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गुजरात : प्राकृतिक हवा को फिल्टर कर प्रति मिनट 2000 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन

ऐसे समय में जब देश में मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी है और केवल बड़े संयंत्र ही इस जीवनदायी गैस की आपूर्ति कर रहे हैं, सूरत में प्राकृतिक हवा को मेडिकल ऑक्सीजन में परिवर्तित किया जा रहा है. सूरत के नए सिविल अस्पताल में एक Pressure Swing Adsorption संयंत्र स्थापित किया गया है जो प्राकृतिक हवा में हर मिनट 2000 लीटर मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन का उत्पादन करता है. केंद्र सरकार ने हाल ही में सूरत के लिए इस संयंत्र को मंजूरी दी थी.

Oxygen being produced by filtering natural air
Oxygen being produced by filtering natural air
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Published : Apr 23, 2021, 1:45 PM IST

सूरत : कोरोना महामारी के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की कमी है. अकेले सूरत के सिविल अस्पताल में, प्रतिदिन 60 टन ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है और पूरे सूरत शहर में 250 टन ऑक्सीजन की खपत होती है.

कोरोना महामारी से देश में पैदा हुई खतरनाक स्थिति के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए Pressure Swing Adsorption संयंत्र स्थापित करने को मंजूरी दी है.

Oxygen being produced by filtering natural air
Pressure Swing Adsorption संयंत्र

पहले से ही ऐसे 30 संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं. संयंत्र विदेशी प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है. गुजरात का सबसे बड़ा संयंत्र सूरत स्थापित किया गया है. संयंत्र हर मिनट में 2,000 लीटर मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करता है.

COVID अस्पताल में पाइपलाइन के माध्यम से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है
गुजरात का प्राकृतिक हवा से मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन का सबसे बड़ा संयंत्र सूरत में है. संयंत्र अधीक्षक निमेश वर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि केंद्र सरकार ने छह महीने पहले संयंत्र के लिए मंजूरी दे दी थी.

वर्तमान स्थिति को देखते हुए, संयंत्र ने तीन दिन पहले ही उत्पादन शुरू किया. यह संयंत्र प्राकृतिक हवा को कंप्रेस करता है और नाइट्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड व अन्य अशुद्धियों को अलग करने के बाद उसमें से ऑक्सीजन निकालता है.

प्राकृतिक हवा में केवल 21 प्रतिशत ऑक्सीजन है: डॉ. निमेश वर्मा
नाइट्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य गैसों को अलग करने के बाद, ऑक्सीजन को फिल्टर करके COVID अस्पताल में पाइपलाइन के माध्यम से आपूर्ति की जाती है. यह संयंत्र कोरोना के रोगियों द्वारा लिए जा रहे कुल ऑक्सीजन का 5 से 7 प्रतिशत पैदा करता है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक हवा में केवल 21 प्रतिशत ऑक्सीजन है जबकि COVID रोगियों को 90 से 95 प्रतिशत ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जिसकी इस संयंत्र द्वारा आपूर्ति की जा रही है.

पढ़ें-देश में कोरोना से हाहाकर, 24 घंटे में मिले 3.32 लाख केस

201.58 करोड़ रुपये आवंटित
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश में पांच संयंत्र हैं, हिमाचल प्रदेश में चार, चंडीगढ़, गुजरात और उत्तराखंड में तीन-तीन, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, पंजाब और उत्तर प्रदेश में एक-एक संयंत्र हैं. सरकार ने अप्रैल के अंत तक 59 और संयंत्र लगाने की योजना बनाई है और मई के अंत तक 80 संयंत्र लगाए जाएंगे. 162 Pressure swing adsorption संयंत्र स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार ने 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.

सूरत : कोरोना महामारी के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की कमी है. अकेले सूरत के सिविल अस्पताल में, प्रतिदिन 60 टन ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है और पूरे सूरत शहर में 250 टन ऑक्सीजन की खपत होती है.

कोरोना महामारी से देश में पैदा हुई खतरनाक स्थिति के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए Pressure Swing Adsorption संयंत्र स्थापित करने को मंजूरी दी है.

Oxygen being produced by filtering natural air
Pressure Swing Adsorption संयंत्र

पहले से ही ऐसे 30 संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं. संयंत्र विदेशी प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है. गुजरात का सबसे बड़ा संयंत्र सूरत स्थापित किया गया है. संयंत्र हर मिनट में 2,000 लीटर मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करता है.

COVID अस्पताल में पाइपलाइन के माध्यम से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है
गुजरात का प्राकृतिक हवा से मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन का सबसे बड़ा संयंत्र सूरत में है. संयंत्र अधीक्षक निमेश वर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि केंद्र सरकार ने छह महीने पहले संयंत्र के लिए मंजूरी दे दी थी.

वर्तमान स्थिति को देखते हुए, संयंत्र ने तीन दिन पहले ही उत्पादन शुरू किया. यह संयंत्र प्राकृतिक हवा को कंप्रेस करता है और नाइट्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड व अन्य अशुद्धियों को अलग करने के बाद उसमें से ऑक्सीजन निकालता है.

प्राकृतिक हवा में केवल 21 प्रतिशत ऑक्सीजन है: डॉ. निमेश वर्मा
नाइट्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य गैसों को अलग करने के बाद, ऑक्सीजन को फिल्टर करके COVID अस्पताल में पाइपलाइन के माध्यम से आपूर्ति की जाती है. यह संयंत्र कोरोना के रोगियों द्वारा लिए जा रहे कुल ऑक्सीजन का 5 से 7 प्रतिशत पैदा करता है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक हवा में केवल 21 प्रतिशत ऑक्सीजन है जबकि COVID रोगियों को 90 से 95 प्रतिशत ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जिसकी इस संयंत्र द्वारा आपूर्ति की जा रही है.

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201.58 करोड़ रुपये आवंटित
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश में पांच संयंत्र हैं, हिमाचल प्रदेश में चार, चंडीगढ़, गुजरात और उत्तराखंड में तीन-तीन, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, पंजाब और उत्तर प्रदेश में एक-एक संयंत्र हैं. सरकार ने अप्रैल के अंत तक 59 और संयंत्र लगाने की योजना बनाई है और मई के अंत तक 80 संयंत्र लगाए जाएंगे. 162 Pressure swing adsorption संयंत्र स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार ने 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.

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