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एपी के अमलापुरम में करोड़ों के नोटों, गहनों से सजी देवी वासवी कन्याका परमेश्वरी - TEMPLE DECORATED

अमलापुरम (आंध्र प्रदेश) फूलों से सजा एक मंदिर एक आम दृश्य है, लेकिन हाल ही में आंध्र प्रदेश में चल रहे नवरात्रि समारोह के हिस्से के रूप में, देवी वासवी कन्याका परमेश्वरी का 135 साल पुराना मंदिर है करोड़ों के करेंसी नोटों और सोने के गहनों से सजाया गया.

एपी के अमलापुरम में करोड़ों के नोटों, गहनों से सजी देवी वासवी कन्याका परमेश्वरी
एपी के अमलापुरम में करोड़ों के नोटों, गहनों से सजी देवी वासवी कन्याका परमेश्वरी
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Published : Oct 5, 2022, 8:08 AM IST

अमलापुरम (आंध्र प्रदेश): अमलापुरम (आंध्र प्रदेश) फूलों से सजा एक मंदिर एक आम दृश्य है, लेकिन हाल ही में आंध्र प्रदेश में चल रहे नवरात्रि समारोह के हिस्से के रूप में, देवी वासवी कन्याका परमेश्वरी का 135 साल पुराना मंदिर है करोड़ों के करेंसी नोटों और सोने के गहनों से सजाया गया. मंदिर के प्रशासकों ने बताया कि इसके लिए सोने-चांदी के जेवर और 6 करोड़ रुपये के करेंसी नोटों का इस्तेमाल किया गया. सजावट के लिए 6 किलो सोना और 3 किलो चांदी के साथ 3.5 करोड़ रुपये की रकम का इस्तेमाल किया गया.

  • Visakhapatnam, Andhra | A 135-yr-old temple of Goddess Vasavi Kanyaka Parameswari decorated with currency notes & gold ornaments worth Rs 8 cr for Navratri

    "It's public contribution & will be returned once the puja is over. It won't go to temple trust," says the Temple committee pic.twitter.com/1nWfXQwW7c

    — ANI (@ANI) September 30, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पढ़ें: मोदी ने की जेलेंस्की से बात, कहा- यूक्रेन संकट का 'सैन्य समाधान' नहीं हो सकता

इस मंदिर का निर्माण लगभग 135 साल पहले हुआ था. देवी के साथ-साथ पूरे मंदिर को करेंसी नोटों से सजाया गया है. पेड़ों पर और छत से नोटों के बंडल लटकते देखे जा सकते हैं जो भक्तों की आंखों को पकड़ लेते हैं. मंदिर लंबे समय से दशहरे के दौरान देवी को सोने और नकदी से सजाने की परंपरा का पालन कर रहा है. इसके संचालकों का कहना है कि उन्होंने 11 लाख रुपये से शुरुआत की और हर साल इस राशि को बढ़ाया है.

पढ़ें: विदेश मंत्री जयशंकर आज से 11 अक्टूबर तक न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के दौरे पर

मंदिर समिति ने कहा कि यह एक सार्वजनिक योगदान है और पूजा समाप्त होने के बाद इसे वापस कर दिया जाएगा. यह मंदिर ट्रस्ट के पास नहीं जाएगा. वासवी कन्याका परमेश्वरी एक हिंदू देवी हैं, जिन्हें उनके अनुयायियों इनको पार्वती का ही एक रूप में मानते हैं. कभी-कभी वैष्णव परंपरा में लक्ष्मी के रूप के रूप में भी पहचानी जाती है. वासवी की किंवदंती का कोई प्रामाणिक संस्करण नहीं है. उनके बारे में अलग-अलग कथायें प्रतलित हैं. बार्ड द्वारा गाए गए मौखिक खाते क्षेत्रों, धार्मिक संप्रदायों, जातियों और उप-जातियों के बीच भिन्न होते हैं.

अमलापुरम (आंध्र प्रदेश): अमलापुरम (आंध्र प्रदेश) फूलों से सजा एक मंदिर एक आम दृश्य है, लेकिन हाल ही में आंध्र प्रदेश में चल रहे नवरात्रि समारोह के हिस्से के रूप में, देवी वासवी कन्याका परमेश्वरी का 135 साल पुराना मंदिर है करोड़ों के करेंसी नोटों और सोने के गहनों से सजाया गया. मंदिर के प्रशासकों ने बताया कि इसके लिए सोने-चांदी के जेवर और 6 करोड़ रुपये के करेंसी नोटों का इस्तेमाल किया गया. सजावट के लिए 6 किलो सोना और 3 किलो चांदी के साथ 3.5 करोड़ रुपये की रकम का इस्तेमाल किया गया.

  • Visakhapatnam, Andhra | A 135-yr-old temple of Goddess Vasavi Kanyaka Parameswari decorated with currency notes & gold ornaments worth Rs 8 cr for Navratri

    "It's public contribution & will be returned once the puja is over. It won't go to temple trust," says the Temple committee pic.twitter.com/1nWfXQwW7c

    — ANI (@ANI) September 30, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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इस मंदिर का निर्माण लगभग 135 साल पहले हुआ था. देवी के साथ-साथ पूरे मंदिर को करेंसी नोटों से सजाया गया है. पेड़ों पर और छत से नोटों के बंडल लटकते देखे जा सकते हैं जो भक्तों की आंखों को पकड़ लेते हैं. मंदिर लंबे समय से दशहरे के दौरान देवी को सोने और नकदी से सजाने की परंपरा का पालन कर रहा है. इसके संचालकों का कहना है कि उन्होंने 11 लाख रुपये से शुरुआत की और हर साल इस राशि को बढ़ाया है.

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मंदिर समिति ने कहा कि यह एक सार्वजनिक योगदान है और पूजा समाप्त होने के बाद इसे वापस कर दिया जाएगा. यह मंदिर ट्रस्ट के पास नहीं जाएगा. वासवी कन्याका परमेश्वरी एक हिंदू देवी हैं, जिन्हें उनके अनुयायियों इनको पार्वती का ही एक रूप में मानते हैं. कभी-कभी वैष्णव परंपरा में लक्ष्मी के रूप के रूप में भी पहचानी जाती है. वासवी की किंवदंती का कोई प्रामाणिक संस्करण नहीं है. उनके बारे में अलग-अलग कथायें प्रतलित हैं. बार्ड द्वारा गाए गए मौखिक खाते क्षेत्रों, धार्मिक संप्रदायों, जातियों और उप-जातियों के बीच भिन्न होते हैं.

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