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आज से लूज चेक और चेक बुक जारी करने पर लगेगा 18 फीसदी जीएसटी

बैंकों द्वारा चेक बुक जारी करने पर लिए जाने वाले शुल्क पर भी जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया है. जीएसटी काउंसिल की बैठक में चेक पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला हुआ है. यदि आप एक व्यवसायी हैं या ऐसे व्यक्ति हैं जो भुगतान के किसी भी अन्य तरीके की तुलना में ज्यादातर चेक का उपयोग करते हैं तो आपका खर्च बढ़ सकता है.

18% GST will be levied on issue of cheques, cheque books from July
जुलाई से लूज चेक और चेक बुक जारी करने पर लगेगा 18% जीएसटी
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Published : Jul 1, 2022, 8:20 AM IST

Updated : Jul 1, 2022, 9:57 AM IST

नई दिल्ली : बैंकों द्वारा चेक बुक जारी करने पर लिए जाने वाले शुल्क पर भी जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया है. जीएसटी काउंसिल की बैठक में चेक पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला हुआ है. यदि आप एक व्यवसायी हैं या ऐसे व्यक्ति हैं जो भुगतान के किसी भी अन्य तरीके की तुलना में ज्यादातर चेक का उपयोग करते हैं तो आपका खर्च बढ़ सकता है क्योंकि चेक जारी की लागत 18 जुलाई से बढ़ जायेगी. जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में चेक पर 18 फीसदी कर को मंजूरी दे दी गई है.

यह कर चेक जारी करने या चेक बुक लेने पर लगेगा. बैठक चंडीगढ़ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई. जुलाई से चेक और चेक बुक पर 18% जीएसटी लगेगा. वहीं मैप्स, वॉल मैप्स, हाइड्रोग्राफिक चार्ट और एटलस पर 12% जीएसटी लगेगा.

पढ़ें: GST Council Meet: क्या सस्ता क्या महंगा हुआ, ये रही लिस्ट

चेक पर जीएसटी का प्रभाव उन व्यवसायों पर प्रभाव पड़ सकता है जहां चेक अभी भी भुगतान का प्रमुख रूप है. खास तौर से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों और व्यवसायों में इसका प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, इस तरह के भुगतानों के लिए अब एक बड़ा हिस्सा रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विसेज (ईसीएस) जैसे ऑनलाइन मोड में स्थानांतरित हो गया है, लेकिन अब भी कई प्रकार के भुगतानों के लिए चेक एक पसंदीदा तरीका है.

यह विशेष रूप से वहां जहां लेन-देन के पक्ष चाहते हैं कि भुगतान का विवरण कानूनी रूप से लिखत अधिनियम के तहत कवर किया जाए. खास तौर से व्यावसायिक लेनदेन, ऋण का भुगतान जैसे गृह ऋण और ऑटोमोबाइल ऋण और अन्य ऋण में चेक का इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के लिए, गृह ऋण और ऑटोमोबाइल ऋण के मामले में, बैंक और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (एनबीएफसी) इलेक्ट्रॉनिक निकासी पर हस्ताक्षर करने के अलावा कुछ निश्चित संख्या में बिना तारीख वाले, हस्ताक्षरित चेक (6 या 12 की संख्या) में चेक जमा करने पर जोर देते हैं.

पढ़ें: WB का सीतारमण को पत्र : GST काउंसिल में बहुमत के बजाय सर्वसम्मति से लें निर्णय

कई बैंक खाता खोलते समय शुरू में सीमित संख्या में चेक मुफ्त प्रदान करते हैं. जिसमें एक चेक बुक 10 या 25 लीफ होते थे. बाद में चेक बुक के लिए शुल्क लिया जाता है. बैंकों में इन सेवाओं के लिए अपने ग्राहकों से शुल्क लेने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. जिसमें चेक बुक जारी करना, ऑनलाइन और एसएमएस अलर्ट सेवाएं, मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग शामिल हैं, जो उनके संचालन की लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. छोटे और मध्यम व्यवसायों के मामले में जो एक महीने में अपने चालू खातों में सैकड़ों और हजारों चेक का उपयोग करते हैं पर इसका प्रभाव होगा.

नई दिल्ली : बैंकों द्वारा चेक बुक जारी करने पर लिए जाने वाले शुल्क पर भी जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया है. जीएसटी काउंसिल की बैठक में चेक पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला हुआ है. यदि आप एक व्यवसायी हैं या ऐसे व्यक्ति हैं जो भुगतान के किसी भी अन्य तरीके की तुलना में ज्यादातर चेक का उपयोग करते हैं तो आपका खर्च बढ़ सकता है क्योंकि चेक जारी की लागत 18 जुलाई से बढ़ जायेगी. जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में चेक पर 18 फीसदी कर को मंजूरी दे दी गई है.

यह कर चेक जारी करने या चेक बुक लेने पर लगेगा. बैठक चंडीगढ़ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई. जुलाई से चेक और चेक बुक पर 18% जीएसटी लगेगा. वहीं मैप्स, वॉल मैप्स, हाइड्रोग्राफिक चार्ट और एटलस पर 12% जीएसटी लगेगा.

पढ़ें: GST Council Meet: क्या सस्ता क्या महंगा हुआ, ये रही लिस्ट

चेक पर जीएसटी का प्रभाव उन व्यवसायों पर प्रभाव पड़ सकता है जहां चेक अभी भी भुगतान का प्रमुख रूप है. खास तौर से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों और व्यवसायों में इसका प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, इस तरह के भुगतानों के लिए अब एक बड़ा हिस्सा रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विसेज (ईसीएस) जैसे ऑनलाइन मोड में स्थानांतरित हो गया है, लेकिन अब भी कई प्रकार के भुगतानों के लिए चेक एक पसंदीदा तरीका है.

यह विशेष रूप से वहां जहां लेन-देन के पक्ष चाहते हैं कि भुगतान का विवरण कानूनी रूप से लिखत अधिनियम के तहत कवर किया जाए. खास तौर से व्यावसायिक लेनदेन, ऋण का भुगतान जैसे गृह ऋण और ऑटोमोबाइल ऋण और अन्य ऋण में चेक का इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के लिए, गृह ऋण और ऑटोमोबाइल ऋण के मामले में, बैंक और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (एनबीएफसी) इलेक्ट्रॉनिक निकासी पर हस्ताक्षर करने के अलावा कुछ निश्चित संख्या में बिना तारीख वाले, हस्ताक्षरित चेक (6 या 12 की संख्या) में चेक जमा करने पर जोर देते हैं.

पढ़ें: WB का सीतारमण को पत्र : GST काउंसिल में बहुमत के बजाय सर्वसम्मति से लें निर्णय

कई बैंक खाता खोलते समय शुरू में सीमित संख्या में चेक मुफ्त प्रदान करते हैं. जिसमें एक चेक बुक 10 या 25 लीफ होते थे. बाद में चेक बुक के लिए शुल्क लिया जाता है. बैंकों में इन सेवाओं के लिए अपने ग्राहकों से शुल्क लेने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. जिसमें चेक बुक जारी करना, ऑनलाइन और एसएमएस अलर्ट सेवाएं, मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग शामिल हैं, जो उनके संचालन की लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. छोटे और मध्यम व्यवसायों के मामले में जो एक महीने में अपने चालू खातों में सैकड़ों और हजारों चेक का उपयोग करते हैं पर इसका प्रभाव होगा.

Last Updated : Jul 1, 2022, 9:57 AM IST
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