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Delhi serial bomb blast : आरोपी मोहम्मद हकीम को मिली जमानत

दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट मामले के आरोपी मोहम्मद हकीम को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है. मोहम्मद हकीम को जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने जमानत दी है.

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Published : Oct 6, 2021, 4:35 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट (Delhi Serial Bomb Blast) मामले के आरोपी मोहम्मद हकीम को जमानत दे दी है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने मोहम्मद हकीम को 25 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने साढ़े बारह साल विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में रहा है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के नजीब मामले में दिए गए दिशानिर्देशों के मुताबिक आरोपी की त्वरित न्याय के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. ऐसे में अगर उसे और जेल में रखा गया तो यह उन अधिकारों का उल्लंघन होगा. कोर्ट ने आरोपी को निर्देश किया कि वो अपना फोन नंबर जांच अधिकारी को उपलब्ध कराए, जिस पर उससे कभी भी संपर्क किया जा सके.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी अपना नंबर हमेशा चालू रखेगा. कोर्ट ने आरोपी को अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना आरोपी देश छोड़कर बाहर नहीं जाएगा. कोर्ट ने कहा कि आरोपी किसी गवाह से नहीं मिलेगा और न ही उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करेगा.

मोहम्मद हकीम को 4 फरवरी 2009 को गिरफ्तार किया गया था. उसके खिलाफ 13 सितंबर 2008 को पांच FIR दर्ज किए गए थे. आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 120बी, 121, 121ए, 122 और 123 के अलावा एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट (Explosive Substances Act) की धारा 3 और 5 और यूएपीए (UAPA) की धारा 16, 18 और 23 के तहत एफआईआर दर्ज किए गए थे. हकीम ने पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) में जमानत याचिका दायर किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 20 मार्च को उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

स्पेशल सेल ने इस मामले में 16 लोगों को आरोपी बनाया है. सुनवाई के दौरान हकीम की ओर से पेश वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि स्पेशल सेल की ओर से दाखिल चार्जशीट और ट्रायल कोर्ट की ओर से तय आरोपों में आरोपी की भूमिका सीमित है. मोहम्मद हकीम पर आरोप है कि उसने साइकिल पर कुछ बाल बेयरिंग लखनऊ से दिल्ली पहुंचाया. आरोपों में कहा गया है कि उन बाल बेयरिंग का इस्तेमाल आईईडी बनाने में किया गया. इन आईईडी से 2008 में दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट (Serial Blast in Delhi) को अंजाम दिया गया.

ये भी पढ़ें : फैसला : दिल्ली हाईकोर्ट ने दी 23 हफ्ते का गर्भ गिराने की इजाजत


नित्या रामकृष्णन ने कहा कि इस मामले में अभी अभियोजन पक्ष की ओर से गवाहों के बयान दर्ज हो रहे हैं. अब तक 256 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं, जबकि अभी 60 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज होने हैं. आरोपी साढ़े बारह साल कैद में गुजार चुका है. उन्होंने आरोपी को जमानत देने की मांग करते हुए कहा कि संविधान की धारा 21 के तहत आरोपी की त्वरित ट्रायल के अधिकार का हनन हो रहा है. उन्होंने कहा कि आरोपी का पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है और वह युनिवर्सिटी का छात्र था.
हकीम की जमानत का विरोध करते हुए एनआईए की ओर से एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित चड्ढा ने कहा कि आरोपी के खिलाफ काफी गंभीर आरोप हैं. उस पर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में 13 नवंबर 2008 में सीरियल ब्लास्ट करने का आरोप है. उस सीरियल ब्लास्ट में 26 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 135 लोग घायल हुए थे. इस सीरियल ब्लास्ट की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन ने ली थी.

