सूरजपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिले में टोटल लॉकडाउन किया गया है. अक्टूबर महीने में नवरात्र शुरू होने वाले हैं और मूर्तिकार कई महीनों पहले से ही माता रानी की मूर्ति बनाने में लगे हुए थे. लेकिन संक्रमण काल को देखते हुए मूर्तिकार मायूस और निराश हैं. इस साल कोलकाता से आए हुए मूर्तिकारों को रोजी-रोटी की चिंता सता रही है.
नवरात्र को लेकर बाजारों में एक महीने पहले से ही रौनक हुआ करती थी. लेकिन इस साल कोरोना महामारी ने सभी त्योहारों की रौनक छीन ली. जहां एक ओर लॉकडाउन होने के कारण पूरे प्रदेश में ज्यादातर क्षेत्र बंद हैं, तो वहीं इस बंद ने मूर्तिकारों की चिंता भी बढ़ा दी है.
कोलकाता से हर साल दुर्गा प्रतिमा बनाने आते हैं मूर्तिकार
दरअसल कोलकाता से हर साल दर्जनों मूर्तिकार जिलेभर में पहुंचते हैं. नवरात्र के लिए ये मूर्तिकार सैकड़ों देवी प्रतिमा बनाते हैं और नवरात्र के बाद थोड़े पैसे कमाकर वापस घर चले जाते हैं. इस बार कोरोना संकट की वजह से नवरात्र में देवी प्रतिमा स्थापित करने को लेकर शासन-प्रशासन ने कड़े नियम जारी कर दिए हैं. इसके कारण बड़े पंडालों के आयोजक भी प्रशासनिक बंधनों में बंधे हुए हैं. कई आयोजकों ने अब तक प्रतिमा की बुकिंग भी नहीं कराई है, जिससे मूर्तिकारों दुखी हैं.
मूर्तिकारों का कहना है कि अबतक प्रतिमाओं की बुकिंग नहीं हुई है, जिससे उन्हें किराया जमा करने में भी कई परेशानियों से जूझना पड़ेगा.
पढ़ें- आर्थिक तंगी से जूझ रहे मूर्तिकार, कोरोना ने खड़ी की रोजी-रोटी की समस्या
बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे मूर्तिकार छत्तीसगढ़ में अनलॉक होने की जानकारी होने के बाद करीब एक महीने पहले सूरजपुर आ गए थे. लेकिन यहां आने के बाद उन्हें अब वापस जाने की चिंता सता रही है. देवी प्रतिमाएं अगर नहीं बिकेंगी तो मूर्तिकारों को नुकसान होगा, उनके सामने आर्थिक तंगी की परेशानी पहले ही खड़ी है. ऐसे में आयोजक भी जिला प्रशासन से नवरात्र को लेकर थोड़ी छूट की मांग जरूर कर रहे हैं, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ये त्योहार भी सूनेपन के साथ निकल जाएगा.
बता दें कि सूरजपुर में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, जिसे देखते हुए यहां लॉकडाउन किया गया. जिले में कुल संक्रमितों की संख्या 1400 के पार हैं. वहीं अबतक कोरोना से करीब 7 लोगों की मौत हो चुकी है.