सूरजपुर: प्रतापपुर रेंज और बलरामपुर जिले के वन परिक्षेत्र में 10 और 11 जून को तीन मादा हाथियों के शव मिले थे. जिसके बाद वन विभाग ने तीनों हाथियों के शव का पोस्टमार्टम करवाया था. तीनों की बिसरा रिपार्ट आई है. रिपोर्ट के अनुसार हाथियों की मौत हैवी मेटल के सेवन से हुई है. लेकिन अब तक यह बात साफ नहीं हो सकी है कि आखिर हाथियों के हैवी मेटल सेवन का माध्यम क्या है.
बता दें तीनों मादा हाथियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सेंटर फाॅर वाइल्ड लाइफ कंसरवेटिव मैनेजमेटस एंड डिसीस सरवेलेंस इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीटयूट बरेली उत्तर प्रदेश से आई है. जानकारों की मानें तो मेटल को डायरेक्ट हाथी नहीं खा सकते हैं. हैवी मेटल में कीटनाशक और पेस्टीसाइडस भी होते हैं. लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि आखिर मेटल का सेवन हाथियों ने कैसे किया.
DFO ने बताया की फिलहाल बिसरा रिपार्ट आई है और दूसरे जांच रिपोर्ट आने का इंतजार है. फिलहाल मामले की और जांच की जा रही है. DFO ने इस कयास पर विराम लगा दिया है कि किसी ने जानबूझ कर हाथियों को मेटल या जहर दिया हो, उन्होंने कहा इसकी संभावना नहीं है यहां सालों से हाथियों का विचरण हो रहा है. इंसान और हाथियों के बीच दोस्ताना संबंध है. फसल और पानी के सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं. जिनकी रिपोर्ट अभी नहीं आ पाई है.
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हाथियों की मौत पर मचा था सियासी हंगामा
11 मई से 18 जून के बीच एक-एक कर 7 हाथियों के शव मिले हैं. इनमें से 3 सूरजपुर के प्रतापपुर, एक बलरामपुर के जंगल में, एक धमतरी और दो धरमजयगढ़ में मिले हैं. लगातार गजराज की मौत ने छत्तीसगढ़ के वन्यप्राणी प्रेमियों को बेचैन किया, तो सरकार भी चेती. सवालों के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वन विभाग के साथ बैठक की. इस दौरान छत्तीसगढ़ में विपक्ष भी सरकार पर हमला कर रहा था. जिसके बाद सरकार ने कई अधिकारियों पर कार्रवाई भी की थी. कोरबा और जशपुर के जंगलों में गणेश नाम के हाथी का काफी खौफ था, जिसकी मौत धरमजयगढ़ वन क्षेत्र में हुई थी.