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सूरजपुर: 20 साल से पेंशन के लिए दर-दर भटक रही वृद्धा

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Published : Aug 22, 2020, 3:31 PM IST

सूरजपुर के ग्राम महुली की 80 साल की वृद्धा बीते कई साल से पेंशन के लिए दर-दर भटक रही है. बुजुर्ग महिला बीते 20 साल में सरपंच, सचिव और जिम्मेदारों के हजारों बार चक्कर काटकर थक चुकी है, लेकिन उन्हें आश्वसन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है.

woman is not getting pension
पेंशन के लिए भटक रही वृद्धा

सूरजपुर: जिले के दूरस्थ क्षेत्र चांदनी बिहार के ग्राम महुली में निवासरत वृद्धा रूकमन खेरवार पिछले 20 वर्षों से निराश्रित पेंशन के लिए दर-दर भटक रही है. इस वृद्ध महिला की सुध लेने वाला कोई नहीं है. वृद्धा ने पिछले 20 सालों में सरपंच, सचिव और न जाने कितने जिम्मेदारों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन आजतक उनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ.

old woman
बुजुर्ग महिला

बता दें, वृद्धा की उम्र 80 साल के पार है. बुढ़ापा आने के चलते उनकी आंखों से भी कम दिखाई देता है. साथ ही अब वो चलने-फिरने में भी असमर्थ है. बावजूद इसके वो अपने पेंशन के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर हैं. शासन की महत्वाकांक्षी योजना निराश्रित वृद्धा पेंशन न मिलने से वृद्धा की हालत अत्यंत दयनीय है. यहां तक कि उनके पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं है.

30 साल पहले गुजर चुका है वृद्धा का पति
वृद्धा का पति लगभग 30 साल पहले ही इस दुनिया से गुजर चुका है. वृद्धा अपने बेटे के साथ झोपड़ी में रहती है और उसी के साथ गुजर-बसर करती है. प्रशासन की महत्वाकांक्षी योजना अंत्योदय योजना के तहत निराश्रित गरीबों को निशुल्क 10 किलो चावल प्रदान किया जाता है, लेकिन वृद्धा को वह 10 किलो चावल भी नसीब नहीं है. जिसकी वजह से उनका जीवन और दूभर हो गया है.

फटे झोले में कागज लेकर भटकती है वृद्धा
वृद्धा अपने जरूरी कागजात फोटो, आधार कार्ड, परिचय पत्र इत्यादि झोले में रखकर कभी सरपंच के पास तो कभी सचिव के पास जाते रहती है, लेकिन वृद्धा को सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता.

पढ़ें- बलौदाबाजार: सालभर से नहीं मिला वृध्दा पेंशन, बुजुर्ग महिलाओं ने जपं CEO से की शिकायत

खबर लगने के बाद एक बार कर चुके हैं वृद्धा को फर्जी भुगतान
इस खबर को छह महीने पहले लगभग सभी प्रमुख अखबारों ने प्रमुखता से छापा था. जिसके तुरंत बाद ही एक दिन में वृद्धा को सचिव और सरपंच ने एक महीने का पेंशन दे दिया, लेकिन उसके बाद आजतक दोबारा वृद्धा को पेंशन की राशि नहीं दी गई.

वृद्धा की हालत भी गंभीर
हाल के दिनों में अभी वृद्धा की तबीयत बहुत खराब है. हालात ये हैं कि इलाज कराने के लिए वृद्धा के पास पैसे तक नहीं हैं. वह दर-दर पैसों के लिए भटक रही है ताकि कोई उसकी मदद कर दे, जिससे वह अपना इलाज करा सके.

उक्त पेंशन के संदर्भ में जब सरपंच से बात किया गया तो सरपंच ने बताया गया कि '6 महीने पहले उच्च अधिकारियों द्वारा कहे जाने पर मैंने अपनी जेब से एक महीने का पेंशन राशि भुगतान कर दिया था. लेकिन उसके बाद से अभी तक कोई भी पेंशन राशि का आवंटन नहीं हुआ है. जिसकी वजह से मैं पैसा नहीं दे सकता. उच्च अधिकारियों द्वारा बोला गया था कि जैसे ही बैठक होता है हम पेंशन जुड़वा देंगे, लेकिन अभी तक वृद्धा पेंशन नहीं आया.'

