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SPECIAL : 'हरे सोने' पर कोरोना की मार, ग्रामीण परेशान

छत्तीसगढ़ सरकार ने वनांचल के रहने वाले ग्रामीणों के लिए तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरा संग्रहण राशि 4000 रुपये देने की घोषणा की है. लेकिन कोरोना संकट की वजह से तेंदूपत्ता संग्रहण के काम में देरी हो गई जिससे वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण परेशान हैं.

Tendu leaves collection delayed due to Corona crisis in surajpur
तेंदूपत्ता संग्रहण में देरी
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Published : May 24, 2020, 5:34 PM IST

सूरजपुर : वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण तेंदूपत्ता को हरा सोना मानते हैं. गर्मी के दिनों में जब उनके पास ना तो खेत में काम होता है और ना ही घर में कुछ काम, तब यही तेंदूपत्ता उनके आय का मुख्य साधन होता है. छत्तीसगढ़ सरकार ने वनांचल के रहने वाले ग्रामीणों के लिए तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरा संग्रहण राशि 4000 रुपये देने की घोषणा की है. जिससे ग्रामीण और तेंदूपत्ता संग्रहण से जुड़े संगठन खुश थे और तेंदूपत्ता के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण से उपजे हालात और लॉकडाउन ने आदिवासियों के चेहरे की मुस्कान छीन ली है.

तेंदूपत्ता संग्रहण में देरी

पूरी तरह से वनों पर आश्रित रहने वाली महिला ने अपना दुख व्यक्त करते हुए बताया कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस बार संग्रहण का कार्य देर से शुरू हुआ. जिसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तेंदूपत्ता संग्रहन का कार्य चालू है, इस बार मौसम की वजह से तेंदूपत्ता पर भी प्रभाव पड़ा है. हालांकि रोजगार गारंटी के कार्य शुरू होने से राहत मिली है.

सूरजपुर के कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा है कि जिले तेंदूपत्ता के संग्रहण का काम चालू हो गया है. जजावल जो कंटेनमेंट जोन है, वहां संग्रहण की अनुमति नहीं दी गई है. बाकि जगह पूरे ऐहतिहात के साथ काम शुरू कराया गया है.

Tendu leaves collection delayed due to Corona crisis in surajpur
तेंदूपत्ता संग्रहण

केंद्रीय राज्यमंत्री ने सरकार को घेरा

वहीं तेंदूपत्ता खरीदी पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय जनजाति कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण का समय कम है. इसलिए सरकार खरीदी का टारगेट पूरा नहीं कर सकती. जबकि मध्यप्रदेश में टारगेट से ऊपर की खरीदी की गई है. छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य हैं और यहां के अधिकांश आदिवासी परिवारों का जनजीवन जंगल पर आधारित है. वहीं प्रदेश की सरकार इस कोरोना संकट में आदिवासी परिवारों की मदद के बजाए उनके साथ छल कर रही है.

पढ़ें-SPECIAL : लॉकडाउन ने चौपट किया मोबाइल कारोबार, करीब 1500 करोड़ का नुकसान

'लोगों का सरकार से भरोसा उठ गया है'

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों ने लघु उद्योग की जो जानकारी दी है उसके ठीक विपरीत प्रदेश की स्थिति है. अधिकांश स्थानों पर तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य बंद होने से लोगों का सरकार से भरोसा उठ गया है. कांग्रेस ने तेंदूपत्ता खरीदी को लेकर जो चुनाव में जो घोषणा की थी उसे पूरा करना चाहिए.

'कोरोना वायरस को सरकार ने गंभीरता से लिया'

वहीं राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह के प्रतिनिधि कुमार सिंहदेव ने बताया कि छत्तीसगढ़ सहित जिले में सरकार कोरोना वायरस को लेकर बेहद गंभीर है, जिसका असर तेंदूपत्ता संग्रहण पर भी पड़ा है. वहीं मध्यप्रदेश में हो सकता है कि टारगेट पूरा हो गया हो. वहां पर संक्रमित मरीजों की संख्या अभी हजारों में है. हमारे यहां इस विषम परिस्थिति को देखते हुए गांव और आदिवासी अंचल के लोगों ने स्वेच्छा से कम मात्रा में तेंदूपत्ता तोड़ने का काम किया है. उम्मीद है कि हम लक्ष्य को पूरा जरूर कर लेंगे.

पढ़ें-SPECIAL : लॉकडाउन में सूने पड़े सिनेमाघर, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने बढ़ाई मुश्किलें

4000 रुपये प्रति मानक बोरा दिया जाएगा

कोरोनावायरस संकट के बीच हुए नुकसान की भरपाई तेंदूपत्ता की बढ़ी हुई कीमत से हो सकती है. करीब 1 साल पहले जब छत्तीसगढ़ से सत्ता परिवर्तन हुआ उस समय तेंदूपत्ता जमा करने का मूल्य प्रति मानक बोरा 2500 रुपए था. भूपेश सरकार ने इसमे 1500 रुपए बढ़ाए हैं, अब यह मूल्य 4000 रुपये प्रति मानक बोरा है. इसकी वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल वनवासियों को 226 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा.

