मैसूर: कर्नाटक में मैसूर के वरुणा गांव में 26 तारीख को सीवरेज कार्य के दौरान प्राचीन जैन मूर्तियां मिली. इनमें से एक मूर्ति कुष्माण्डिनी की और एक जैन तीर्थंकर की है. दूसरी मूर्ति का सिर्फ सिर ही मिला है. इतिहासकारों का कहना है कि ये मूर्तियां 11वीं शताब्दी के आसपास गंगा और होयसल युग की हैं. मूर्तियों को मैसूर के वेलिंग्टन भवन स्थित सरकारी संग्रहालय में भेज दिया गया, जहां विशेषज्ञों द्वारा आगे का शोध किया जा रहा है.
बताया जा रहा है कि जेसीबी पर काम करते समय मूर्तियां मिलीं और ग्रामीणों ने तुरंत काम रोक दिया और मामले की सूचना मैसूर में पुरातत्व और विरासत विभाग को दी गई. विभाग की उपनिदेशक मंजुला, इतिहासकार और विरासत विशेषज्ञ प्रोफेसर रंगराजू के नेतृत्व में एक टीम मौके पर पहुंची और निरीक्षण किया.
खंडित मूर्तियां भी मिलीं: इतिहासकार प्रोफेसर एनएस रंगराजू ने ईटीवी भारत को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 'तीन जैन मूर्तियां मिलीं हैं, जो टूटी हुई हालत में हैं. कुष्माण्डिनी देवी की मूर्ति का हाथ टूट गया है. एक और जैन तीर्थंकर की मूर्ति के हाथ-पैर टूटे हुए हैं. एक मूर्ति का सिर्फ सिर ही मिला है. संभव है कि ये कार्य के दौरान जेसीबी से क्षति हुई होगी.
उन्होंने कहा कि 'ये गंगा और होयसल काल के दौरान इन गांवों में होयसल मंदिरों के निशान हैं. यदि उस स्थान पर अधिक खुदाई की जाए, जहां मूर्तियां मिली थीं, तो कई और मूर्तियां मिल सकती हैं. टी नरसिपुर के पास तलकाड में गंगा के शासन के दौरान तालाकाडु, हेममिगे, मूगुरु, टी नरसीपुर, वरकुडु, वरुणा, वजमंगला, मैसूर बाहरी इलाके, कुमारबिदु मुख्य जैन गांव थे. वे श्रवणबेलगोला जाने के लिए इस मार्ग का उपयोग करते थे. रास्ते में जैन मूर्तियां थीं.