कुछ दिनों पहले हुए एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में सामने आया था कि जापानी आहार शैली का पालन करने से गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग या एनएएफएलडी से पीड़ित लोगों में समस्या के बढ़ने की गति को धीमा करने में मदद मिल सकती है. MDPI में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया था कि जापानी कूजीन के शामिल ऐसे आहार जिनमें सोया खाद्य पदार्थ, सी-फूड और सीवीड़ होते हैं वे लीवर में फाइब्रोसिस की प्रगति को धीमा करने में सक्षम होते हैं. एमडीपीआई में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जापान के ओसाका मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी अस्पताल में NAFLD से पीड़ित 136 लोगों पर शोध किया था.
इस शोध को लेकर मेडिकल न्यूज टुडे में प्रकाशित सूचना में बताया गया था कि शोध के दौरान प्रतिभागियों को 12 कंपोनेन्ट वाला जापानी डाइट बॉक्स दिया गया था. शोध के मूल्यांकन में पाया गया था कि जिन प्रतिभागियों ने सोया, सी-फूड, और सीवीड का ज्यादा मात्रा में सेवन किया था उनमें गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग के साथ लीवर फाइब्रोसिस की प्रगति भी धीमी हुई थी, वहीं उनमें मसल मास का निर्माण अधिक मात्रा में हुआ था. गौरतलब है कि इस 12 कंपोनेन्ट वाले जापानी डाइट बॉक्स में जापानी आहार में खाए जाने वाले 12 प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल किए थे. जिनमें चावल, मिसो सूप, अचार, सोया उत्पाद, हरी और पीली सब्जियां, फल, सीफूड, मशरूम, सीवीड , ग्रीन टी, कॉफी तथा गोमांस और सूअर का मांस शामिल थे.
सेहत के लिए लाभकारी है जापानी कूजीन
जापानी आहार के सेहत के लिए फ़ायदों की पुष्टि इसके अलावा कई अन्य शोध में भी हो चुकी है. आजकल जापानी आहार वैसे भी दुनिया भर में काफी ज्यादा ट्रेंडी हो रहा है. सूशी, मिसो सूप, वेजिटेबल पिकल (अचार), टोफू से बने आहार, जापानी स्टाइल की मछली सहित अन्य जापानी आहार आजकल दुनियाभर में काफी ज्यादा पसंद किए जाते हैं. जापानी आहार के ट्रेंडी होने के कारण स्वाद के साथ सेहत के लिए उसके फ़ायदों को भी माना जाता है.
कहा जाता है कि जापानी लोग ज्यादा लंबी उम्र जीते हैं जिसका लिए उनकी बेहद सक्रिय जीवनशैली तथा आहार व आहार व्यवहार जिम्मेदार होते हैं . वर्ष 2019 में जीवन प्रत्याशा पर एक रिपोर्ट आई थी जिसके अनुसार दुनिया भर में जापानी लोग सबसे ज्यादा जीते हैं. उस समय के आंकड़ों के अनुसार जापान में लगभग 23 लाख लोगों की लोगों की उम्र 90 साल के पार थी, जबकि 71000 हजार से ज्यादा लोगों की उम्र 100 वर्ष से ज्यादा पाई गई थी.
जापानी कूजीन व उसके फ़ायदों के बारे में ज्यादा जानने के लिए ETV भारत सुखीभव ने नई दिल्ली की आहार विशेषज्ञ डॉ दिव्या शर्मा तथा मुंबई के एक होटल में जापानी कूजीन के शेफ मानव बिजलानी से जानकारी ली. मानव बिजलानी बताते हैं कि जापानी आहार विशेषकर जापान में खाए जाने वाला रोजमर्रा का आहार सादा, ताजा तथा स्वाद के अनुसार संतुलित होता है. जापानी आहार में सब्जियों का इस्तेमाल काफी ज्यादा तथा अलग अलग प्रकार से किया जाता है. वहीं उन्हे पकाने का भी विशेष ध्यान रखा जाता है.
जापानी कूजीन में चाहे शाकाहार हो या मांसाहार ज्यादातर ताजा ही इस्तेमाल होता है. वहीं ज्यादातर उन्हे भाप में उबाल कर या पका कर तथा भून कर ही इस्तेमाल किया जाता है. जिससे उनके पौष्टिक तत्व नष्ट नहीं होते हैं. उनके आहार में ज्यादातर सी फूड, सीवीड सोयाबीन व उससे बने खाद्य पदार्थ , फर्मेंटेड फूड, सब्जियां, खास प्रकार के चावल तथा चाय (ग्रीन टी) जैसे उत्पाद शामिल होते हैं. लेकिन जापानी आहार में मांस, चीनी, आलू और डेयरी उत्पाद कम इस्तेमाल होते हैं.
