हैदराबाद : भारतीय जनता पार्टी के सांसद रामस्वरूप शर्मा का शव बुधवार को संदिग्ध हालात में दिल्ली स्थित उनके आवास पर मिला. इससे पूर्व दादर नगर हवेली से लोकसभा सांसद का शव मुंबई के होटल में संदिग्ध अवस्था में मिला था. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक कुल 13 सांसद इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. इनमें से 8 लोकसभा और 4 राज्यसभा सदस्य थे. एक नजर.
रामस्वरूप शर्मा
राम स्वरूप शर्मा हिमाचल की मंडी लोकसभा सीट से सांसद थे. बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मंडी सीट से टिकट दिया था. जहां उन्होंने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और तत्कालीन सांसद प्रतिभा सिंह को हराया था. बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी रामस्वरूप शर्मा पर भरोसा जताया, जिस पर रामस्वरूप शर्मा खरे उतरे थे.
रामस्वरूप शर्मा आरएसएस से जुड़े रहे और सांसद बनने के बाद वो विदेश मामलों की स्थायी समिति के सदस्य रहे. इससे पहले वो हिमाचल में खाद्य आपूर्ति निगम के वाइस चेयरमैन भी रहे. बुधवार को दिल्ली में सांसद राम स्वरूप शर्मा का शव संदिग्ध हालात में उनके आवास से मिला.
मोहन देलकर
बीते माह 22 फरवरी को दादर और नगर हवेली से सांसद मोहन देलकर ने मुंबई के एक होटल में खुदकुशी कर ली थी. पुलिस को मौके पर एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था. पुलिस फिलहाल इस मामले की जांच कर रही है. मोहन देलकर दादर और नगर हवेली से 7 बार सांसद रहे. इस दौरान वो बीजेपी और कांग्रेस की टिकट से भी संसद पहुंचे. 2019 लोकसभा चुनाव में देलकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की
नंद कुमार चौहान
खंडवा से बीजेपी सांसद नंद कुमार चौहान का निधन इसी साल 2 मार्च को हुआ था. चौहान लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे और वो कोरोना से भी संक्रमित थे. उनका इलाज दिल्ली के मेदांता अस्पताल में चल रहा था. गंभीर हालत के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. नंद कुमार 3 बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहने के अलावा 6 बार खंडवा सांसद भी रहे.
एच वसंतकुमार
हरिकृष्ण वसंतकुमार तमिलनाडु की कन्याकुमारी सीट से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे. 28 अगस्त 2020 को 70 साल की उम्र में चेन्नई के अस्पताल में निधन हो गया था. वसंत कुमार को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. वो 2019 में पहली बार सांसद चुने गए थे. इससे पहले वो दो बार तमिलनाडु विधान सभा के सदस्य भी रहे. राजनेता के अलावा वसंतकुमार एक सफल बिजनेसमैन भी थे.
सुरेश अंगड़ी
मोदी कैबिनेट में रेल राज्यमंत्री रहे सुरेश अंगड़ी का 65 साल की उम्र में 23 सितंबर 2020 को निधन हो गया था. सुरेश अंगड़ी कोरोना संक्रमित थे और दिल्ली के एम्स में उनका इलाज चल रहा था. अंगड़ी कर्नाटक में बीजेपी का चेहरा रहे और कभी भी चुनाव नहीं हारे. वे 2004 से 2019 तक लगातार चार बार कर्नाटक की बेलगावी सीट से सांसद चुने गए.
बल्ली दुर्गा प्रसाद राव
बल्ली दुर्गा प्रसाद राव 2019 में वाईएसआर कांग्रेस की टिकट पर आंध्र प्रदेश की तिरुपति सीट से लोकसभा पहुंचे थे. सितंबर 2020 में राव कोरोना संक्रमित हो गए थे. 16 सितंबर 2020 को हृदय गति रूकने के कारण चेन्नई के अस्पताल में उनका निधन हो गया था. राव 2019 में लोकसभा पहुंचने से पहले 4 बार विधायक रहे. राव 28 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने थे.
