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शिक्षा के लिए गिरता प्लास्टर और गिराउ छत के बीच पढ़ाई करते छात्र

सूरजपुर जिला शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम (Education Minister Dr. Premsai Singh Tekam) का गृह जिला है. वैसे तो शिक्षा मंत्री के जिले में शिक्षा की व्यवस्था दुरूस्त बताई जाती है लेकिन हकीकत कुछ और है. तो आईए जानते हैं कि क्या है यहां के स्कूलों में मूल समस्या.

students studying in the middle of the fallen roof
गिराउ छत के बीच पढ़ाई करते छात्र
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Published : Dec 7, 2021, 1:21 PM IST

सूरजपुर: भ्रष्टाचार की वजह से आर्थिक नुकसान होते आपने कई बार देखा होगा. लेकिन भ्रष्टाचार सैकड़ों बच्चों के जान के लिए खतरा बन जाए ऐसा आपने नहीं देखा या सुना होगा. सूरजपुर के ओड़गी ब्लॉक (Odgi Block) का एक स्कूल है. जहां सैकड़ों बच्चे प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है. यह जिला शिक्षा मंत्री के गृह जिला भी है लेकिन दावों के उलट हकीकत कुछ और है. जिसे आप इस खास रिपोर्ट में देखिए...

शिक्षा के लिए गिरता प्लास्टर और गिराउ छत के बीच पढ़ाई करते छात्र

300 छात्रों की जान के साथ खिलवाड़

सूरजपुर जिले के ओड़गी ब्लॉक (Odgi Block) में धरसेड़ी गांव में हाईस्कूल है. यह बिल्डिंग 2013 में पीएचई विभाग ने बनवाई थी. अभी यहां प्रतिदिन लगभग 300 बच्चे पढ़ाई करते हैं. अब आइए हम आपको स्कूल की इस बिल्डिंग को अंदर से दिखाते हैं. दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें, जर्जर छत जो इस बात की गवाही दे रहा है. कभी भी यह बिल्डिंग भरभरा कर गिर सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है. लगभग एक साल पहले स्कूल की छत जर्जर होने के कारण गिर गई थी. लेकिन राहत की बात यह थी कि उस समय बच्चों की छुट्टी हो चुकी थी. नहीं तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर ऐसा हादसा स्कूल के समय हो तो स्थिति क्या होगी और जिम्मेदार कौन होगा ? इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चे मौत के साए में पढ़ाई को मजबूर हैं. छात्रों के अनुसार वह हमेशा दहशत में रहते हैं कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

जर्जर भवन में मजबूरी का पढ़ाई, उम्मीद ने आश्वासन के आगे टेके घुटने

शिक्षा विभाग ने नहीं लिया कोई एक्शन

स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षक भूपेश कुशवाह (Teacher Bhupesh Kushwah) भी यह मान रहे हैं कि स्कूल की बिल्डिंग कभी भी धराशाई हो सकती है. उनके द्वारा कई बार इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से की गई है. लेकिन बावजूद इसके शिक्षा विभाग ने कोई एक्शन नहीं लिया है. जब से इस बिल्डिंग का निर्माण हुआ है तब से ही विवादों में रही है. शिक्षकों के अनुसार इस बिल्डिंग में स्कूल तो संचालित हो रहा है लेकिन औपचारिक तौर पर अभी तक इस स्कूल का हैंड ओवर नहीं लिया है.

निरीक्षण कराने पर कलेक्टर ने जताई सहमति

स्कूल बिल्डिंग की खस्ता हालत को देखते हुए अब स्थानीय लोग भी चिंतित हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार अगर जल्दी स्कूल को किसी दूसरे बिल्डिंग में नहीं शिफ्ट किया जाता है. तो वे छात्रों के साथ उग्र आंदोलन करेंगे. पूरे मामले में मीडिया की दखल के बाद अब जिला प्रशासन हरकत में आया है. सूरजपुर कलेक्टर ने इस स्कूल के निरीक्षण के लिए एक टीम भेजने की बात कही है. इसके साथ ही यह आश्वासन भी दिया है कि जल्द ही बच्चों को दूसरे बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाएगा.

