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बेमौसम बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद, मुआवजा देने की मांग

मौसम में बदलाव की वजह से किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं. अब किसानों के सामने उपज को बचाए रखना एक चुनौती साबित हो रही है.

damaged crops
बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद
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Published : Nov 28, 2020, 3:44 PM IST

Updated : Nov 28, 2020, 8:11 PM IST

सूरजपुर: निवार तूफान के कारण प्रदेश के कई इलाकों में पिछले 3 दिनों से रुक-रुक कर बारिश हो रही है. बारिश के कारण जहां ठंड में बढ़ोतरी हुई है, वहीं किसान अपनी फसलों को लेकर परेशान हैं. बेमौसम बरसात के कारण खलिहानों में काटकर रखा गया धान खराब हो रहा है. किसानों ने शासन से क्षति का आंकलन कर क्षतिपूर्ति राशि देने की मांग की है.

प्रतापपुर क्षेत्र में गुरुवार शाम से बिन मौसम हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खरीदी से ठीक पहले खेतों और खलिहानों में रखा धान भीग गया है. छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू होनी है. ऐसे में बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. अचानक आई बारिश के कारण फसलों के बचाव के उपाय किसानों को नहीं सूझ रहे हैं. किसानों का कहना है कि बारिश की वजह से खलिहानों में रखे धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण ज्यादातार किसानों के धान खुले में रखे हुए हैं. वहीं बड़े रकबे की कटाई भी पूरी नहीं हो पाई है.

फसल बर्बाद

धान खरीदी में होगा नुकसान

किसानों का कहना है कि बारिश से भीगे धान का नुकसान उन्हें खरीदी के दौरान उठाना पड़ेगा. भीगने के बाद धान में नमी बढ़ गई हैं. वहीं इसकी क्वालिटी भी प्रभावित हो रही है जो खरीदी केंद्रों में रिजेक्ट हो सकती है.

पढ़ें: बेमौसम बारिश ने बढ़ाई धान के भंडारण की चिंता, किसान परेशान

बढ़ेगी लागत, फसल होगी कम

किसानों का कहना है कि लगातार बारिश के कारण किसानों की लागत बढ़ेगी और फसल कम होगी. खेत गीले होने के कारण जो धान कटने को बचा है वो अब खेत सूखने के बाद ही कट पाएगा. धान की बाली का कटवा गिरने का और वजन कम होने से किसानों को नुकसान होगा. बहुत से किसान हैं जो हार्वेस्टर से कटाई कराना चाहते हैं, अगर खेतों में हार्वेस्टर नहीं चला तो मजदूरों का काम कराने से लागत बढ़ेगी जिससे किसानों को प्रति एकड़ 5 हजार से ज्यादा का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा. वहीं मंडी नहीं खुलने से करीब एक महीने से धान काटकर घरों और खलिहानों में रखे हैं जिससे उसका वजन कम हो रहा है.

बदलते मौसम से फसल को बचाना चुनौती

प्रतापपुर में धान खरीदी के लिए तीन नई समितियां बनाई गई है. जहां अब तक चबूतरे का निर्माण तक नहीं किया गया है. ऐसे में इन समितियों के सामने भी बदलते मौसम में धान को सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है. अगर खरीदी के बाद बारिश होती है तो समिति में रखे धान को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है. प्रशासन ने इस बार सभी समितियों में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की तैयारी करने का दावा किया है.

पढ़ें: बेमेतरा: धान खरीदी से पहले बेमौसम बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता, धान की देखरेख में जुटे किसान

क्षति आंकलन के दिये गए हैं निर्देश-एसडीएम

प्रतापपुर SDM सीएस पैंकरा ने बताया कि बारिश के कारण स्थिति चिंताजनक है. उन्होंने क्षेत्र के पटवारियों को निर्देशित कर दिया है कि वे तत्काल धान की क्षति का आंकलन कर प्रकरण तैयार करें. धान के साथ ही अन्य फसलों और मकान की क्षति के आंकलन के निर्देश भी SDM ने दिए हैं. ताकि जल्दी से जल्दी क्षतिपूर्ति दी जा सके.

