सूरजपुर: चेन्नई में आयोजित वोको इंडिया किक बॉक्सिंग में रजत पदक जीतकर सूरजपुर की निकिता यादव ने छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया. लेकिन शासन प्रशासन की अनदेखी के कारण निकिता मायूस है. काफी संघर्षों और आर्थिक तंगी के बीच निकिता ने खुले आसमान के नीचे प्रेक्टिस कर राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया. किक बॉक्सिंग में सिल्वर मेडल जीतने के बाद निकिता को उम्मीद थी कि प्रशासनिक स्तर पर मदद मिलेगी. जिससे खेल में आगे बढ़ने के साथ ही घर की आर्थिक तंगी भी दूर होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. handcart daughter of Surajpur won silver medal
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सूरजपुर की निकिता यादव को मदद की दरकार: निकिता के पिता सड़क किनारे चने का ठेला लगाते हैं. लिहाजा घर की आर्थिक स्थिति के बारे में अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं है. लेकिन फिर भी निकिता के बॉक्सिंग का जुनून उसके पीछे पड़ा रहा. निकिता का ना तो खेल परिसर मिला ना ही कोई अच्छा कोच. लेकिन कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह होती है. ऐसा ही कुछ निकिता के साथ भी हुआ. एक निजी स्कूल के खेल शिक्षक की नजर निकिता पर पड़ी तो उन्होंने निकिता को ट्रेनिंग देने का मन बनाया और कोचिंग देने लगे. निकिता ने भी गुरु के मार्गदर्शन में जमकर प्रेक्टिस की और छत्तीसगढ़ का नाम ऊंचा किया.
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वोको इंडिया किक बॉक्सिंग में रजत पदक: निकिता बताती है " 2017 के दौरान समर कैंप के दौरान बॉक्सिंग की शुरुआत की. काफी मुश्किलों भरा सफर रहा. प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. खेल अधिकारी की तरफ से भी सिर्फ टाला जाता है. हालांकि नगर पालिका की तरफ से कुछ मदद मिली. आगामी दिनों में दुबई में बॉक्सिंग कॉम्पटीशन है. जिसमें पार्टीसिपेट करने के लिए आर्थिक स्थिति आड़े आ रही है. हालांकि स्थानीय समाजसेवी संस्थाएं भी मदद कर रही है. लेकिन ये मदद नाकाफी है. जरूरत है छत्तीसगढ़ को खेलगढ़ बनाने की सोच रखने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की मदद की.