बैद्यनाथ प्रसाद महतो
बैद्य प्रसाद महतो बिहार की वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट से जेडीयू सांसद थे. 28 फरवरी 2020 को लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. महतो 3 बार बिहार विधानसभा के सदस्य रहने के साथ बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके थे. 2019 लोकसभा चुनाव के अलावा वो 2009 के लोकसभा चुनाव में भी जीत दर्ज कर चुके थे.
रामचंद्र पासवान
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के सांसद रामचंद्र पासवान का 21 जुलाई 2019 को निधन हो गया था. 12 जुलाई को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां 57 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली.
रामचंद्र पासवान पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के छोटे भाई थे. रामचंद्र पासवान कुल 4 बार लोकसभा चुनाव जीते. साल 2019 में वो समस्तीपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. इन 8 लोकसभा सांसदों के अलावा 2019 के बाद 5 राज्यसभा सदस्य भी इस दुनिया को छोड़कर चले गए.
अमर सिंह
राज्यसभा सांसद अमर सिंह का निधन 1 अगस्त 2020 को सिंगापुर के अस्पताल में हुआ था. वो किडनी संबंधित बीमारी से ग्रसित थे. चार बार राज्य सभा सदस्य रहे अमर सिंह ने 64 साल की उम्र में अंतिम सांस ली थी. वे पूर्व सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के बहुत करीबी थे लेकिन साल 2010 में उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
अहमद पटेल
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल का निधन 25 नवंबर 2020 को हुआ था. पटेल भी कोरोना संक्रमित हुए थे. जिसके बाद उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था. उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहां 71 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे गुजरात के भरूच सीट से तीन बार लोकसभा चुनाव जीते थे. जबकि वो पांच बार राज्यसभा सांसद चुने गए. पटेल गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाते थे. वो राजीव गांधी के संसदीय सचिव और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव भी रहे.
राम विलास पासवान
पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया था. वो लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. पासवान को सियासत का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था. जानकार कहते थे कि वो पहले ही भांप लेते थे कि चुनाव में किसका पलड़ा भारी है. साल 1977 में वो जनता दल की टिकट पर बिहार की हाजीपुर सीट से लोकसभा पहुंचे थे. पासवान नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे. इस दौरान वो केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. 1989 के बाद से दो मंत्रिमंडल छोड़कर वो सभी में मंत्री रहे. इस दौरान उन्होंने कोयला, दूर संचार, खाद्य आपूर्ति, रेल जैसे बड़े मंत्रालय संभाले. रामविलास पासवान को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी नवाजा गया.
अभय भारद्वाज
गुजरात से भाजपा के राज्यसभा सदस्य अभय भारद्वाज का 1 दिसंबर 2020 को कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया था. भारद्वाज ने निधन से करीब पांच माह पहले 22 जुलाई 2020 को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ली थी.
पेशे से वकील अभय भारद्वाज का जन्म 2 अप्रैल 1954 को अफ्रीकी देश युगांडा में हुआ था. जहां गृह युद्ध छिड़ने के बाद उनका परिवार साल 1969 में भारत लौट आया था. अभय भारद्वाज कॉलेज के दिनों से ही एबीवीपी और आरएसएस से जुड़े थे. राज्यसभा सदस्य चुने जाने से पहले साल 1995 में वो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में गुजरात की राजकोट पश्चिम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके थे लेकिन उन्हें हार मिली था.
अशोक गस्ती
कर्नाटक के रायचूर से संबंध रखने वाले अशोक गस्ती बीजेपी की टिकट पर राज्यसभा पहुंचे थे. कोरोना पॉजीटिव होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. अशोक गस्ती का 55 साल की उम्र में 17 सितंबर 2020 को निधन हो गया था. पेशे से वकील अशोक गस्ती बीजेपी और आरएसएस के सदस्य थे. उन्होंने 26 जून 2020 को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ली. इस पद पर वो तीन महीने से भी कम रहे