सिरसा : हरियाणा के सिरसा जिले में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा (Deputy Speaker Ranbir Gangwa Car Attack) की गाड़ी पर हमला करने के मामले में दो नामजद और करीब सौ किसानों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. वहीं इस मामले में पांच किसानों को वीडियोग्राफी के आधार पर गिरफ्तारी की गई है.
किसानों पर राजद्रोह का मामला दर्ज होने और किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद जिले के किसान प्रदर्शन पर उतर आए हैं. गुरुवार को भी किसानों ने सिरसा शहर के भुमण शाह चौक पर इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन किया, इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गई.
किसानों ने रोका काफिला
बता दें कि, रविवार को सिरसा में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय (Chaudhary Devi Lal University) में भाजपा का कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा सहित अन्य नेता शरीक हुए. वहीं कार्यक्रम के बाद जब डिप्टी स्पीकर और अन्य नेता वापस लौट रहे थे तो किसानों ने उनका काफिला रोक लिया और पथराव शुरू कर दिया. इस दौरान किसानों ने डिप्टी स्पीकर की गाड़ी के शीशे तोड़ दिए व पुलिस पर भी पथराव किया.
पुलिस को करनी पड़ी कड़ी मशक्कत
किसी तरह पुलिस ने डिप्टी स्पीकर के काफिले को किसानों के विरोध के बीच वहां से निकलवाया. इससे पहले रविवार को ही किसानों ने चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय में ही सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल (Sunita Duggal) और जिलाध्यक्ष आदित्य देवी लाल का भी विरोध किया था. कुछ किसान काले झंडे लेकर और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए यूनिवर्सिटी में भी घुस गए थे, लेकिन वहां मौजूद पुलिस ने किसानों को हिरासत में ले लिया था.
आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने आजादी के 75 साल बाद भी देशद्रोह कानून होने की उपयोगिता पर केंद्र से सवाल किया. अदालत ने सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों पर पुलिस द्वारा राजद्रोह कानून का दुरुपयोग किए जाने पर भी चिंता व्यक्त की. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, यह महात्मा गांधी, तिलक को चुप कराने के लिए अंग्रेजों द्वारा इस्तेमाल किया गया एक औपनिवेशिक कानून है. फिर भी, आजादी के 75 साल बाद भी यह जरूरी है?
पूरी खबर पढ़ें- आजादी के 75 साल बाद भी राजद्रोह कानून की जरूरत क्यों : सुप्रीम कोर्ट