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सूरजपुर: सरकार की कोशिशों के बाद भी जारी है बाल विवाह, बाल संरक्षण इकाई ने रोकी 36 शादियां

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Published : May 5, 2019, 3:08 PM IST

शासन द्वारा हर साल जागरूकता अभियान के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. लेकिन इसका असर सूरजपुर जिले में नहीं दिखाई दे रहा है. शायद यही वजह है कि आज भी 21वीं सदी में भी बालविवाह जैसा अभिशाप हमारे समाज में जिंदा है.

बाल विवाह

सूरजपुर : शादी का सीजन शुरू होते हैं ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह का सिलसिला भी शुरू हो गया है. महिला बाल विकास विभाग के जिला बाल संरक्षण इकाई ने अभी तक 36 नाबालिग शादियों को रोक पाने में सफल हुई है.

बाल विवाह

बाल विवाह का पहला मामला
रामानुजगंज नगर के गांव सरायपारा में तीन बाल विवाह की सूचना पर जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम गांव पहुंची, जहां 17 साल की किशोरी की बारात आने वाली थी, तभी उसके परिवार को समझाइश दी गई. जिसके बाद परिजन विवाह नहीं करने को राजी हो गए.

बाल विवाह का दूसरा मामला
ऐसा ही एक और मामला सामने आया, जहां लड़के की बारात आने वाली थी, लेकिन लड़के की उम्र 21 साल से कम होने के कारण उसकी बारात को भी भिजवाया गया. वहां बारात जाने वाली गाड़ियों को भी वापस कराया गया.

शासन की नीति सुस्त
जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीणों पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं. तो वहीं सामाजिक कार्यकर्ता इसके लिए शासन की नीति और अधिकारियों के सुस्त रवैया को मुख्य वजह बता रहे हैं और ग्रामीणों की बात करें तो वह उन्हें जानकारी का अभाव है.

जागरूकता अभियान का असर सूरजपुर में नहीं
शासन द्वारा हर साल जागरूकता अभियान के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. लेकिन इसका असर सूरजपुर जिले में नहीं दिखाई दे रहा है. शायद यही वजह है कि आज भी 21वीं सदी में भी बालविवाह जैसा अभिशाप हमारे समाज में जिंदा है.

सूरजपुर : शादी का सीजन शुरू होते हैं ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह का सिलसिला भी शुरू हो गया है. महिला बाल विकास विभाग के जिला बाल संरक्षण इकाई ने अभी तक 36 नाबालिग शादियों को रोक पाने में सफल हुई है.

बाल विवाह

बाल विवाह का पहला मामला
रामानुजगंज नगर के गांव सरायपारा में तीन बाल विवाह की सूचना पर जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम गांव पहुंची, जहां 17 साल की किशोरी की बारात आने वाली थी, तभी उसके परिवार को समझाइश दी गई. जिसके बाद परिजन विवाह नहीं करने को राजी हो गए.

बाल विवाह का दूसरा मामला
ऐसा ही एक और मामला सामने आया, जहां लड़के की बारात आने वाली थी, लेकिन लड़के की उम्र 21 साल से कम होने के कारण उसकी बारात को भी भिजवाया गया. वहां बारात जाने वाली गाड़ियों को भी वापस कराया गया.

शासन की नीति सुस्त
जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीणों पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं. तो वहीं सामाजिक कार्यकर्ता इसके लिए शासन की नीति और अधिकारियों के सुस्त रवैया को मुख्य वजह बता रहे हैं और ग्रामीणों की बात करें तो वह उन्हें जानकारी का अभाव है.

जागरूकता अभियान का असर सूरजपुर में नहीं
शासन द्वारा हर साल जागरूकता अभियान के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. लेकिन इसका असर सूरजपुर जिले में नहीं दिखाई दे रहा है. शायद यही वजह है कि आज भी 21वीं सदी में भी बालविवाह जैसा अभिशाप हमारे समाज में जिंदा है.

Intro:शादी का सीजन शुरू होते हैं ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह का सिलसिला भी शुरू हो गया है शासन की लापरवाही की वजह से अभी तक कई नाबालिक जोड़े शादी के बंधन मैं बन चुके हैं वहीं महिला संरक्षण और महिला बाल विकास ने अभी तक 36 नाबालिग शादियों को रोक पाने में सफल हुई है जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीणों पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं तो वहीं सामाजिक कार्यकर्ता इसके लिए शासन की नीति और अधिकारियों के सुस्त रवैया को मुख्य वजह बता रहे हैं और ग्रामीणों की बात करें तो वह उन्हें जानकारी के अभाव है

बाईट - हेमंत प्रजापति ,,,,परियोजना अधिकारी सूरजपुर


Body:शासन द्वारा प्रत्येक वर्ष जागरूकता अभियान के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन इसका असर सूरजपुर जिले में नहीं दिखाई दे रहा है शायद यही वजह है कि आज भी 21वीं सदी में भी बालविवाह जैसा अभिशाप हमारे समाज में विद्वान है जिला प्रशासन के आंकड़े के अनुसार अभी तक जिलेभर में महिला बाल विकास और संरक्षण इकाई ने 63 नाबालिग जोड़ों की शादी रुकवा ही है लेकिन इसके पास या आंकड़ा नहीं है कि अब तक कितने नाबालिग जोड़े शादी में बन चुके हैं संबंधित अधिकारी इसके लिए ग्रामीणों पर ठीकरा फोड़ रहे हैं


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