इस के संदर्भ में ग्राम पंचायत महुली के सचिव से भी बात की गई तो सचिव ने भी यहीं बताया कि 'बुजुर्ग महिला का अभी तक वृद्धा पेंशन स्वीकृत नहीं हुआ है. एक महीने की पेंशन राशि का वितरण सरपंच ने अपनी जेब से किया था.'

सूरजपुर: जिले के दूरस्थ क्षेत्र चांदनी बिहार के ग्राम महुली में निवासरत वृद्धा रूकमन खेरवार पिछले 20 वर्षों से निराश्रित पेंशन के लिए दर-दर भटक रही है. इस वृद्ध महिला की सुध लेने वाला कोई नहीं है. वृद्धा ने पिछले 20 सालों में सरपंच, सचिव और न जाने कितने जिम्मेदारों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन आजतक उनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ.

old woman
बुजुर्ग महिला

बता दें, वृद्धा की उम्र 80 साल के पार है. बुढ़ापा आने के चलते उनकी आंखों से भी कम दिखाई देता है. साथ ही अब वो चलने-फिरने में भी असमर्थ है. बावजूद इसके वो अपने पेंशन के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर हैं. शासन की महत्वाकांक्षी योजना निराश्रित वृद्धा पेंशन न मिलने से वृद्धा की हालत अत्यंत दयनीय है. यहां तक कि उनके पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं है.

30 साल पहले गुजर चुका है वृद्धा का पति
वृद्धा का पति लगभग 30 साल पहले ही इस दुनिया से गुजर चुका है. वृद्धा अपने बेटे के साथ झोपड़ी में रहती है और उसी के साथ गुजर-बसर करती है. प्रशासन की महत्वाकांक्षी योजना अंत्योदय योजना के तहत निराश्रित गरीबों को निशुल्क 10 किलो चावल प्रदान किया जाता है, लेकिन वृद्धा को वह 10 किलो चावल भी नसीब नहीं है. जिसकी वजह से उनका जीवन और दूभर हो गया है.

फटे झोले में कागज लेकर भटकती है वृद्धा
वृद्धा अपने जरूरी कागजात फोटो, आधार कार्ड, परिचय पत्र इत्यादि झोले में रखकर कभी सरपंच के पास तो कभी सचिव के पास जाते रहती है, लेकिन वृद्धा को सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता.

पढ़ें- बलौदाबाजार: सालभर से नहीं मिला वृध्दा पेंशन, बुजुर्ग महिलाओं ने जपं CEO से की शिकायत

खबर लगने के बाद एक बार कर चुके हैं वृद्धा को फर्जी भुगतान
इस खबर को छह महीने पहले लगभग सभी प्रमुख अखबारों ने प्रमुखता से छापा था. जिसके तुरंत बाद ही एक दिन में वृद्धा को सचिव और सरपंच ने एक महीने का पेंशन दे दिया, लेकिन उसके बाद आजतक दोबारा वृद्धा को पेंशन की राशि नहीं दी गई.

वृद्धा की हालत भी गंभीर
हाल के दिनों में अभी वृद्धा की तबीयत बहुत खराब है. हालात ये हैं कि इलाज कराने के लिए वृद्धा के पास पैसे तक नहीं हैं. वह दर-दर पैसों के लिए भटक रही है ताकि कोई उसकी मदद कर दे, जिससे वह अपना इलाज करा सके.

उक्त पेंशन के संदर्भ में जब सरपंच से बात किया गया तो सरपंच ने बताया गया कि '6 महीने पहले उच्च अधिकारियों द्वारा कहे जाने पर मैंने अपनी जेब से एक महीने का पेंशन राशि भुगतान कर दिया था. लेकिन उसके बाद से अभी तक कोई भी पेंशन राशि का आवंटन नहीं हुआ है. जिसकी वजह से मैं पैसा नहीं दे सकता. उच्च अधिकारियों द्वारा बोला गया था कि जैसे ही बैठक होता है हम पेंशन जुड़वा देंगे, लेकिन अभी तक वृद्धा पेंशन नहीं आया.'

इस के संदर्भ में ग्राम पंचायत महुली के सचिव से भी बात की गई तो सचिव ने भी यहीं बताया कि 'बुजुर्ग महिला का अभी तक वृद्धा पेंशन स्वीकृत नहीं हुआ है. एक महीने की पेंशन राशि का वितरण सरपंच ने अपनी जेब से किया था.'

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