और बाढ़ के साथ-साथ रिकॉर्ड तोड़ने वाले अटलांटिक तूफान ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है. अब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से फैली महामारी का सामना कर रही है, जो हमारे पारिस्थितिक तंत्र से जुड़ी है.
  • जलवायु परिवर्तन मानवता के भविष्य और जीवन-समर्थन प्रणालियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है. यह बेहद जरूरी है कि दुनिया के हर देश को जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं के लिए तत्परता और महत्वाकांक्षा के साथ कई कदम उठाने होंगे. हम अपनी वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को एक खतरनाक भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं.
  • जलवायु परिवर्तन, बिगड़ती जैव विविधता, वनों की कटाई, भूमि के उपयोग में परिवर्तन, पशुधन उत्पादन और बढ़ते अवैध वन्यजीव व्यापार आज हमारे सामने प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दे बन गए हैं. पशुधन उत्पादन या बढ़ता अवैध वन्यजीव व्यापार, जानवरों से संक्रामक (जूनॉटिक) रोगों, जैसे कोविड-19 के संपर्क और संचरण को बढ़ा सकते हैं. मनुष्यों को होने वाली कई बीमारियां जूनॉटिक होती हैं. यह मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है.
  • विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन भूमि और समुद्र की गर्मी में वृद्धि कर रहे हैं. बर्फ पिघलने के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है. जलवायु परिवर्तन के कारण सामाजिक-आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य, प्रवास और विस्थापन, भोजन पर प्रभाव पर पड़ रहा है.

पारिस्थितिकी तंत्र के रीस्टोरेशन की आवश्यकता
पारिस्थितिकी तंत्र जीवन प्रदान करता है. पारिस्थितिकी तंत्र जितना स्वस्थ रहेगा, हमारा ग्रह और उसपर रहने वाले जीव उतने ही स्वस्थ रहेंगे. क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्रों को बहाल/ठीक करने से गरीबी को समाप्त करने, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और सामूहिक विलुप्ति को रोकने में मदद मिलेगी. संयुक्त राष्ट्र अगले वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर नई पहल शुरू करेगा, जो हर महाद्वीप और हर महासागर पर पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण को रोकने में मदद करेगी. लेकिन हम तभी सफल होंगे जब हर कोई एक भूमिका निभाएगा.

मानव के लिए जैव विविधता का महत्व

  • कोरोना वायरस के प्रकोप से सार्वजनिक स्वास्थ्य, वैश्विक अर्थव्यवस्था और जैविक विविधता पर भी जोखिम है. जैव विविधता से इसका समाधान हो सकता है क्योंकि प्रजातियों की विविधता रोगजनक को फैलने से रोकती है.
  • जैव विविधता को हानि और परिवर्तन से होने वाले स्वास्थ्य परिणामों को लेकर चिंता बढ़ी है. जैव विविधता परिवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती है और पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाला दबाव जीवन को प्रभावित करता है.
  • स्वास्थ्य और जैव विविधता के बीच विशिष्ट संबंध पोषण, स्वास्थ्य अनुसंधान या पारंपरिक चिकित्सा, नई संक्रामक बीमारियों और पौधों, रोगजनकों, जानवरों और यहां तक ​​कि मानव बस्तियों को प्रभावित करते हैं, जिनमें से अधिकांश जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं.
  • प्रयासों के बावजूद, जैव विविधता मानव इतिहास में अभूतपूर्व दर से दुनिया भर में बिगड़ रही है. यह अनुमान है कि लगभग दस लाख पशु और पौधों की प्रजातियों पर अब विलुप्त होने का खतरा है.

हैदराबाद : आज अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है. यह दिवस हमें याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि पृथ्वी और उसके पारिस्थितिक तंत्र हमें जीवन और जीविका प्रदान करते हैं. पृथ्वी दिवस हमें हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को भी याद दिलाता है.

जैसा कि साल 1992 के रियो घोषणापत्र में कहा गया है, प्रकृति के साथ सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए मानवजाति को आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं के बीच एक उचित संतुलन स्थापित करना होगा. जैव विविधता में परिवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र के कार्य को प्रभावित करते हैं और पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा करते हैं

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प ए/आरईएस/63/278 के माध्यम से 22 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र ने पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के लिए पृथ्वी दिवस के दिन को चुना था.

