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10 Years Old Powerlifter Girl: महाराष्ट्र की कृपा ने 97 किलोग्राम भार उठाकर किया स्वर्ण पदक पर कब्जा, पढ़ें उसकी कहानी

एक पुरानी कहावत है कि 'पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं'. कुछ ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के अमरावती में सामने आया, जहां एक 10 साल की लड़की ने राष्ट्रीय शक्ति भारोत्तोलन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया है. इस प्रतियोगिता में उसने 97 किलोग्राम का भार उठाया.

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Published : Jan 19, 2023, 7:33 PM IST

10 year old girl won gold medal in weightlifting
10 साल की लड़की ने भारोत्तोलन में जीता स्वर्ण पदक
10 साल की लड़की ने भारोत्तोलन में जीता स्वर्ण पदक

अमरावती: महाराष्ट्र के अमरावती में एक 10 साल की लड़की ने अपने माता-पिता और परिवार का नाम रौशन किया है. इस लड़की का नाम कृपा है और यह एक पावरलिफ्टर है. दरअसल उसकी मौसी एक बॉडी बिल्डर हैं और कुछ सालों पहले वह पुणे में अपनी मौसी के यहां गई. वहां से वापस अपने माता-पिता के पास आने के बाद उसने अपने कहा कि उसे उसकी मौसी जैसा ही बॉडी बिल्डर बनना है. जिसके बाद कोरोना काल में पुणे गई कृपा ने पावरलिफ्टर बनने का फैसला किया.

वह 5वीं कक्षा की छात्रा है और एक दिन उसने अपने स्कूल की जिम में 55 किलो वजन उठाया, जिसे देखकर उसकी प्रिंसिपल हैरान रह गई. उन्होंने उसके अंदर की लगन को पहचान लिया और इस बात की जानकारी उसके माता-पिता को दी. इसके बाद उसके माता-पिता ने अपने घर के पास ही एक जिम में वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग शुरू करा दी. इसके साथ ही वह पुणे में पॉवरलिफ्टर क्षेत्र में कार्यरत एक मंडली के संपर्क में भी थी. इस दौरान पुणे में रहने वाली उसकी मौसी भी उसका मार्गदर्शन करती रही.

इस दौरान कृपा को छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाली एक राष्ट्रीय शक्ति भारोत्तोलन प्रतियोगिता के बारे में जानकारी हुई और उसने इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया. कृपा ने इस कॉम्पिटीशन के लिए जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है. कृपा ने अपनी ट्रेनिंग 30 किलो वजन उठाने से शुरू हुई और उसका अंतिम भारोत्तोलन 97 किलो तक गया. कक्षा पांच की छात्रा कृपा आज दस साल की है और उसका वजन 43 किलो है. लेकिन उसने महाराष्ट्र में सबसे कम उम्र की पावरलिफ्टर बनने के लिए खुद के वजन से दोगुना वजन उठाया है.

पढ़ें: Dispute at Agra Fort: आगरा किला में एंट्री को लेकर महाराष्ट्र के पर्यटकों का हंगामा, झंडे के साथ चाहते थे प्रवेश

छत्तीसगढ़ के रायपुर में 5 से 8 जनवरी के बीच हुई पावर लिफ्टर प्रतियोगिता में कृपा ने स्वर्ण पदक जीता. उसकी उम्र अन्य खिलाड़ियों की तुलना में सबसे कम थी. लेकिन इसके बाद भी उसने 97.5 किलो वजन उठाकर पहला स्थान हासिल किया. वह अंतरराष्ट्रीय कोच दगडू गवले के नेतृत्व में नेशनल पावरलिफ्टिंग के लिए खेलने गई थी. वह अपनी सफलता का श्रेय प्रिंसिपल पद्मश्री देशमुख, अखाड़ा जिम के स्वराज, समर्थक मानकर, श्रेयस मेट, माता-पिता और मौसी को देती है.

10 साल की लड़की ने भारोत्तोलन में जीता स्वर्ण पदक

अमरावती: महाराष्ट्र के अमरावती में एक 10 साल की लड़की ने अपने माता-पिता और परिवार का नाम रौशन किया है. इस लड़की का नाम कृपा है और यह एक पावरलिफ्टर है. दरअसल उसकी मौसी एक बॉडी बिल्डर हैं और कुछ सालों पहले वह पुणे में अपनी मौसी के यहां गई. वहां से वापस अपने माता-पिता के पास आने के बाद उसने अपने कहा कि उसे उसकी मौसी जैसा ही बॉडी बिल्डर बनना है. जिसके बाद कोरोना काल में पुणे गई कृपा ने पावरलिफ्टर बनने का फैसला किया.

वह 5वीं कक्षा की छात्रा है और एक दिन उसने अपने स्कूल की जिम में 55 किलो वजन उठाया, जिसे देखकर उसकी प्रिंसिपल हैरान रह गई. उन्होंने उसके अंदर की लगन को पहचान लिया और इस बात की जानकारी उसके माता-पिता को दी. इसके बाद उसके माता-पिता ने अपने घर के पास ही एक जिम में वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग शुरू करा दी. इसके साथ ही वह पुणे में पॉवरलिफ्टर क्षेत्र में कार्यरत एक मंडली के संपर्क में भी थी. इस दौरान पुणे में रहने वाली उसकी मौसी भी उसका मार्गदर्शन करती रही.

इस दौरान कृपा को छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाली एक राष्ट्रीय शक्ति भारोत्तोलन प्रतियोगिता के बारे में जानकारी हुई और उसने इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया. कृपा ने इस कॉम्पिटीशन के लिए जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है. कृपा ने अपनी ट्रेनिंग 30 किलो वजन उठाने से शुरू हुई और उसका अंतिम भारोत्तोलन 97 किलो तक गया. कक्षा पांच की छात्रा कृपा आज दस साल की है और उसका वजन 43 किलो है. लेकिन उसने महाराष्ट्र में सबसे कम उम्र की पावरलिफ्टर बनने के लिए खुद के वजन से दोगुना वजन उठाया है.

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छत्तीसगढ़ के रायपुर में 5 से 8 जनवरी के बीच हुई पावर लिफ्टर प्रतियोगिता में कृपा ने स्वर्ण पदक जीता. उसकी उम्र अन्य खिलाड़ियों की तुलना में सबसे कम थी. लेकिन इसके बाद भी उसने 97.5 किलो वजन उठाकर पहला स्थान हासिल किया. वह अंतरराष्ट्रीय कोच दगडू गवले के नेतृत्व में नेशनल पावरलिफ्टिंग के लिए खेलने गई थी. वह अपनी सफलता का श्रेय प्रिंसिपल पद्मश्री देशमुख, अखाड़ा जिम के स्वराज, समर्थक मानकर, श्रेयस मेट, माता-पिता और मौसी को देती है.

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