सूरजपुर: नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए शहर के वार्डों में नेताओं का आना-जाना शुरू हो गया है. इस दौरान प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए कसमें-वादों की झड़ी लगा दिए है. प्रत्याशी लोगों की हर तरह की समस्याओं को सत्ता मिलते ही दूर करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन बीते पांच साल में पार्षदों और अध्यक्षों ने शहरवासियों के लिए क्या किया. ये हम आपको बता रहे हैं.
सूरजपुर नगर पालिका का गठन हुए 10 वर्ष से भी ज्यादा हो चुका है, लेकिन यहां के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. दस साल के उपेक्षा का दंश झेल रहे नगरवासी इस बार वोट मांगने आने वाले प्रत्याशियों को सबक सिखाने की बात कर रहे हैं.
पार्षदों की वादाखिलाफी से लोग नाराज
2009 में नगर पंचायत से नगर पालिका का दर्जा मिलने के बाद सूरजपुर नगर पालिका के लोग विकास की आस लगाये बैठे थे, लेकिन लोगों की उम्मीद धरा का धरा रह गया. बीते दस साल से भाजपा-कांग्रेस के नेता लोगों से वादा पर वादा कर उन्हें गुमराह करती रही, लेकिन शहर के वार्डों में विकास का एक काम नहीं हुआ. इससे जनता नाराज है.
मतदाताओं का मूड कुछ हटकर
नगर पालिका सूरजपुर के 18 वार्डों में लगभग 16 हजार मतदाता हैं. नगर पालिका सूरजपुर में पिछले दो पंचवर्षीय कार्यकाल की बात करें तो सन 2009 में जनता ने कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत दिलाया, तो वहीं 2014 में भाजपा को जीत दिलाया था, लेकिन इस बार मतदाताओं का मूड कुछ हटकर है.
समस्याओं को दूर करने का दावा
भाजपा और कांग्रेस नगर विकास के लाख दावे करते नजर आ रहे हैं, लेकिन एक भी वादा आज तक पूरा नहीं किया गया. शहर के वार्डों में आज दस साल बाद भी समस्याएं जस की तस बनी है.