ग्रामीणों की बढ़ी परेशानी

छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता को हरा सोना कहा जाता है. लेकिन कोरोना की वजह से यह पहली बार है कि इस हरे सोने की चमक वनवासियों की जिंदगी में खुशी नहीं ला पा रही है. कोरोना संकट ने छत्तीसगढ़ के हरे सोने को फीका कर दिया है. लिहाजा ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है.

सूरजपुर : वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण तेंदूपत्ता को हरा सोना मानते हैं. गर्मी के दिनों में जब उनके पास ना तो खेत में काम होता है और ना ही घर में कुछ काम, तब यही तेंदूपत्ता उनके आय का मुख्य साधन होता है. छत्तीसगढ़ सरकार ने वनांचल के रहने वाले ग्रामीणों के लिए तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरा संग्रहण राशि 4000 रुपये देने की घोषणा की है. जिससे ग्रामीण और तेंदूपत्ता संग्रहण से जुड़े संगठन खुश थे और तेंदूपत्ता के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण से उपजे हालात और लॉकडाउन ने आदिवासियों के चेहरे की मुस्कान छीन ली है.

तेंदूपत्ता संग्रहण में देरी

पूरी तरह से वनों पर आश्रित रहने वाली महिला ने अपना दुख व्यक्त करते हुए बताया कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस बार संग्रहण का कार्य देर से शुरू हुआ. जिसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तेंदूपत्ता संग्रहन का कार्य चालू है, इस बार मौसम की वजह से तेंदूपत्ता पर भी प्रभाव पड़ा है. हालांकि रोजगार गारंटी के कार्य शुरू होने से राहत मिली है.

सूरजपुर के कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा है कि जिले तेंदूपत्ता के संग्रहण का काम चालू हो गया है. जजावल जो कंटेनमेंट जोन है, वहां संग्रहण की अनुमति नहीं दी गई है. बाकि जगह पूरे ऐहतिहात के साथ काम शुरू कराया गया है.

Tendu leaves collection delayed due to Corona crisis in surajpur
तेंदूपत्ता संग्रहण

केंद्रीय राज्यमंत्री ने सरकार को घेरा

वहीं तेंदूपत्ता खरीदी पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय जनजाति कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण का समय कम है. इसलिए सरकार खरीदी का टारगेट पूरा नहीं कर सकती. जबकि मध्यप्रदेश में टारगेट से ऊपर की खरीदी की गई है. छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य हैं और यहां के अधिकांश आदिवासी परिवारों का जनजीवन जंगल पर आधारित है. वहीं प्रदेश की सरकार इस कोरोना संकट में आदिवासी परिवारों की मदद के बजाए उनके साथ छल कर रही है.

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'लोगों का सरकार से भरोसा उठ गया है'

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों ने लघु उद्योग की जो जानकारी दी है उसके ठीक विपरीत प्रदेश की स्थिति है. अधिकांश स्थानों पर तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य बंद होने से लोगों का सरकार से भरोसा उठ गया है. कांग्रेस ने तेंदूपत्ता खरीदी को लेकर जो चुनाव में जो घोषणा की थी उसे पूरा करना चाहिए.

'कोरोना वायरस को सरकार ने गंभीरता से लिया'

वहीं राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह के प्रतिनिधि कुमार सिंहदेव ने बताया कि छत्तीसगढ़ सहित जिले में सरकार कोरोना वायरस को लेकर बेहद गंभीर है, जिसका असर तेंदूपत्ता संग्रहण पर भी पड़ा है. वहीं मध्यप्रदेश में हो सकता है कि टारगेट पूरा हो गया हो. वहां पर संक्रमित मरीजों की संख्या अभी हजारों में है. हमारे यहां इस विषम परिस्थिति को देखते हुए गांव और आदिवासी अंचल के लोगों ने स्वेच्छा से कम मात्रा में तेंदूपत्ता तोड़ने का काम किया है. उम्मीद है कि हम लक्ष्य को पूरा जरूर कर लेंगे.

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4000 रुपये प्रति मानक बोरा दिया जाएगा

कोरोनावायरस संकट के बीच हुए नुकसान की भरपाई तेंदूपत्ता की बढ़ी हुई कीमत से हो सकती है. करीब 1 साल पहले जब छत्तीसगढ़ से सत्ता परिवर्तन हुआ उस समय तेंदूपत्ता जमा करने का मूल्य प्रति मानक बोरा 2500 रुपए था. भूपेश सरकार ने इसमे 1500 रुपए बढ़ाए हैं, अब यह मूल्य 4000 रुपये प्रति मानक बोरा है. इसकी वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल वनवासियों को 226 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा.

ग्रामीणों की बढ़ी परेशानी

छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता को हरा सोना कहा जाता है. लेकिन कोरोना की वजह से यह पहली बार है कि इस हरे सोने की चमक वनवासियों की जिंदगी में खुशी नहीं ला पा रही है. कोरोना संकट ने छत्तीसगढ़ के हरे सोने को फीका कर दिया है. लिहाजा ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है.

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