सुकमा: प्रतिबंधित आंदोलन के एक मिलिशिया प्लाटून सदस्य सहित दो नक्सलियों ने शनिवार को पुलिस के सामने सरेंडर किया. दोनों भेजनी इलाके में हिंसा की कई घटनाओं में शामिल रहे हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही थी. नक्सलियों की खोखली विचारधारा से तंग आकर दोनों ने यह फैसला किया. अब पुलिस दोनों के पुनर्वास में मदद करेगी.
मिलिशिया प्लाटून के सदस्य हैं दोनों: पुलिस अधिकारी के मुताबिक, "देवा और एर्रा ने सरेंडर किया है. देवा मिलिशिया प्लाटून का सदस्य था, जबकि एर्रा मिलिशिया सदस्य होने के साथ ही प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के कोरोशेगुड़ रिवोल्यूशनरी पीपुल्स (आरपीसी) के तहत कृषि समिति का भी मेंबर था."
नक्सलियों की विचारधारा लगी खोखली, इसलिए किया सरेंडर: देवा और एर्रा सुकमा के भेजनी इलाके में हिंसा की कई वारदात को अंजाम दे चुके हैं. पुलिस को लंंबे समय से दोनों की तलाश थी. पुलिस के मुताबिक, "देवा और एर्रा नक्सलियों की अमानवीय और खोखली विचारधारा से निराश हैं. इसलिए उन्होंने हथियार डालने का फैसला किया. राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति के अनुसार देवा और एर्रा का पुनर्वास किया जाएगा."
जानिए क्या है आत्मसमर्पण नीति: नक्सलियों के बहकावे में आकर हिंसा के रास्ते पर चल पड़े युवाओं को फिर से समाज से जोड़ने के लिए सरकार नक्सल उन्मूलन अभियान चला रही है. इसे "पूना नर्कोम" नाम दिया गया है, जिसका स्थानीय गोंडी बोली में मतलब होता है- नई सुबह या नई शुरुआत. पूना नर्कोम अभियान के तहत सुकमा के नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस पहुंच रही है. बैनर पोस्टर लगाकर भटके हुए लोगों से हिंसा का रास्ता छोड़ने की अपील की जा रही है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत सरकार कई तरह की सुविधाएं भी दे रही है, ताकि फिर से वो भटकने न पाएं.
(Source-PTI)