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18 साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़की कर सकती है निकाह: हाईकोर्ट

कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का हवाला देते हुए कहा कि 15 साल के लड़का और लड़की अपनी मर्जी से निकाह कर सकते हैं. इस मामले में उनके परिजन भी दखलंदाजी नहीं कर सकते.

17 yrs muslim girl marris 36 yrs old man
कोर्ट ने सुनाया फैसला
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Published : Feb 10, 2021, 6:25 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत 18 साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़की अपनी मर्जी से किसी भी लड़के से निकाह कर सकती है. कानूनी रूप से परिवार दखलंदाजी नहीं कर सकता. यह फैसला जस्टिस अलका सरीन ने एक मुस्लिम धार्मिक पुस्तक के आर्टिकल 195 के आधार पर दिया है.

जानकारी देतीं संवाददाता

दरअसल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में मोहाली के एक प्रेमी मुस्लिम जोड़े ने याचिका दायर की थी. 36 साल का युवक और 17 साल की मुस्लिम लड़की को एक दूसरे से प्रेम हो गया. इस साल 21 जनवरी को दोनों ने मुस्लिम रीति-रिवाज से निकाह कर दिया. यह दोनों की पहली शादी थी, लेकिन उनके परिजन इस रिश्ते से खुश नहीं थे. परिवार से दोनों को धमकियां मिल रही थीं. परिवार से धमकियां मिली तो दोनों ने अदालत का रुख किया.

17 yrs muslim girl marris 36 yrs old man
15 साल का लड़का और लड़की शादी योग्य

दोनों ने अदालत में याचिका दायर कर सुरक्षा की मांग की. वहीं, परिवार का तर्क था कि लड़की नाबालिग है, इसलिए निकाह अवैध है. इससे इतर याची पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि मुस्लिम लॉ बोर्ड के तहत 15 साल का मुस्लिम लड़का और लड़की दोनों विवाह करने के योग्य हैं.

17 yrs muslim girl marris 36 yrs old man
15 साल का लड़का और लड़की शादी योग्य

पढ़ें: महिला अफसरों को स्थायी कमीशन मामले में 24 फरवरी को अंतिम सुनवाई

इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सर डी फरदुंजी की किताब प्रिंसिपल ऑफ मोहम्मद लॉ का हवाला दिया. अदालत ने कहा कि मुस्लिम लड़का और लड़की अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्हें किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. यह मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा ही तय किया गया है.

17 yrs muslim girl marris 36 yrs old man
15 साल का लड़का और लड़की शादी योग्य
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15 साल का लड़का और लड़की शादी योग्य

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत 18 साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़की अपनी मर्जी से किसी भी लड़के से निकाह कर सकती है. कानूनी रूप से परिवार दखलंदाजी नहीं कर सकता. यह फैसला जस्टिस अलका सरीन ने एक मुस्लिम धार्मिक पुस्तक के आर्टिकल 195 के आधार पर दिया है.

जानकारी देतीं संवाददाता

दरअसल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में मोहाली के एक प्रेमी मुस्लिम जोड़े ने याचिका दायर की थी. 36 साल का युवक और 17 साल की मुस्लिम लड़की को एक दूसरे से प्रेम हो गया. इस साल 21 जनवरी को दोनों ने मुस्लिम रीति-रिवाज से निकाह कर दिया. यह दोनों की पहली शादी थी, लेकिन उनके परिजन इस रिश्ते से खुश नहीं थे. परिवार से दोनों को धमकियां मिल रही थीं. परिवार से धमकियां मिली तो दोनों ने अदालत का रुख किया.

17 yrs muslim girl marris 36 yrs old man
15 साल का लड़का और लड़की शादी योग्य

दोनों ने अदालत में याचिका दायर कर सुरक्षा की मांग की. वहीं, परिवार का तर्क था कि लड़की नाबालिग है, इसलिए निकाह अवैध है. इससे इतर याची पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि मुस्लिम लॉ बोर्ड के तहत 15 साल का मुस्लिम लड़का और लड़की दोनों विवाह करने के योग्य हैं.

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15 साल का लड़का और लड़की शादी योग्य

पढ़ें: महिला अफसरों को स्थायी कमीशन मामले में 24 फरवरी को अंतिम सुनवाई

इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सर डी फरदुंजी की किताब प्रिंसिपल ऑफ मोहम्मद लॉ का हवाला दिया. अदालत ने कहा कि मुस्लिम लड़का और लड़की अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्हें किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. यह मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा ही तय किया गया है.

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15 साल का लड़का और लड़की शादी योग्य
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15 साल का लड़का और लड़की शादी योग्य
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