सूरजपुर: जिला प्रशासन ने 'एक दुकान शब्बो सामान' थीम पर सुपर बाजार का प्रारंभ किया है. इस सुपर बाजार में उचित मूल्य में आम नागरिकों को विभिन्न प्रकार की उपभोक्ता सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. इस क्रम में कोरोना महामारी के दौरान ट्रैवल मार्ट की कुरवा ग्राम पंचायत की मांओं ने अपनी जान की परवाह किए बगैर आम लोगों को राहत पहुंचाई है. साथ ही अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारी को पूरा कर रही हैं.
कोरोना जैसी महामारी के बीच जो लोग घर में रहने के लिए मजबूर हैं, उन तक ये महिलाएं घर पहुंच सेवा के माध्यम से राशन मुहैया करा रही हैं. महिलाएं आर्थिक रूप से खुद तो मजबूत हो ही रही हैं. साथ ही लॉकडाउन के दौरान शासन के अर्थव्यवस्था के पहिए को भी बखूबी चला रही हैं. आत्मविश्वास से भरपूर ये महिलाएं अब दूसरों को प्रेरणा दे रही हैं. महिलाओं को सुपर बाजार से जोड़ने पर उनमें नया आत्मविश्वास आया है. स्वरोजगार से जुड़ कर ये अब अन्य महिलाओं को भी स्वालंबन के लिए प्रेरणा दे रही हैं.
मांएं लॉकडाउन में भी दे रही सेवाएं
आज मदर्स डे के अवसर पर ETV भारत ने ट्रैवल मार्ट में काम करने वाली सविता राजवाड़े से बात की. उन्होंने मदर्स डे पर शुभकामना देते हुए बताया कि जिला प्रशासन के सहयोग से लॉकडाउन के दौरान घरों में सामान की डिलीवरी कर वे लगभग 17 लाख रुपये की बिक्री कर चुकी हैं. जिला प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए मांओं कोरोना महामारी में अन्य मांओं की सुरक्षा के लिए घर पहुंच सेवा प्रदान कर रही हैं.
राशन पहुंचा कर दे रही घर पहुंच सेवा
वहीं ट्रैवल मार्ट की ई-रिक्शा चालक गायत्री राजवाड़े ने भी मदर्स डे पर लोगों को बधाई दी. उन्होंने बताया कि 'जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, वे लोगों को घर पहुंच राशन उपलब्ध करा रहे हैं. अपने छोटे बच्चों को घर पर छोड़ कर ये महिलाएं काम कर रही हैं. एक मां होने के नाते उनकी सुरक्षा का ख्याल भी है और अपनी भी. मांओं ने अपनी जिम्मेदारी मानते हुए घर पहुंच राशन की सेवा दे रही है. उनकी कोशिश यही है कि कम से कम उनकी वजह से अन्य लोग भी सुरक्षित रहें और कोई भी इस महामारी की चपेट में न आएं'.
कलेक्टर ने की तारीफ
सूरजपुर कलेक्टर दीपक सोनी ने मातृशक्ति को नमन करते हुए बताया कि 'जिस तरह से मां तमाम समस्याओं के बाद अपने बच्चों का ख्याल रखती है, उसकी जरूरत पूरा करती है. ठीक उसी तरह कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान अपनी फिक्र न करते हुए ट्रैवल मार्ट की मांओं ने स्वेच्छा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है. लोगों तक अतिआवश्यक चीजें पहुंचाती हैं, उन्होंने ऐसी मांओं को सलाम किया है.
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इस संकट की घड़ी में जिस कर्तव्य निष्ठा से इन महिलाओं ने काम किया है. इन मां के लिए यह पंक्ति सही बैठती है कि 'स्याही खत्म हो जाएगी मां लिखते-लिखते, उनके प्यार की दास्तान इतनी लंबी है'.