कोलकाता : वर्ष 1961 एडिनबर्ग के प्रिंस फिलिप ने अपनी पत्नी क्वीन एलिजाबेथ- II के साथ भारत की पहली शाही यात्रा की. 1961 के भारत-ब्रिटेन के शाही जोड़े के दौरे में तत्कालीन बॉम्बे (अब मुंबई), - तत्कालीन मद्रास (अब चेन्नई), जयपुर, आगरा और अंत में- फिर कलकत्ता (अब कोलकाता) शामिल थे.
शाही जोड़े के दौरे को लेकर लोगों में खुशी की लहर थी. विशेष रूप से कोलकाता में लोगों के बीच भारी उत्साह था.
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के संवाददाताओं के अनुसार रोयाल दंपति के स्वागत के लिए कोलकाता की सड़कों पर लगभग 20 लाख लोग आए थे.
इस दौरान शाही जोड़े ने प्रतिष्ठित विक्टोरिया मेमोरियल का दौरा किया, जहां उन्हें शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों के साथ प्रतिष्ठित स्मारक की सीढ़ी पर तस्वीर खिंचवाई थी.
विक्टोरिया मेमोरियल के निदेशक जयंत सेनगुप्ता के अनुसार यह शाही जोड़े की आधिकारिक यात्रा थी और इसलिए सीढ़ी पर क्लिक की गई तस्वीर अभी भी स्मारक के संग्रह में संरक्षित है.
सेनगुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि हालांकि तस्वीर को प्रदर्शित नहीं किया गया हालांकि हम आम तौर पर शाही परिवार के सदस्यों की आधिकारिक राज्य यात्रा की तस्वीरें दिखाते हैं.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, विक्टोरिया मेमोरियल से ब्रिटेन के शाही दंपति ने महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय कप की दौड़ के लिए रॉयल कलकत्ता टर्फ क्लब का दौरा किया.
1961 में कलकत्ता और अब कोलकाता के कई लोग, जो रॉयल कपल का उत्साहपूर्ण स्वागत करने के लिए 1961 में शहर की सड़कों पर इकट्ठा हुए थे. लोग याद करते हैं कि उन्हें इतने करीब से देखना एक शानदार पल था, वह भी ऐसे समय में जब बकिंघम प्लेस के बारे में कई भ्रामक कहानियां फैली हुई थीं.
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शहर के लोगों के उत्साह से खुशी ने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया.
वर्ष 1961 में ब्रिटेन के शाही दंपति की भारत की यात्रा विशेष रूप से बाघ-शिकार की घटना के कारण यादगार थी, जिसकी मेजबानी जयपुर के महाराजा ने की थी,जबकि 1961 भारत में उनकी पहली राजकीय यात्रा का वर्ष था, बाद में 1983 और 1997 में रॉयल कपल ने दो अन्य दौरे किए.
उल्लेखनीय है कि उनकी1997 की यात्रा भारतीय स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगांठ के जश्न के अवसर पर थी.