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New Rules of JNU: जेएनयू में धरना करने पर 20 हजार का जुर्माना, हिंसा करने पर दाखिला रद्द - दिल्ली जेएनयू

जेएनयू के छात्रों को अब धरना प्रदर्शन करना भारी पड़ेगा. जेएनयू के नए नियमों के मुताबिक परिसर में धरना करने पर छात्रों पर ₹20 हजार का जुर्माना और हिंसा करने पर उनका दाखिला रद्द किया जा सकता है या 30 हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है.

20 thousand fine for protesting in JNU
20 thousand fine for protesting in JNU
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Published : Mar 2, 2023, 7:42 AM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के नए नियमों के अनुसार, परिसर में धरना देने पर छात्रों पर 20,000 रुपये का जुर्माना और हिंसा करने पर उनका दाखिला रद्द किया जा सकता है या 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. दस पन्नों के ‘जेएनयू के छात्रों के लिए अनुशासन के नियम और उचित आचरण’ में विरोध प्रदर्शन और जालसाजी जैसे विभिन्न कार्यों के लिए सजा निर्धारित की गई है और अनुशासन का उल्लंघन करने संबंधी जांच प्रक्रिया का जिक्र किया गया है.

दस्तावेज के अनुसार, ये नियम तीन फरवरी को लागू हो गए. ये विश्वविद्यालय में बीबीसी का विवादित वृत्तचित्र दिखाए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शनों के बाद लागू किए गए. नियम संबंधी दस्तावेज में कहा गया है कि इसे कार्यकारी परिषद ने मंजूरी दी है। यह परिषद विश्वविद्यालय का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है.

बहरहाल, कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि इस मामले को एक अतिरिक्त एजेंडा सामग्री के रूप में लाया गया था और यह उल्लेख किया गया था कि यह दस्तावेज ‘'अदालत के मामलों' के लिए तैयार किया गया है.

ये भी पढ़ें- JNU प्रशासन की छात्रों को दो टूक, अनुशासन में नहीं रहोगे तो होगी कार्रवाई

जेएनयू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव विकास पटेल ने नए नियमों को 'तुगलकी फरमान' कहा है. जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी पंडित की प्रतिक्रिया जानने के लिए 'पीटीआई-भाषा' ने उन्हें संदेश भेजे और फोन किया, लेकिन उन्होंने उत्तर नहीं दिया.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के नए नियमों के अनुसार, परिसर में धरना देने पर छात्रों पर 20,000 रुपये का जुर्माना और हिंसा करने पर उनका दाखिला रद्द किया जा सकता है या 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. दस पन्नों के ‘जेएनयू के छात्रों के लिए अनुशासन के नियम और उचित आचरण’ में विरोध प्रदर्शन और जालसाजी जैसे विभिन्न कार्यों के लिए सजा निर्धारित की गई है और अनुशासन का उल्लंघन करने संबंधी जांच प्रक्रिया का जिक्र किया गया है.

दस्तावेज के अनुसार, ये नियम तीन फरवरी को लागू हो गए. ये विश्वविद्यालय में बीबीसी का विवादित वृत्तचित्र दिखाए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शनों के बाद लागू किए गए. नियम संबंधी दस्तावेज में कहा गया है कि इसे कार्यकारी परिषद ने मंजूरी दी है। यह परिषद विश्वविद्यालय का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है.

बहरहाल, कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि इस मामले को एक अतिरिक्त एजेंडा सामग्री के रूप में लाया गया था और यह उल्लेख किया गया था कि यह दस्तावेज ‘'अदालत के मामलों' के लिए तैयार किया गया है.

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जेएनयू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव विकास पटेल ने नए नियमों को 'तुगलकी फरमान' कहा है. जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी पंडित की प्रतिक्रिया जानने के लिए 'पीटीआई-भाषा' ने उन्हें संदेश भेजे और फोन किया, लेकिन उन्होंने उत्तर नहीं दिया.

(पीटीआई-भाषा)

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