वह बताते हैं कि सिर्फ आहार का प्रकार ही नहीं बल्कि उनका आहार व्यवहार यानी भोजन से जुड़े नियम भी सेहत को फायदा पहुंचने वाले होते हैं. जैसे वे एक बार में छोटे पोर्शन में यानी कम मात्रा में आहार लेते हैं, साथ ही खाने के “हारा हचिबु” नियम का पालन करते हैं यानी जब उनका पेट 80% तक भर जाता तो वे उसके बाद भोजन नहीं करते हैं. इससे उनका वजन भी नियंत्रित रहता है.
जापानी आहार के फायदे : Japanese Diet Benefits
डॉ दिव्या शर्मा भी बताती हैं कि जापानी डाइट एक बैलेंस डाइट होती है. वह बताती हैं कि हालांकि किसी भी क्षेत्र का नियमित आहार हमेशा देश, काल व परिस्थिति के अनुसार होना चाहिए, क्योंकि हर तरह के मौसम, वातावरण और उपलब्धता के अनुसार ही आहार फायदे देता है. वह बताती हैं कि जापानी कूजीन में परोसे जाने वाले आहार तथा उन्हे बनाने के तरीका दोनों ही सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. इस आहार शैली में परोसे जाने वाले सी फूड,सोया व उससे बने सूप-टोफू व अन्य प्रकार के खाद्य पदार्थ, सीवीड ,ताजी सब्जियां व उनसे बने पिकल तथा फ़र्मन्टिड़ आहार ना सिर्फ पोषण से भरपूर होते हैं बल्कि सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद भी होते हैं. जापानी आहार में ज़्यादातर इस्तेमाल होने वाले खाद्यपदार्थ व उनके कुछ फायदे इस प्रकार हैं.
सी-फूड : Seafood
सी-फूड में विशेषकर मछली में ओमेगा -3 फैटी एसिड, विटामिन जैसे डी और बी 2 (राइबोफ्लेविन) , कैल्शियम और फास्फोरस, आयरन, जिंक, आयोडीन, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.
सीवीड : Seaweed
जापानी आहार का एक मुख्य हिस्सा माना जाने वाला समुद्री शैवाल यानी सीवीड भी वंडर फूड श्रेणी में आता है. इसमें भी खनिज, विटामिन बी12 व के और ओमेगा -3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में मिलते हैं.
सोयाबीन : Soybean
जापानी आहार में सोयाबीन भी काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. वहां सामान्य डेयरी उत्पादों की बजाय सोया मिल्क, सोया से बने पनीर (टोफू ), सोया के सूप (मिसो सूप) आदि का काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.सोयाबीन में फाइबर प्लांट प्रोटीन , विटामिन बी6, बी12, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम तथा आयरन तथा स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी सभी प्रकार के अमीनो एसिड भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.
किण्वित आहार : Fermentid Food
जापानी आहार में फर्मन्टिड यानी किण्वित आहार का नियमित उपयोग किया जाता है. फर्मन्टिड आहार से ना सिर्फ गट हेल्थ को स्वस्थ रखने के लिए बल्कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने में मददगार गुड़ बैक्टीरिया का निर्माण होता है. जिससे कब्ज, गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं कम होती हैं. इनमें लैक्टिक एसिड होता है जो आंतों को स्वस्थ रखता है. इस प्रकार के आहार के सेवन से वजन घटता है, मेटाबोलिज़्म स्वस्थ रहता है तथा प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है. साथ ही शरीर में विटामिन बी12 की कमी भी दूर होती है.
ग्रीन टी : Green Tea
ग्रीन टी भी जापानी कूजीन का एक खास हिस्सा है. वहां अलग अलग प्रकार के फूलों, फलों व औषधि युक्त जड़ों से बनी ग्रीन टी का उपयोग किया जाता हैं. गौरतलब है कि ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट गुण तो भरपूर मात्रा में पाए ही जाते हैं साथ ही उसके मूल पदार्थ के गुण भी सेहत को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं. इसलिए ग्रीन टी तनाव दूर करने, मन को शांत व प्रसन्न रखने, पाचन को दुरुस्त रखने, त्वचा उम्र के प्रभाव को कम करने व उसे जवां रखने के साथ ही हृदय स्वास्थ्य व सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है.
डॉ दिव्या बताती हैं कि यह सभी आहार ना सिर्फ रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं, बल्कि हृदय व मस्तिष्क के स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखते हैं. सही मात्रा में इस तरह के आहार के सेवन से शरीर में प्रतिरक्षा बेहतर होती है, मेटाबॉलिज़्म व पाचन तंत्र मजबूत होता है , तनाव में राहत मिलती है, त्वचा व बाल स्वस्थ रहते हैं तथा यारदाश्त भी बेहतर होती है. और जब व्यक्ति स्वस्थ रहता है तो उसकी उम्र भी बढ़ती ही है.
Dry Fruits : सूखे या भीगे मेवे कौन है ज्यादा बेहतर,जानिए एक्सपर्ट की राय