सुकमा : प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान के तहत चलाए जा रहे शौचालय निर्माण योजना के तहत जिले में बन रहे शौचालय में घटिया निर्माण किया जा रहा है. साथ ही अधिकांश शौचालय आज भी अधूरे हैं. जिले के कई गांव ऐसे हैं, जिसे ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन आज भी ग्रामीण खुले में शौच को मजबूर हैं.
दरअसल, जिले के 3 विकासखंड के 125 ग्राम पंचायतों में से 63 ग्राम पंचायतों को कागजों पर ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन ETV भारत की पड़ताल में जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है.
जिरमपाल ग्राम पंचायत कागजों में ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन जो हकीकत सामने आई वह ऐसी है.
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⦁ ज्यादातर घरों में शौचालय का अधूरा ढांचा खड़ा कर दिया गया.
⦁ कई घरों में शौचालय तो बना दिए गए, लेकिन सेफ्टी टैंक नहीं है.
⦁ 371 परिवारों के लिए शासन ने शौचालय स्वीकृत किए थे, जिसमें अधिकांश अधूरे पड़े हैं. जो पूरे हुए वे भी काम का नहीं है.
वहीं स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक विजय जैन ने बात-बात में दबी जुबां में स्वीकार शौचालय निर्माण पूरा न होने की बात कहते हुए कहा कि अधिकारियों के दबाव में आधे-अधूरे शौचालयों को पूरा बताकर 63 ग्राम पंचायतों को ODF घोषित कर दिया गया है.
जिले में तीन विकासखंड सुकमा, छिंदगढ़ और कोंटा है. सुकमा ब्लॉक के 23, छिंदगढ़ ब्लॉक के 35 और घोर नक्सल प्रभावित कोंटा विकासखंड के 57 ग्राम पंचायतों में से महज 5 ग्राम पंचायत को ODF घोषित किया गया है. इन तीनों विकासखंड में कुल 23 हजार शौचालय बनाए गए हैं, इसके लिए अब-तक 27 करोड़ 60 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. इतनी बड़ी राशि महज कागजों पर ही खुले में शौच मुक्त करने के लिए जिम्मेदारों ने खर्च कर दिया है.