शिक्षा मंत्री के गृह जिले में असुरक्षित 'छात्र'

शिक्षा विभाग का स्लोगन है सब पढ़े सब बढ़े, लेकिन सवाल यह है कि किस कीमत पर. क्या प्रदेश में शिक्षा इतना महंगा हो गया है कि इसके लिए बच्चों को प्रतिदिन अपनी जान की बाजी लगानी पड़ रही है. शिक्षा मंत्री (Minister of Education) के गृह जिले के स्कूल की स्थिति यह है. तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था की क्या स्थिति है.

सूरजपुर: भ्रष्टाचार की वजह से आर्थिक नुकसान होते आपने कई बार देखा होगा. लेकिन भ्रष्टाचार सैकड़ों बच्चों के जान के लिए खतरा बन जाए ऐसा आपने नहीं देखा या सुना होगा. सूरजपुर के ओड़गी ब्लॉक (Odgi Block) का एक स्कूल है. जहां सैकड़ों बच्चे प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है. यह जिला शिक्षा मंत्री के गृह जिला भी है लेकिन दावों के उलट हकीकत कुछ और है. जिसे आप इस खास रिपोर्ट में देखिए...

शिक्षा के लिए गिरता प्लास्टर और गिराउ छत के बीच पढ़ाई करते छात्र

300 छात्रों की जान के साथ खिलवाड़

सूरजपुर जिले के ओड़गी ब्लॉक (Odgi Block) में धरसेड़ी गांव में हाईस्कूल है. यह बिल्डिंग 2013 में पीएचई विभाग ने बनवाई थी. अभी यहां प्रतिदिन लगभग 300 बच्चे पढ़ाई करते हैं. अब आइए हम आपको स्कूल की इस बिल्डिंग को अंदर से दिखाते हैं. दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें, जर्जर छत जो इस बात की गवाही दे रहा है. कभी भी यह बिल्डिंग भरभरा कर गिर सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है. लगभग एक साल पहले स्कूल की छत जर्जर होने के कारण गिर गई थी. लेकिन राहत की बात यह थी कि उस समय बच्चों की छुट्टी हो चुकी थी. नहीं तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर ऐसा हादसा स्कूल के समय हो तो स्थिति क्या होगी और जिम्मेदार कौन होगा ? इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चे मौत के साए में पढ़ाई को मजबूर हैं. छात्रों के अनुसार वह हमेशा दहशत में रहते हैं कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

जर्जर भवन में मजबूरी का पढ़ाई, उम्मीद ने आश्वासन के आगे टेके घुटने

शिक्षा विभाग ने नहीं लिया कोई एक्शन

स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षक भूपेश कुशवाह (Teacher Bhupesh Kushwah) भी यह मान रहे हैं कि स्कूल की बिल्डिंग कभी भी धराशाई हो सकती है. उनके द्वारा कई बार इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से की गई है. लेकिन बावजूद इसके शिक्षा विभाग ने कोई एक्शन नहीं लिया है. जब से इस बिल्डिंग का निर्माण हुआ है तब से ही विवादों में रही है. शिक्षकों के अनुसार इस बिल्डिंग में स्कूल तो संचालित हो रहा है लेकिन औपचारिक तौर पर अभी तक इस स्कूल का हैंड ओवर नहीं लिया है.

निरीक्षण कराने पर कलेक्टर ने जताई सहमति

स्कूल बिल्डिंग की खस्ता हालत को देखते हुए अब स्थानीय लोग भी चिंतित हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार अगर जल्दी स्कूल को किसी दूसरे बिल्डिंग में नहीं शिफ्ट किया जाता है. तो वे छात्रों के साथ उग्र आंदोलन करेंगे. पूरे मामले में मीडिया की दखल के बाद अब जिला प्रशासन हरकत में आया है. सूरजपुर कलेक्टर ने इस स्कूल के निरीक्षण के लिए एक टीम भेजने की बात कही है. इसके साथ ही यह आश्वासन भी दिया है कि जल्द ही बच्चों को दूसरे बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाएगा.

शिक्षा मंत्री के गृह जिले में असुरक्षित 'छात्र'

शिक्षा विभाग का स्लोगन है सब पढ़े सब बढ़े, लेकिन सवाल यह है कि किस कीमत पर. क्या प्रदेश में शिक्षा इतना महंगा हो गया है कि इसके लिए बच्चों को प्रतिदिन अपनी जान की बाजी लगानी पड़ रही है. शिक्षा मंत्री (Minister of Education) के गृह जिले के स्कूल की स्थिति यह है. तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था की क्या स्थिति है.

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