जयपुर. राजधानी जयपुर का जेके लोन अस्पताल बच्चों के इलाज से जुड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है. जहां लगभग हर तरह का इलाज उपलब्ध है और अब इस अस्पताल में बच्चों में होने वाले कैंसर का इलाज भी आसानी से हो सकेगा. इसके लिए अस्पताल में 100 बेड का फैब्रिकेटेड वार्ड तैयार किया जा रहा है. संभवतः इतनी बड़ी संख्या में एक साथ बच्चों का इलाज करने वाला जेके लोन अस्पताल देश का सरकारी क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल बन जाएगा. जिसके बाद लगभग हर प्रकार के कैंसर का इलाज इस अस्पताल में हो (Cancer treatment in JK Loan Hospital) सकेगा.
पिछले कुछ सालों में जेके लोन अस्पताल ने बच्चों में होने वाले कैंसर के इलाज को लेकर बड़े कदम उठाए हैं. अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कपिल गर्ग का कहना है कि वर्ष 2011 और 12 से पहले जेके लोन अस्पताल में कैंसर का इलाज नहीं होता था. यदि बच्चा रेफर होकर यहां आता था, तो उसे इलाज के लिए दिल्ली भेजा जाता था, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे कैंसर के इलाज से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को जेके लोन अस्पताल में तैयार किया गया. इसके लिए खुद विशेष ट्रेनिंग के लिए डॉ कपिल गर्ग दिल्ली एम्स गए. जहां बच्चों में होने वाले कैंसर और उसके इलाज से जुड़ी ट्रेनिंग ली.
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डॉ कपिल गर्ग के अलावा दो अन्य चिकित्सक भी मौजूदा समय में अपनी सेवाएं जेके लोन अस्पताल में दे रहे हैं जो कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज कर रहे हैं. डॉ कपिल का कहना है कि शुरुआती समय में जब जेके लोन अस्पताल में कैंसर का इलाज शुरू किया गया तो इंफ्रास्ट्रक्चर काफी कम था. ऐसे में कुछ एनजीओ को जोड़ा गया, जो बच्चों के इलाज में होने वाले खर्चे को वहन करते थे. डॉ कपिल का कहना है कि आमतौर पर कैंसर से जुड़ी जांचे महंगी होती हैं. ऐसे में इन एनजीओ द्वारा सभी बच्चों कि जांचों का खर्चा वहन किया गया. मौजूदा समय में भी कुछ जांचें जो अस्पताल में नहीं होती हैं, उनका खर्चा भी एनजीओ द्वारा ही वहन किया जा रहा है.
भामाशाह और चिरंजीवी से फायदा: डॉ कपिल का कहना है कि शुरुआत में कैंसर की दवाइयां भी काफी महंगी आती थीं, लेकिन इसके बाद सरकार की ओर से भामाशाह और चिरंजीवी योजना शुरू की गई. इसके बाद काफी राहत मिली है. अब लगभग सभी कैंसर की दवाइयां मरीजों को निशुल्क मिल पा रही हैं. डॉक्टर कपिल गर्ग का कहना है कि कैंसर पीड़ित बच्चों में मुख्यतः तीन जांचें होती हैं, जिनमें से एक जांच जेके लोन अस्पताल में उपलब्ध है. लेकिन अभी भी साइटोजेनेटिक और एमआरडी की जांच अस्पताल में नहीं हो पा रही. बाहर इन जांचों का खर्चा करीब 8 से 10 हजार रुपए के लगभग आता है.
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सिर्फ 10 फीसदी मोर्टेलिटी: अब तक जेके लोन अस्पताल में तकरीबन 700 से अधिक कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज किया जा चुका है. मौजूदा समय में करीब 300 से अधिक बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं. इन बच्चों का इलाज कर रहे चिकित्सक कपिल गर्ग का कहना है कि बेहतर इलाज के कारण अस्पताल में कैंसर पीड़ित बच्चों की मोर्टेलिटी सिर्फ 10 फीसदी है. करीब 200 से अधिक कैंसर पीड़ित बच्चे ऐसे हैं जो कैंसर मुक्त होकर आम जिंदगी जी रहे हैं.
अस्पताल के पास 60 से 70 सामान्य बेड और आईसीयू बेड ही इलाज के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन जैसे ही 100 बेड का फैब्रिकेटेड वार्ड तैयार हो जाएगा उसके बाद कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज और भी आसानी से किया जा सकेगा. अधिक से अधिक कैंसर पीड़ित बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया जा सकेगा. डॉ कपिल गर्ग का कहना है कि आमतौर पर बच्चों में सबसे अधिक ब्लड कैंसर के मामले देखने को मिलते हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप होने के बाद अस्पताल में गरीब से गरीब व्यक्ति के बच्चे का भी इलाज संभव हो सकेगा. कैंसर पीड़ित के अलावा अस्पताल में 500 से अधिक थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों का इलाज भी किया जा रहा है.
हर तरह की खुशी होती है सेलिब्रेट: डॉ कपिल गर्ग का कहना है कि अस्पताल के कैंसर वार्ड में हर खुशी को सेलिब्रेट किया जाता है. हर त्योहार पर बच्चों के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं. डॉ गर्ग का कहना है कि कुछ साल पहले इन कैंसर पीड़ित बच्चों की ओर से राखियां बनाई गई थीं जिन्हें बाजार में बेचा भी गया. अलग-अलग चीजें बच्चों को अस्पताल में सिखाई जाती हैं. इसके अलावा इलाज के दौरान जिन बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है, उनको अस्पताल में पढ़ाया भी जा रहा है.