चड्ढा ने कहा इस मामले में पांच FIR दर्ज किए गए थे. इस मामले की जांच के दौरान संदिग्ध आतंकियों की तलाश में बाटला हाउस में एनकाउंटर (Encounter at Batla House) के दौरान एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई, जबकि दो पुलिस (Delhi Police) अधिकारी घायल हो गए थे. उन्होंने कहा कि स्टील के बाल-बेयरिंग बाटला हाउस के परिसर से बरामद किए गए थे. हकीम की इस मामले में संलिप्तता का खुलासा इस मामले के दूसरे आरोपी जीशान अहमद ऊर्फ अंडा ने अपने डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में 3 अक्टूबर 2008 को किया था. उसके तीन महीने के बाद एटीएस लखनऊ (ATS Lucknow) ने हकीम की गिरफ्तारी की थी.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट (Delhi Serial Bomb Blast) मामले के आरोपी मोहम्मद हकीम को जमानत दे दी है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने मोहम्मद हकीम को 25 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने साढ़े बारह साल विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में रहा है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के नजीब मामले में दिए गए दिशानिर्देशों के मुताबिक आरोपी की त्वरित न्याय के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. ऐसे में अगर उसे और जेल में रखा गया तो यह उन अधिकारों का उल्लंघन होगा. कोर्ट ने आरोपी को निर्देश किया कि वो अपना फोन नंबर जांच अधिकारी को उपलब्ध कराए, जिस पर उससे कभी भी संपर्क किया जा सके.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी अपना नंबर हमेशा चालू रखेगा. कोर्ट ने आरोपी को अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना आरोपी देश छोड़कर बाहर नहीं जाएगा. कोर्ट ने कहा कि आरोपी किसी गवाह से नहीं मिलेगा और न ही उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करेगा.

मोहम्मद हकीम को 4 फरवरी 2009 को गिरफ्तार किया गया था. उसके खिलाफ 13 सितंबर 2008 को पांच FIR दर्ज किए गए थे. आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 120बी, 121, 121ए, 122 और 123 के अलावा एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट (Explosive Substances Act) की धारा 3 और 5 और यूएपीए (UAPA) की धारा 16, 18 और 23 के तहत एफआईआर दर्ज किए गए थे. हकीम ने पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) में जमानत याचिका दायर किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 20 मार्च को उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

स्पेशल सेल ने इस मामले में 16 लोगों को आरोपी बनाया है. सुनवाई के दौरान हकीम की ओर से पेश वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि स्पेशल सेल की ओर से दाखिल चार्जशीट और ट्रायल कोर्ट की ओर से तय आरोपों में आरोपी की भूमिका सीमित है. मोहम्मद हकीम पर आरोप है कि उसने साइकिल पर कुछ बाल बेयरिंग लखनऊ से दिल्ली पहुंचाया. आरोपों में कहा गया है कि उन बाल बेयरिंग का इस्तेमाल आईईडी बनाने में किया गया. इन आईईडी से 2008 में दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट (Serial Blast in Delhi) को अंजाम दिया गया.

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नित्या रामकृष्णन ने कहा कि इस मामले में अभी अभियोजन पक्ष की ओर से गवाहों के बयान दर्ज हो रहे हैं. अब तक 256 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं, जबकि अभी 60 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज होने हैं. आरोपी साढ़े बारह साल कैद में गुजार चुका है. उन्होंने आरोपी को जमानत देने की मांग करते हुए कहा कि संविधान की धारा 21 के तहत आरोपी की त्वरित ट्रायल के अधिकार का हनन हो रहा है. उन्होंने कहा कि आरोपी का पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है और वह युनिवर्सिटी का छात्र था.
हकीम की जमानत का विरोध करते हुए एनआईए की ओर से एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित चड्ढा ने कहा कि आरोपी के खिलाफ काफी गंभीर आरोप हैं. उस पर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में 13 नवंबर 2008 में सीरियल ब्लास्ट करने का आरोप है. उस सीरियल ब्लास्ट में 26 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 135 लोग घायल हुए थे. इस सीरियल ब्लास्ट की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन ने ली थी.

चड्ढा ने कहा इस मामले में पांच FIR दर्ज किए गए थे. इस मामले की जांच के दौरान संदिग्ध आतंकियों की तलाश में बाटला हाउस में एनकाउंटर (Encounter at Batla House) के दौरान एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई, जबकि दो पुलिस (Delhi Police) अधिकारी घायल हो गए थे. उन्होंने कहा कि स्टील के बाल-बेयरिंग बाटला हाउस के परिसर से बरामद किए गए थे. हकीम की इस मामले में संलिप्तता का खुलासा इस मामले के दूसरे आरोपी जीशान अहमद ऊर्फ अंडा ने अपने डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में 3 अक्टूबर 2008 को किया था. उसके तीन महीने के बाद एटीएस लखनऊ (ATS Lucknow) ने हकीम की गिरफ्तारी की थी.

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