सूरजपुर : प्रतापपुर के श्यामसाय और निरपति को खुद का घर प्रेम कुटीर मिल गया है. शनिवार को विधि विधान के साथ घर में दोनों का गृहप्रवेश हुआ. श्यामसाय पैंकरा और निरपति प्रतापपुर के खजुरी में रहते हैं. दोनों आंखों से दिव्यांग हैं. शादी के बाद से एक कच्चे और जर्जर घर में रहकर दोनों अपना जीवन काट रहे थे. नए घर के बारे में सोचना भी उनके लिए मुमकिन नहीं था. साथ ही नियमित रोजगार नहीं होने के कारण वे दोनों आर्थिक रुप से मजबूत भी नहीं थे. ऐसे में इनके लिए छोटे पांव मजबूत कदम सामाजिक संस्था आगे आई.
सामाजिक संस्था ने की मदद : दोनों दिव्यांगों की इस मजबूरी की जानकारी छोटे पांव मजबूत कदम के संयोजक राकेश मित्तल को थी.जिन्होंने अपनी टीम से चर्चा की और जनसहयोग से एक मकान बनाने का फैसला किया. दोनों के पास खुद की जमीन नहीं थी. श्यामसाय के ननिहाल से जमीन मिली. इसके बाद घर निर्माण का काम शुरू कर दिया गया. लोगों ने उनके घर के लिये खुले दिल से सहयोग किया. लगभग एक महीने में घर बनकर तैयार हो गया. घर को प्रेम कुटीर नाम दिया गया.जिसका शनिवार को विधिविधान से गृह प्रवेश हुआ.
घर का नाम प्रेम कुटीर क्यों पड़ा : श्यामसाय और निरपति के घर का नाम प्रेम कुटीर रखा गया. यह नाम छोटे पांव मजबूत कदम की ज्योत्सना बेलचंदन ने रखा है. उन्होंने इस सम्बंध में बताया कि ''दोनों को एक दूसरे प्यार हुआ और फिर शादी के बंधन में बंध गए. यह प्रेम विवाह अंतर्जातीय है.आज दोनों के बीच अटूट सम्बन्ध हैं. इनका प्रेम समाज के लिए आदर्श उदाहरण है.इसी कारण घर का नाम प्रेम कुटीर रखा है जो इनके प्रेम प्रेम को समर्पित है.''
कैसे हुआ घर का निर्माण : घर निर्माण के दौरान मजदूरों ने भी संवेदनशीलता दिखाई. एक दिन का श्रमदान किया. इनमें राजमिस्त्री दीपन पैंकरा,जेठू,अमर,कलेश्वर, सोनम,सुखमेन, सोनू आयाम,दशरथ,राम,बैजनाथ,लक्ष्मण,तानिया और अन्य मजदूर और राजमिस्त्री शामिल हैं. जिनके बिना दिव्यांगों के प्रेम कुटीर का निर्माण नहीं हो सकता था.
दंपति ने लोगों को कहा धन्यवाद : खुद का घर बनने के बाद श्यामसाय और निरपति ने कहा कि ''आज का दिन हमारे लिए सबसे बड़ा और खास है. छोटे पांव मजबूत कदम और सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद किया है.श्यामसाय ने कहा कि गरीबी के कारण यह सम्भव नहीं था कि वे बना पाएं. इसलिए सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मित्तल को परेशानी बताई थी. जो उनके साथ हमेशा खड़े रहते हैं. फिर उनके और उनके साथियों के प्रयास और लोगों के सहयोग से उनके लिए घर बन गया है.वे कभी नहीं भूल पाएंगे कि किस तरह लोग उनकी मदद के लिए सामने आए.''
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जनसहयोग से मकान का निर्माण हुआ संभव : छोटे पांव मजबूत कदम के संयोजक राकेश मित्तल के साथ पूरी टीम ने प्रेम कुटीर बनने और गृहप्रवेश के बाद कहा कि ''यह जनसहयोग से ही सम्भव हो पाया है. गरीबी के कारण वे अपना घर नहीं बना पा रहे थे. जब लोगों के सामने यह बात हम लेकर गए तो सबने खुले दिल से सहयोग किया. उन्होंने कहा कि छोटे पांव मजबूत कदम कई सालों से जनहित में काम कर रहा है.जनसहयोग से नियमित करते रहेगा.उन्होंने उनकी संस्था को हमेशा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले दानदाताओं का आभार व्यक्त किया.''