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SPECIAL : बिना पुल के रोजाना जोखिम में जान डालने को मजबूर ओड़गी के ग्रामीण, प्रशासन बेखबर

सूरजपुर के ओड़गी ब्लॉक में रेण नदी पर बना पुल साल 2016 में बारिश के दौरान टूट गया था. चार साल बाद भी कुप्पा घाट में बहे पुल की स्थिति जस की तस है. ग्रामीणों को रोजाना जान की बाजी लगाकर नदी पार करना पड़ रहा है.

The bridge over Ren river did not build even after four years in surajpur
दाव पर जिंदगी
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Published : Jun 9, 2020, 10:23 PM IST

सूरजपुर : सूरजपुर के ओड़गी ब्लॉक के ग्रामीणों को रोजाना जिंदगी दांव पर लगाकर नदी पार करना पड़ता है. यह जानलेवा सफर ग्रामीण रोज करते हैं लेकिन प्रशासन ने आज तक इनकी गुहार नहीं सुनी. दरअसल, रेण नदी पर बना पुल साल 2016 में बारिश के दौरान टूट गया था. चार साल बाद भी कुप्पा घाट में बहे पुल की स्थिति जस की तस है. लेकिन बावजूद इसके प्रशासन की नींद नहीं टूटी है. शासन-प्रशासन की अनदेखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, आठ पंचायत के लोग आज भी टूटे रपटे के सहारे नदी पार कर रहे हैं.

जोखिम में जान

8 मार्च को भटगांव विधायक पारसनाथ राजवाड़े की ओर से नदी पर रपटा निर्माण काराया गया था. लेकिन एक हफ्ते बाद वह पुल भी बह गया. तब से फिर ढाक के पात जैसी स्थिति हो गई है. लगभग आठ हजार ग्रामीणों को रोज दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं. रपटा पुल क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद यहां से होकर गुजरना खतरनाक है. लेकिन लोग मजबूर हैं, क्योंकि कोई और विकल्प नहीं है. स्थानीय लोगों ने नया पुल बनाने की मांग कई बार कर चुके है लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई. ना प्रशासन साथ दे रहा और ना ही किसी जनप्रतिनिधि ने कोई पहल की है.

पढे़ं-पुलिसकर्मियों को भारी पड़ेगी बदसलूकी, निलंबन के साथ दर्ज होगा केस

शासन-प्रशासन की अनदेखी से हो सकता है बड़ा हादसा

बारिश का मौसम आ चुका है. कभी भी यह नदी विकराल रूप धारण कर सकती है. स्थानीय नया पुल की बनाने मांग करते-करते थक चुके हैं. शासन बार-बार उनकी मांग को अनसुना कर रहा है. इस अंधेरगर्दी और लापरवाही का अंत पता नहीं कब होगा. सवाल उठता है कि क्या प्रशासन किसी हादसे का इंतजार कर रहा है ?

सूरजपुर : सूरजपुर के ओड़गी ब्लॉक के ग्रामीणों को रोजाना जिंदगी दांव पर लगाकर नदी पार करना पड़ता है. यह जानलेवा सफर ग्रामीण रोज करते हैं लेकिन प्रशासन ने आज तक इनकी गुहार नहीं सुनी. दरअसल, रेण नदी पर बना पुल साल 2016 में बारिश के दौरान टूट गया था. चार साल बाद भी कुप्पा घाट में बहे पुल की स्थिति जस की तस है. लेकिन बावजूद इसके प्रशासन की नींद नहीं टूटी है. शासन-प्रशासन की अनदेखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, आठ पंचायत के लोग आज भी टूटे रपटे के सहारे नदी पार कर रहे हैं.

जोखिम में जान

8 मार्च को भटगांव विधायक पारसनाथ राजवाड़े की ओर से नदी पर रपटा निर्माण काराया गया था. लेकिन एक हफ्ते बाद वह पुल भी बह गया. तब से फिर ढाक के पात जैसी स्थिति हो गई है. लगभग आठ हजार ग्रामीणों को रोज दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं. रपटा पुल क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद यहां से होकर गुजरना खतरनाक है. लेकिन लोग मजबूर हैं, क्योंकि कोई और विकल्प नहीं है. स्थानीय लोगों ने नया पुल बनाने की मांग कई बार कर चुके है लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई. ना प्रशासन साथ दे रहा और ना ही किसी जनप्रतिनिधि ने कोई पहल की है.

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शासन-प्रशासन की अनदेखी से हो सकता है बड़ा हादसा

बारिश का मौसम आ चुका है. कभी भी यह नदी विकराल रूप धारण कर सकती है. स्थानीय नया पुल की बनाने मांग करते-करते थक चुके हैं. शासन बार-बार उनकी मांग को अनसुना कर रहा है. इस अंधेरगर्दी और लापरवाही का अंत पता नहीं कब होगा. सवाल उठता है कि क्या प्रशासन किसी हादसे का इंतजार कर रहा है ?

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