सूरजपुर : गांव-गांव में शुक्रवार को रोका-छेका का कार्यक्रम मनाया गया. फसलों को मवेशी से बचाने के लिए इस परंपरागत कार्यक्रम के लिए गौठान को चुना गया. इसकी जिम्मदारी सरपंच, सचिव और ग्रामीणों को दी गई. ये कार्यक्रम कलेक्टर रणवीर शर्मा और जिला पंचायत सीईओ आकाश चिकारा की मौजूदगी में मनाया गया.
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इस कार्यक्रम के जरिए पुरानी पद्धति को लागू करने के निर्देश सीएम भूपेश ने दिए थे. इसके बाद जिले में भी प्रशासन ने सभी जनपद पंचायत सीईओ को इसे लागू करने के निर्देश दिए हैं. इसके अनुसार ग्राम स्तर पर पंच-सरपंच, जनप्रतिनिधि ग्राम के गणमान्य, नागरिक, ग्रामवासी और चरवाहे मिलकर ग्राम में रोका छेका की व्यवस्था करेंगे, जिससे गौठान का भी सदुपयोग सुनिश्चित होगा.
फसलों को बचाया जा सकेगा
जनपद पंचायत सीईओ ने जानकारी देते हुए यह भी बताया कि रोका छेका से आवारा पशुओं को गौठान में रोकने और किसानों की फसलों को नष्ट करने से बचाया जा सकेगा. सड़कों पर होने वाली गंदगी और सड़क दुर्घटना से भी लोगों और पशुओं को बचाया जा सकेगा. इसके साथ ही गौठान में उत्पादित कम कंपोस्ट खाद का वितरण गौठान में किया जा सकेगा.
रोका छेका के फायदे क्या
रोका छेका पुराने समय से गांव की व्यवस्था रही है. बुआई के दौरान फसल की सुरक्षा के लिए पशुधन को गौशालाओं में रखने की प्रथा रही है. इससे मवेशी खेतों में न जा पाए और फसलों की सुरक्षा हो सके. यह फसल उत्पादन को बढ़ावा देने की स्थाई परंपरा रही है. गौशालाओं में पशुओं को रखने से उनके गोबर के जैविक खाद बनाया जाता है, जिसका उपयोग फसल उत्पादन में भी होता है.