ETV Bharat / bharat

सिख विरोधी दंगा: अदालत ने कांग्रेस नेता कमलनाथ के विरुद्ध कार्रवाई की मांग पर एसआईटी से जवाब मांगा

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बृहस्पतिवार को एसआईटी को 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता कमलनाथ (Congress leader Kamal Nath) की भूमिका की जांच को लेकर दायर एक आवेदन पर स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

Court seeks reply from SIT on Sikh riots
कोर्ट ने एसआईटी से सिख दंगे पर जवाब मांगा
author img

By

Published : Jan 27, 2022, 9:57 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बृहस्पतिवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) को 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता कमलनाथ (Congress leader Kamal Nath) की कथित भूमिका की जांच की मांग संबंधी एक अर्जी पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद (Justice Subramonium Prasad) ने भाजपा के मनजिंदर सिंह सिरसा की याचिका पर एसआईटी को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 28 मार्च तय की. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका गठन किया था.

एक बयान में सिरसा ने कहा, 'इन (सिख विरोधी दंगे) मामलों में सिख समुदाय द्वारा इंसाफ की बाट जोहते हुए 37 साल से अधिक समय हो गया. हालांकि, सज्जन कुमार (कांग्रेस नेता) को उम्रकैद की सजा सुनाए के साथ ही कुछ सफलताएं मिली हैं लेकिन अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है क्योंकि अन्य गुनाहगार कमलनाथ एवं अन्य कांग्रेसजनों की अबतक सुनवाई नहीं की गयी और उन्हें सजा नहीं सुनाई गई.'

उन्होंने कहा, 'आज के अदालत के फैसले ने समुदाय में एक आस फिर जगाई है कि हर गुनाहगार को उनकी गुनाहों की सजा मिलेगी.' सिरसा ने उच्च न्यायालय में दायर की गयी अपनी याचिका में अदालत से अनुरोध किया है कि वह एसआईटी को पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में 1984 में दर्ज की गयी प्राथमिकी में कमलनाथ के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दे, इस मामले में पांच व्यक्तियों को बतौर आरोपी नामजद किया गया था और उन्हें कथित रूप से कांग्रेस नेता के घर पर ठहराया गया था.

ये भी पढ़ें - शराब पीकर वाहन चलाने से हुई छोटी-मोटी दुर्घटना में भी नरमी नहीं बरती जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

इन आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया. हालांकि कमलनाथ को प्राथमिकी में कभी नामजद नहीं किया गया. सिरसा ने अपनी याचिका में अदालत से अनुरोध किया है कि वह कमलनाथ को अविलंब गिरफ्तार करने का निर्देश दे. सिरसा का पक्ष अदालत में वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह और वकील गुरबख्श सिंह ने रखा. यह मामला यहां गुरद्वारा रकाबगंज में दंगाइयों द्वारा हमला से जुड़ा है. कमलनाथ ने आरोपों से इनकार किया था.

एसआईटी ने सितंबर 2019 में सात सिख विरोध दंगा मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया था जहां आरोपी या तो बरी कर दिए गए या सुनवाई बंद कर दी गई. अधिसूचना सार्वजनिक होने के बाद सिरसा ने दावा किया कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कथित रूप से उन पांच लोगों को शरण दिया था जो सात मामलों में एक में आरोपी है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बृहस्पतिवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) को 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता कमलनाथ (Congress leader Kamal Nath) की कथित भूमिका की जांच की मांग संबंधी एक अर्जी पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद (Justice Subramonium Prasad) ने भाजपा के मनजिंदर सिंह सिरसा की याचिका पर एसआईटी को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 28 मार्च तय की. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका गठन किया था.

एक बयान में सिरसा ने कहा, 'इन (सिख विरोधी दंगे) मामलों में सिख समुदाय द्वारा इंसाफ की बाट जोहते हुए 37 साल से अधिक समय हो गया. हालांकि, सज्जन कुमार (कांग्रेस नेता) को उम्रकैद की सजा सुनाए के साथ ही कुछ सफलताएं मिली हैं लेकिन अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है क्योंकि अन्य गुनाहगार कमलनाथ एवं अन्य कांग्रेसजनों की अबतक सुनवाई नहीं की गयी और उन्हें सजा नहीं सुनाई गई.'

उन्होंने कहा, 'आज के अदालत के फैसले ने समुदाय में एक आस फिर जगाई है कि हर गुनाहगार को उनकी गुनाहों की सजा मिलेगी.' सिरसा ने उच्च न्यायालय में दायर की गयी अपनी याचिका में अदालत से अनुरोध किया है कि वह एसआईटी को पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में 1984 में दर्ज की गयी प्राथमिकी में कमलनाथ के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दे, इस मामले में पांच व्यक्तियों को बतौर आरोपी नामजद किया गया था और उन्हें कथित रूप से कांग्रेस नेता के घर पर ठहराया गया था.

ये भी पढ़ें - शराब पीकर वाहन चलाने से हुई छोटी-मोटी दुर्घटना में भी नरमी नहीं बरती जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

इन आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया. हालांकि कमलनाथ को प्राथमिकी में कभी नामजद नहीं किया गया. सिरसा ने अपनी याचिका में अदालत से अनुरोध किया है कि वह कमलनाथ को अविलंब गिरफ्तार करने का निर्देश दे. सिरसा का पक्ष अदालत में वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह और वकील गुरबख्श सिंह ने रखा. यह मामला यहां गुरद्वारा रकाबगंज में दंगाइयों द्वारा हमला से जुड़ा है. कमलनाथ ने आरोपों से इनकार किया था.

एसआईटी ने सितंबर 2019 में सात सिख विरोध दंगा मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया था जहां आरोपी या तो बरी कर दिए गए या सुनवाई बंद कर दी गई. अधिसूचना सार्वजनिक होने के बाद सिरसा ने दावा किया कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कथित रूप से उन पांच लोगों को शरण दिया था जो सात मामलों में एक में आरोपी है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.