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कागजों पर ODF घोषित 63 ग्राम पंचायतों में आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं ग्रामीण

सुकमा के 3 विकासखंड की 125 ग्राम पंचायत में से 63 ग्राम पंचायतों को कागज पर ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन ETV भारत की पड़ताल में सरकारी दावों की पोल खोल रही है.

खुले में शौच जाने को मजबूर हैं ग्रामीण
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Published : Oct 5, 2019, 10:39 PM IST

Updated : Oct 7, 2019, 8:20 AM IST

सुकमा : प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान के तहत चलाए जा रहे शौचालय निर्माण योजना के तहत जिले में बन रहे शौचालय में घटिया निर्माण किया जा रहा है. साथ ही अधिकांश शौचालय आज भी अधूरे हैं. जिले के कई गांव ऐसे हैं, जिसे ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन आज भी ग्रामीण खुले में शौच को मजबूर हैं.

खुले में शौच जाने को मजबूर हैं ग्रामीण

दरअसल, जिले के 3 विकासखंड के 125 ग्राम पंचायतों में से 63 ग्राम पंचायतों को कागजों पर ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन ETV भारत की पड़ताल में जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है.
जिरमपाल ग्राम पंचायत कागजों में ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन जो हकीकत सामने आई वह ऐसी है.

पढ़ें : ATM कैश वैन से लूट के चारों आरोपी गिरफ्तार, DGP ने किया खुलासा
⦁ ज्यादातर घरों में शौचालय का अधूरा ढांचा खड़ा कर दिया गया.
⦁ कई घरों में शौचालय तो बना दिए गए, लेकिन सेफ्टी टैंक नहीं है.
⦁ 371 परिवारों के लिए शासन ने शौचालय स्वीकृत किए थे, जिसमें अधिकांश अधूरे पड़े हैं. जो पूरे हुए वे भी काम का नहीं है.

वहीं स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक विजय जैन ने बात-बात में दबी जुबां में स्वीकार शौचालय निर्माण पूरा न होने की बात कहते हुए कहा कि अधिकारियों के दबाव में आधे-अधूरे शौचालयों को पूरा बताकर 63 ग्राम पंचायतों को ODF घोषित कर दिया गया है.

जिले में तीन विकासखंड सुकमा, छिंदगढ़ और कोंटा है. सुकमा ब्लॉक के 23, छिंदगढ़ ब्लॉक के 35 और घोर नक्सल प्रभावित कोंटा विकासखंड के 57 ग्राम पंचायतों में से महज 5 ग्राम पंचायत को ODF घोषित किया गया है. इन तीनों विकासखंड में कुल 23 हजार शौचालय बनाए गए हैं, इसके लिए अब-तक 27 करोड़ 60 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. इतनी बड़ी राशि महज कागजों पर ही खुले में शौच मुक्त करने के लिए जिम्मेदारों ने खर्च कर दिया है.

सुकमा : प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान के तहत चलाए जा रहे शौचालय निर्माण योजना के तहत जिले में बन रहे शौचालय में घटिया निर्माण किया जा रहा है. साथ ही अधिकांश शौचालय आज भी अधूरे हैं. जिले के कई गांव ऐसे हैं, जिसे ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन आज भी ग्रामीण खुले में शौच को मजबूर हैं.

खुले में शौच जाने को मजबूर हैं ग्रामीण

दरअसल, जिले के 3 विकासखंड के 125 ग्राम पंचायतों में से 63 ग्राम पंचायतों को कागजों पर ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन ETV भारत की पड़ताल में जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है.
जिरमपाल ग्राम पंचायत कागजों में ODF घोषित किया जा चुका है, लेकिन जो हकीकत सामने आई वह ऐसी है.

पढ़ें : ATM कैश वैन से लूट के चारों आरोपी गिरफ्तार, DGP ने किया खुलासा
⦁ ज्यादातर घरों में शौचालय का अधूरा ढांचा खड़ा कर दिया गया.
⦁ कई घरों में शौचालय तो बना दिए गए, लेकिन सेफ्टी टैंक नहीं है.
⦁ 371 परिवारों के लिए शासन ने शौचालय स्वीकृत किए थे, जिसमें अधिकांश अधूरे पड़े हैं. जो पूरे हुए वे भी काम का नहीं है.

वहीं स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक विजय जैन ने बात-बात में दबी जुबां में स्वीकार शौचालय निर्माण पूरा न होने की बात कहते हुए कहा कि अधिकारियों के दबाव में आधे-अधूरे शौचालयों को पूरा बताकर 63 ग्राम पंचायतों को ODF घोषित कर दिया गया है.

