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SPECIAL: सूरजपुर के इस गांव में बच्चों को पढ़ाते हैं 'लाउडस्पीकर गुरुजी' !

शासकीय प्राथमिक स्कूल रुनियाडीह के शिक्षकों ने पूरे लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए बेहद सराहनीय पहल की. यहां लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. नेट कनेक्टीविटी नहीं होने और कई बच्चों के पास स्मार्ट फोन की सुविधा नहीं होने की वजह से बच्चों को इस पहल के तहत पढ़ाई कराई जा रही है. 'लाउडस्पीकर गुरुजी' से पढ़कर बच्चे भी खुश हैं और ग्रामीण भी टीचरों का सहयोग कर रहे हैं.

surajpur loudspeaker guruji
सूरजपुर के रुनियाडीह गांव में लाउडस्पीकर गुरुजी से पढ़ रहे बच्चे
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Published : Aug 14, 2020, 3:14 PM IST

सूरजपुर: कोरोना संक्रमण का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. अचानक आई इस आपदा ने हर किसी को अपनी चपेट में ले लिया. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को तो नुकसान हुआ ही, इसके साथ ही शिक्षा पर इसका असर सबसे ज्यादा रहा. कोरोना संकट काल में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर भी ग्रहण लग गया. स्कूलों में ताले लग गए. इस मुश्किल घड़ी ने बच्चों से उनकी कॉपी-किताब भी छीन ली. इस बीच सूरजपुर के टीचरों ने ऐसी विषम परिस्थिति में भी बच्चों को शिक्षा देकर एक मिसाल पेश की है. अब यहां गांव के बच्चे 'लाउडस्पीकर गुरुजी' से पढ़ते हैं.

सूरजपुर के रुनियाडीह गांव में लाउडस्पीकर गुरुजी से पढ़ रहे बच्चे

शासकीय प्राथमिक स्कूल रुनियाडीह के शिक्षकों ने पूरे लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए बेहद सराहनीय पहल की. राज्य सरकार की योजना 'पढ़ई तूंहर द्वार' के तहत बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही. लेकिन रुनियाडीह इलाके में कई ऐसे छात्र हैं, जिनके मोबाइल नहीं है और अगर मोबाइल हैं भी तो इंटरनेट की सुविधा नहीं है. कई क्षेत्रों में नेट कनेक्टिविटी का अभाव है.

surajpur  education in corona pandemic
बच्चों के लिए लगाया गया सैनिटाइजर मशीन

कोरोना संक्रमण से बचने वाले नियमों का किया जा रहा पालन

इन सभी बाधाओं को देखते हुए शासकीय प्राथमिक स्कूल रुनियाडीह के प्रधान पाठक सीमांचल त्रिपाठी ने 'लाउडस्पीकर गुरुजी' शिक्षा व्यवस्था के तहत बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं. सहयोगी शिक्षक रिजवान अली भी इसमें साथ दे रहे हैं. जिन बच्चों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, उन गांव और मोहल्लों में जाकर लाउडस्पीकर के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है. इस दौरान शासन-प्रशासन की जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए बच्चे मास्क भी लगाते हैं. पढ़ाई करते वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है.

surajpur loudspeaker guruji
सोशल डिस्टेंसिंग का किया जाता है पालन

छोटे क्लास के बच्चों को पढ़ाने में 10वीं क्लास के छात्रों का भी योगदान होता है. वे छोटे क्लास के बच्चों की कॉपी जांचने में मदद करते हैं. बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित नहीं हो रही है. इस पहल से गांव के लोग भी खुश हैं और शिक्षकों का सहयोग कर रहे हैं.

surajpur loudspeaker guruji
मास्क लगाकर करते हैं पढ़ाई

पढ़ें- अच्छी पहल: जशपुर में अब केबल टीवी के माध्यम से पढ़ाई करेंगे बच्चे

कोरोना संक्रमण के दौरान अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित छात्रों के लिए यह एक अच्छा अवसर है. छात्रों ने बताया कि शिक्षा विभाग की यह अच्छी पहल है. 'लाउडस्पीकर गुरुजी' की मदद से वे सुरक्षित ढंग से पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ते वक्त हाथों को लगातर सैनिटाइज भी करते हैं और एक-दूसरे से दूर-दूर बैठकर ही पढ़ाई करते हैं. प्रशासनिक अधिकारी भी इस पहल से खुश हैं और इसे आपदा में अवसर बता रहे हैं.

surajpur loudspeaker guruji
लाउडस्पीकर से पढ़ाते हुए शिक्षक

पढ़ें- SPECIAL: संसाधनों की कमी और नेटवर्क की समस्या के बीच कैसे साकार होगा 'पढ़ई तुंहर दुआर' का सपना

कोरोना काल में छात्रों की पढ़ाई के लिए सरकार से लेकर अभिभावक तक सभी चिंतित हैं. लेकिन आपदा में भी शिक्षकों का ये जज्बा कोरोना वॉरियर्स से कम नहीं है. वे बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और बच्चे भी खुशी-खुशी पढ़ रहे हैं, लेकिन इन छात्र-छात्राओं को इंतजार है कि कब स्कूल के दरवाजे फिर से खुलेंगे और वे स्कूल की घंटी की आवाज सून सकेंगे.