सूरजपुर: निवार तूफान के कारण प्रदेश के कई इलाकों में पिछले 3 दिनों से रुक-रुक कर बारिश हो रही है. बारिश के कारण जहां ठंड में बढ़ोतरी हुई है, वहीं किसान अपनी फसलों को लेकर परेशान हैं. बेमौसम बरसात के कारण खलिहानों में काटकर रखा गया धान खराब हो रहा है. किसानों ने शासन से क्षति का आंकलन कर क्षतिपूर्ति राशि देने की मांग की है.

प्रतापपुर क्षेत्र में गुरुवार शाम से बिन मौसम हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खरीदी से ठीक पहले खेतों और खलिहानों में रखा धान भीग गया है. छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू होनी है. ऐसे में बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. अचानक आई बारिश के कारण फसलों के बचाव के उपाय किसानों को नहीं सूझ रहे हैं. किसानों का कहना है कि बारिश की वजह से खलिहानों में रखे धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण ज्यादातार किसानों के धान खुले में रखे हुए हैं. वहीं बड़े रकबे की कटाई भी पूरी नहीं हो पाई है.

फसल बर्बाद

धान खरीदी में होगा नुकसान

किसानों का कहना है कि बारिश से भीगे धान का नुकसान उन्हें खरीदी के दौरान उठाना पड़ेगा. भीगने के बाद धान में नमी बढ़ गई हैं. वहीं इसकी क्वालिटी भी प्रभावित हो रही है जो खरीदी केंद्रों में रिजेक्ट हो सकती है.

पढ़ें: बेमौसम बारिश ने बढ़ाई धान के भंडारण की चिंता, किसान परेशान

बढ़ेगी लागत, फसल होगी कम

किसानों का कहना है कि लगातार बारिश के कारण किसानों की लागत बढ़ेगी और फसल कम होगी. खेत गीले होने के कारण जो धान कटने को बचा है वो अब खेत सूखने के बाद ही कट पाएगा. धान की बाली का कटवा गिरने का और वजन कम होने से किसानों को नुकसान होगा. बहुत से किसान हैं जो हार्वेस्टर से कटाई कराना चाहते हैं, अगर खेतों में हार्वेस्टर नहीं चला तो मजदूरों का काम कराने से लागत बढ़ेगी जिससे किसानों को प्रति एकड़ 5 हजार से ज्यादा का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा. वहीं मंडी नहीं खुलने से करीब एक महीने से धान काटकर घरों और खलिहानों में रखे हैं जिससे उसका वजन कम हो रहा है.

बदलते मौसम से फसल को बचाना चुनौती

प्रतापपुर में धान खरीदी के लिए तीन नई समितियां बनाई गई है. जहां अब तक चबूतरे का निर्माण तक नहीं किया गया है. ऐसे में इन समितियों के सामने भी बदलते मौसम में धान को सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है. अगर खरीदी के बाद बारिश होती है तो समिति में रखे धान को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है. प्रशासन ने इस बार सभी समितियों में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की तैयारी करने का दावा किया है.

पढ़ें: बेमेतरा: धान खरीदी से पहले बेमौसम बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता, धान की देखरेख में जुटे किसान

क्षति आंकलन के दिये गए हैं निर्देश-एसडीएम

प्रतापपुर SDM सीएस पैंकरा ने बताया कि बारिश के कारण स्थिति चिंताजनक है. उन्होंने क्षेत्र के पटवारियों को निर्देशित कर दिया है कि वे तत्काल धान की क्षति का आंकलन कर प्रकरण तैयार करें. धान के साथ ही अन्य फसलों और मकान की क्षति के आंकलन के निर्देश भी SDM ने दिए हैं. ताकि जल्दी से जल्दी क्षतिपूर्ति दी जा सके.

Last Updated : Nov 28, 2020, 8:11 PM IST
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