जिले में तीन विकासखंड सुकमा, छिंदगढ़ और कोंटा है. सुकमा ब्लॉक के 23, छिंदगढ़ ब्लॉक के 35 और घोर नक्सल प्रभावित कोंटा विकासखंड के 57 ग्राम पंचायतों में से महज 5 ग्राम पंचायत को ODF घोषित किया गया है. इन तीनों विकासखंड में कुल 23 हजार शौचालय बनाए गए हैं, इसके लिए अब-तक 27 करोड़ 60 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. इतनी बड़ी राशि महज कागजों पर ही खुले में शौच मुक्त करने के लिए जिम्मेदारों ने खर्च कर दिया है.

Intro:कागजों में ग्राम पंचायतें ओडीएफ, जमीनी हकीकत इससे उलट...

सुकमा. प्रधान मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत और प्रधानमंत्री शौचालय योजना को जिम्मेदारों ने किस तरह से पलीता लगा रहे हैं इसकी बानगी सुकमा जिले में देखने को मिल रहा है। जिले में ग्रामो को ओडीएफ( खुले में शौच मुक्त) बनाने के दावे कागजों पर दौड़ रहे हैं। मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

जिला प्रशासन ने पुख्ता जानकारी के बिना ही जिले के 63 पंचायतों को ओडीएफ घोषित कर दिया। लेकिन 80 फीसदी गांव आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है। etv भारत ने जब इसकी सच्चाई की पड़ताल की तो कई खुलासे हुए। कागजों में ओडीएफ तो बना दिया लेकिन अधिकांश शौचालय आज भी अधूरे है और जहां पूर्ण है वहां घटिया निर्माण ने उसे इस्तेमाल के लायक नही छोड़ा।




Body:प्रशासन ने स्वच्छ भारत मिशन के प्रचार में दीवारों को रंग रोगन जरूर कर दिया लेकिन अधूरे पड़े शौचालय को पूर्ण करने का प्रयास नही किया.

सुकमा ब्लॉक के जिरमपाल ग्राम पंचायत के ग्रामीण लगातार शौचालय की शिकायत करते आ रहे हैं. etv भारत ने ग्राम पंचायतों की पड़ताल की. इस दौरान जो सच्चाई सामने आई वह सरकारी दावों की पोल खोल रही थी. योजना के तहत अधिकांश घरों में शौचालय का अधूरा ढांचा खड़ा कर दिया गया. वहीं कई घरों में शौचालय तो बना दिये गए लेकिन सेफ्टी टैंक नही है. ग्रामीणो के अनुसार पूरे पंचायत में 7 सौ परिवार है. 371 परिवारों के लिए शासन ने शौचालय स्वीकृत किये. जिनमे अधिकांश अधूरे पड़े हैं. ये मात्र एक पंचायत की कहानी है. इसके बावजूद जिम्मेदारों ने इसे ओडीएफ घोषित जर दिया।

पूरे जिले की ओडीएफ जानकारी लेने जब हमने स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक विजय जैन से बात की तो उन्होंने दबीं जुबां में स्वीकार किया कि अधिकारियों के दबाव में आधे-अधूरे पड़े शौचालयों को पूर्ण बताकर जिले के 63 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित कर दिया.




Conclusion:सरकारी दावो पर एक नजर:
जिले में तीन विकासखंड सुकमा, छिंदगढ़ और कोन्टा है। सुकमा ब्लॉक में 23, छिंदगढ़ ब्लॉक में 35 और घोर नक्सल प्रभावित कोन्टा विकासखण्ड में 57 ग्राम पंचायतों में केवल 5 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया गया है। तीनो विकासखंड में कुल 23 हजार शौचालय बनाये गए हैं। जिसमे अब तक 27 करोड़ 60 लाख रुपये खर्च किये गए है। इतनी बड़ी राशि महज कागजों में शौच मुक्त करने के लिए जिम्मेदारों ने खर्च कर दिया है।

फैक्ट फ़ाइल:-

जिले में कुल विकासखंड - 3
जिले में कुल परिवार - 53 हजार
जिले में निर्मित शौचालय - 23 हजार
शौचालय के लिए खर्च राशि - 27 करोड़ 60 लाख
कुल ग्राम पंचायत - 125
ओडीएफ घोषित ग्राम पंचायत - 63

बाइट 01: किशन, ग्रामीण
बाइट 02: संतोष कश्यप, ग्रामीण
बाइट 03: कवासी भीमा, सरपंच जिरमपाल
cutt shot: विजय जैन, जिला समन्वयक, एसबीएम

Last Updated : Oct 7, 2019, 8:20 AM IST
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