सूरजपुर: जरही नगर पंचायत गठित हुए 15 साल से ज्यादा हो गए, लेकिन विकास के नाम पर आज भी नगर पंचायत प्रदेश के सबसे पिछड़े मनगर पंचायतों में शामिल है. कोयलांचल के रूप देश भर में अपनी एक अलग पहचान रखने वाली जरही में विकास के नाम पर कई निर्माण कार्य तो हुए हैं, लेकिन सभी निर्माणकार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए. नगर पंचायत में मुक्तिधाम से लेकर सड़कों का हाल बाहाल है. एक सामुदायिक भवन बनाया गया था, जिसमें स्थानीय लोग बताते हैं इसमें नीचे से लेकर ऊपर तक पैसों की बंदरबांट की गई है.
शहरवासी वर्षों से एक बस स्टैंड बनाने की आस लगाए हुए हैं, लेकिन आज तक नगर पंचायत जरही में बस स्टैंड का निर्माण नहीं हुआ है. सड़क किनारे यात्रियों को बस का इंतजार करना पड़ता है. इसके कारण आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती है.
नगर पंचायत जरही में 2004 के नगरी निकाय चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी, वहीं 2009 में कांग्रेस ने अपना सिक्का जमाया, वहीं 2014 में नगरवासियों ने एक बार फिर बीजेपी पर भरोसा जताया, लेकिन नगर पंचायत जरही की तस्वीर नहीं बदली. नगर में आज भी पीने के पानी की बड़ी समस्या है और बीते पांच साल में इसके लिए कोई पहल भी नहीं किया गया.
वहीं दूसरी ओर शहर में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा न मिलने से लोगों को दूसरे जिले के अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है. नगर पंचायत में आज भी बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है.
कांग्रेस सरकार के पार्षदों द्वारा अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया की शुरुआत से भले ही कई अध्यक्ष पद के दावेदारों के सपने चूर चूर हो गए हो लेकिन दोनों की राजनीतिक दलों के जोड़-तोड़ की समीकरण पर नगर पंचायत जरही के नगर वासियों का आगामी दिनों में कितना विकास हो सकता है यह देखने वाली बात होगी