करूर: तमिलनाडु के करूर जिले में परमथी थेनिलाई चिन्नाधारापुरम और अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पत्थर खदानें चल रही हैं, जिसमें 76 सामान्य पत्थर खदानें और पट्टे की भूमि पर तीन खदानें सरकारी अनुमति के तहत चल रही हैं. करूर जिले में 42 खदानों के निरीक्षण किया गया, उसके बाद राजस्व आयुक्त को रिपोर्ट भेजी गई. रिपोर्ट मिलने के बाद राजस्व आयुक्त ने करूर जिले की 12 खदान कंपनियों पर 44 करोड़ 65 लाख 28 हजार 357 रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
इसके साथ ही त्रिची जिले के श्रीरंगम निर्वाचन क्षेत्र से डीएमके विधानसभा के सदस्य पलानीनिधि द्वारा संचालित खदान पर 23.54 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. खबर है कि करूर जिले में अन्य 30 खदानों के लिए जुर्माने की रकम की गणना की जा रही है. दरअसल, पर्यावरणविद् मुकिलन और अन्य लोगों ने सरकार से शिकायत की है कि परमिट अवधि समाप्त होने के बाद भी खदानें नियमों का उल्लंघन कर चल रही हैं और सरकारी नियमों का पालन किए बिना पत्थर खदानों में विस्फोट किया जा रहा है.
खदानकर्मी कर रहे प्रदर्शन: करूर जिले में पहले से ही खदानकर्मी पिछले एक हफ्ते से बिना काम किए प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मामले में सरकार की ओर से नियमों का उल्लंघन करने वाले खदानों पर जुर्माना लगाकर कार्रवाई की गई है.
हाईकोर्ट पहुंचा मामला: आपको बता दें कि साल 2021 में मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै शाखा में शिवा ने एक याचिका दायर की थी कि करूर जिले में 335 खदानें नियमों के उल्लंघन में चल रही हैं. क्योंकि वह अनुमति के लिए सरकार से आवेदन कर रहे थे. 100 खदानों की अनुमति जिन खदानों को दी जा चुकी है, सरकार को उनका निरीक्षण करना चाहिए. इस याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति पुष्पा सत्यनारायण और न्यायमूर्ति वेलमुरुगन की पीठ ने की. उस समय कोर्ट ने खान विभाग और पर्यावरण विभाग को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सरकार को खदानों में नियमों की समीक्षा के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था.
इस मामले में करूर जिले में नई पत्थर खदानों की अनुमति देने के लिए नियमित रूप से सुनवाई बैठकें आयोजित की जा रही थीं. पर्यावरणविद और जनता पत्थर खदान परामर्श बैठक में कहते रहे हैं कि नये पत्थर खदानों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
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करूर के जिला कलेक्टर और खान उप निदेशक ने अदालत द्वारा जारी आदेश को लागू नहीं किया और मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै शाखा में अदालत की अवमानना का मामला दायर किया गया. इसके परिणामस्वरूप 12 जून को उच्च न्यायालय मदुरै शाखा के न्यायाधीश मुरली शंकर ने तुरंत खदानों की जांच की और एक आदेश में कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाली खदानों से जुर्माना वसूला जाना चाहिए.