पृथ्वी दिवस 2021 थीम- रीस्टोर ऑवर अर्थ (Restore Our Earth)

  • पृथ्वी दिवस 2021 की थीम रीस्टोर ऑवर अर्थ है. इस वर्ष के अन्य विषयों में जलवायु और पर्यावरण साक्षरता, जलवायु बहाली की तकनीकें, वनीकरण के प्रयास, पुनर्योजी कृषि, समानता और पर्यावरण न्याय, नागरिक विज्ञान और सफाई शामिल होंगे.
  • धरती पुकार रही है. प्रकृति तकलीफ में है. सागर प्लास्टिक से भर गए हैं. अत्यधिक गर्मी, जंगल की आग और बाढ़ के साथ-साथ रिकॉर्ड तोड़ने वाले अटलांटिक तूफान ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है. अब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से फैली महामारी का सामना कर रही है, जो हमारे पारिस्थितिक तंत्र से जुड़ी है.
  • जलवायु परिवर्तन मानवता के भविष्य और जीवन-समर्थन प्रणालियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है. यह बेहद जरूरी है कि दुनिया के हर देश को जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं के लिए तत्परता और महत्वाकांक्षा के साथ कई कदम उठाने होंगे. हम अपनी वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को एक खतरनाक भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं.
  • जलवायु परिवर्तन, बिगड़ती जैव विविधता, वनों की कटाई, भूमि के उपयोग में परिवर्तन, पशुधन उत्पादन और बढ़ते अवैध वन्यजीव व्यापार आज हमारे सामने प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दे बन गए हैं. पशुधन उत्पादन या बढ़ता अवैध वन्यजीव व्यापार, जानवरों से संक्रामक (जूनॉटिक) रोगों, जैसे कोविड-19 के संपर्क और संचरण को बढ़ा सकते हैं. मनुष्यों को होने वाली कई बीमारियां जूनॉटिक होती हैं. यह मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है.
  • विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन भूमि और समुद्र की गर्मी में वृद्धि कर रहे हैं. बर्फ पिघलने के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है. जलवायु परिवर्तन के कारण सामाजिक-आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य, प्रवास और विस्थापन, भोजन पर प्रभाव पर पड़ रहा है.

पारिस्थितिकी तंत्र के रीस्टोरेशन की आवश्यकता
पारिस्थितिकी तंत्र जीवन प्रदान करता है. पारिस्थितिकी तंत्र जितना स्वस्थ रहेगा, हमारा ग्रह और उसपर रहने वाले जीव उतने ही स्वस्थ रहेंगे. क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्रों को बहाल/ठीक करने से गरीबी को समाप्त करने, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और सामूहिक विलुप्ति को रोकने में मदद मिलेगी. संयुक्त राष्ट्र अगले वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर नई पहल शुरू करेगा, जो हर महाद्वीप और हर महासागर पर पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण को रोकने में मदद करेगी. लेकिन हम तभी सफल होंगे जब हर कोई एक भूमिका निभाएगा.

मानव के लिए जैव विविधता का महत्व

  • कोरोना वायरस के प्रकोप से सार्वजनिक स्वास्थ्य, वैश्विक अर्थव्यवस्था और जैविक विविधता पर भी जोखिम है. जैव विविधता से इसका समाधान हो सकता है क्योंकि प्रजातियों की विविधता रोगजनक को फैलने से रोकती है.
  • जैव विविधता को हानि और परिवर्तन से होने वाले स्वास्थ्य परिणामों को लेकर चिंता बढ़ी है. जैव विविधता परिवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती है और पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाला दबाव जीवन को प्रभावित करता है.
  • स्वास्थ्य और जैव विविधता के बीच विशिष्ट संबंध पोषण, स्वास्थ्य अनुसंधान या पारंपरिक चिकित्सा, नई संक्रामक बीमारियों और पौधों, रोगजनकों, जानवरों और यहां तक ​​कि मानव बस्तियों को प्रभावित करते हैं, जिनमें से अधिकांश जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं.
  • प्रयासों के बावजूद, जैव विविधता मानव इतिहास में अभूतपूर्व दर से दुनिया भर में बिगड़ रही है. यह अनुमान है कि लगभग दस लाख पशु और पौधों की प्रजातियों पर अब विलुप्त होने का खतरा है.
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