सूरजपुर: कोरोना संक्रमण का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. अचानक आई इस आपदा ने हर किसी को अपनी चपेट में ले लिया. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को तो नुकसान हुआ ही, इसके साथ ही शिक्षा पर इसका असर सबसे ज्यादा रहा. कोरोना संकट काल में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर भी ग्रहण लग गया. स्कूलों में ताले लग गए. इस मुश्किल घड़ी ने बच्चों से उनकी कॉपी-किताब भी छीन ली. इस बीच सूरजपुर के टीचरों ने ऐसी विषम परिस्थिति में भी बच्चों को शिक्षा देकर एक मिसाल पेश की है. अब यहां गांव के बच्चे 'लाउडस्पीकर गुरुजी' से पढ़ते हैं.

सूरजपुर के रुनियाडीह गांव में लाउडस्पीकर गुरुजी से पढ़ रहे बच्चे

शासकीय प्राथमिक स्कूल रुनियाडीह के शिक्षकों ने पूरे लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए बेहद सराहनीय पहल की. राज्य सरकार की योजना 'पढ़ई तूंहर द्वार' के तहत बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही. लेकिन रुनियाडीह इलाके में कई ऐसे छात्र हैं, जिनके मोबाइल नहीं है और अगर मोबाइल हैं भी तो इंटरनेट की सुविधा नहीं है. कई क्षेत्रों में नेट कनेक्टिविटी का अभाव है.

surajpur  education in corona pandemic
बच्चों के लिए लगाया गया सैनिटाइजर मशीन

कोरोना संक्रमण से बचने वाले नियमों का किया जा रहा पालन

इन सभी बाधाओं को देखते हुए शासकीय प्राथमिक स्कूल रुनियाडीह के प्रधान पाठक सीमांचल त्रिपाठी ने 'लाउडस्पीकर गुरुजी' शिक्षा व्यवस्था के तहत बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं. सहयोगी शिक्षक रिजवान अली भी इसमें साथ दे रहे हैं. जिन बच्चों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, उन गांव और मोहल्लों में जाकर लाउडस्पीकर के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है. इस दौरान शासन-प्रशासन की जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए बच्चे मास्क भी लगाते हैं. पढ़ाई करते वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है.

surajpur loudspeaker guruji
सोशल डिस्टेंसिंग का किया जाता है पालन

छोटे क्लास के बच्चों को पढ़ाने में 10वीं क्लास के छात्रों का भी योगदान होता है. वे छोटे क्लास के बच्चों की कॉपी जांचने में मदद करते हैं. बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित नहीं हो रही है. इस पहल से गांव के लोग भी खुश हैं और शिक्षकों का सहयोग कर रहे हैं.

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मास्क लगाकर करते हैं पढ़ाई

पढ़ें- अच्छी पहल: जशपुर में अब केबल टीवी के माध्यम से पढ़ाई करेंगे बच्चे

कोरोना संक्रमण के दौरान अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित छात्रों के लिए यह एक अच्छा अवसर है. छात्रों ने बताया कि शिक्षा विभाग की यह अच्छी पहल है. 'लाउडस्पीकर गुरुजी' की मदद से वे सुरक्षित ढंग से पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ते वक्त हाथों को लगातर सैनिटाइज भी करते हैं और एक-दूसरे से दूर-दूर बैठकर ही पढ़ाई करते हैं. प्रशासनिक अधिकारी भी इस पहल से खुश हैं और इसे आपदा में अवसर बता रहे हैं.

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लाउडस्पीकर से पढ़ाते हुए शिक्षक

पढ़ें- SPECIAL: संसाधनों की कमी और नेटवर्क की समस्या के बीच कैसे साकार होगा 'पढ़ई तुंहर दुआर' का सपना

कोरोना काल में छात्रों की पढ़ाई के लिए सरकार से लेकर अभिभावक तक सभी चिंतित हैं. लेकिन आपदा में भी शिक्षकों का ये जज्बा कोरोना वॉरियर्स से कम नहीं है. वे बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और बच्चे भी खुशी-खुशी पढ़ रहे हैं, लेकिन इन छात्र-छात्राओं को इंतजार है कि कब स्कूल के दरवाजे फिर से खुलेंगे और वे स्कूल की घंटी की आवाज सून सकेंगे.

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