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दोरनापाल नगर पंचायत: इतने लापरवाह निकले जिम्मेदार कि जर्जर सड़कें ही बन गई नगर की पहचान - basic problems in dornapal nagar panchayat

2009 में दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया. नगर पंचायत बनने के बाद नगरवासियों में खुशी की लहर थी. लोगों को लगा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो नगर की भाजपा सरकार दोगुनी गति से विकास करेगी और उन्हें सभी मूलभूत सुविधाएं मिल जाएगी, लेकिन पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण दोरनापाल की समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई है.

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Published : Oct 31, 2019, 12:06 AM IST

सुकमा: दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा तो मिला, लेकिन शहर आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. नगर के वार्डों की जर्जर सड़कें, जगह-जगह फैली गंदगी और सड़कों पर जमा बारिश और नाले का पानी दोरनापाल की पहचान है.

इतने लापरवाह निकले जिम्मेदार कि जर्जर सड़कें ही बन गई नगर की पहचान

जब राज्य में बीजेपी की सरकार थी, तब 2009 में दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया. नगर पंचायत बनने के बाद नगरवासियों में खुशी की लहर थी. लोगों को लगा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो नगर की भाजपा सरकार दोगुनी गति से विकास करेगी और उन्हें सभी मूलभूत सुविधाएं मिल जाएगी, लेकिन पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण दोरनापाल की समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई है.

जल निकासी की सुविधा नहीं
दोरनापाल को नगर पंचायत बने 10 साल होने को है, लेकिन नगर सरकार मुक्तिधाम के लिए सड़क तक नहीं बना सकी है. शहर से जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. इससे हल्की बारिश में भी शहर की स्थिति नारकीय हो जाती है. जो कुछ नालियां बनी है, उसकी साफ-सफाई के अभाव में नाले के गंदे पानी से शहर की स्थिति नारकीय बनी रहती है.

जर्जर सड़कें है नगर की पहचान
दोरनापाल के वर्डों में बनी सीसी सड़कें निर्माण के चंद महीनों में ही उखाड़ गई है. जिसके चलते अधिकांश सड़कें जर्जर हो गई है. बारिश का पानी सड़कों पर जमा रहने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोगों को पीने के लिए साफ पानी तक नहीं मिल रहा है.

सुकमा: दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा तो मिला, लेकिन शहर आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. नगर के वार्डों की जर्जर सड़कें, जगह-जगह फैली गंदगी और सड़कों पर जमा बारिश और नाले का पानी दोरनापाल की पहचान है.

इतने लापरवाह निकले जिम्मेदार कि जर्जर सड़कें ही बन गई नगर की पहचान

जब राज्य में बीजेपी की सरकार थी, तब 2009 में दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया. नगर पंचायत बनने के बाद नगरवासियों में खुशी की लहर थी. लोगों को लगा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो नगर की भाजपा सरकार दोगुनी गति से विकास करेगी और उन्हें सभी मूलभूत सुविधाएं मिल जाएगी, लेकिन पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण दोरनापाल की समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई है.

जल निकासी की सुविधा नहीं
दोरनापाल को नगर पंचायत बने 10 साल होने को है, लेकिन नगर सरकार मुक्तिधाम के लिए सड़क तक नहीं बना सकी है. शहर से जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. इससे हल्की बारिश में भी शहर की स्थिति नारकीय हो जाती है. जो कुछ नालियां बनी है, उसकी साफ-सफाई के अभाव में नाले के गंदे पानी से शहर की स्थिति नारकीय बनी रहती है.

जर्जर सड़कें है नगर की पहचान
दोरनापाल के वर्डों में बनी सीसी सड़कें निर्माण के चंद महीनों में ही उखाड़ गई है. जिसके चलते अधिकांश सड़कें जर्जर हो गई है. बारिश का पानी सड़कों पर जमा रहने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोगों को पीने के लिए साफ पानी तक नहीं मिल रहा है.

Intro:विकास की आस में दोरनापाल नगर पंचायत

सुकमा. दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा तो मिला, लेकिन नहीं मिली सुविधाएं. वार्डों की जर्जर सड़कें, जगह-जगह गंदगी का अंबार और सड़कों पर जमा बारिश का पानी दोरनापाल की पहचान है.

भाजपा शासन में ही साल 2009 में दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद नगरवासियों में खुशी की लहर दौड़ी थी. लोगों को लगा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो नगर की भाजपा सरकार दुगनी गति से विकास करेगी और विभिन्न नागरिक सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण दोरनापाल की समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई है.

Body:मुक्तिधाम जाने के लिए सड़क नही: दोरनापाल को नगर पंचायत बने 10 साल होने को आया है. लेकिन नगर सरकार ने मुक्तिधाम ले लिए सड़क भी नही बना सकी है. जिंदा तो दूर मुर्दों की चिता को भी अग्नि मिलना मुश्किल हो गया है. मौत के बाद शव को खेतों से होते हुए मुक्तिधाम तक पहुंचाना पड़ता है. बारिश में हालात बेहद मुश्किल हो जाते हैं.

जलनिकासी की सुविधा नदारद : शहर से जलनिकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गयी है. इससे हल्की बरसात के बाद ही शहर की स्थिति नारकीय हो जाती है. जो कुछ नालियां बनी हैं, उसकी साफ-सफाई के अभाव में नाले के गंदे पानी से शहर की स्थिति नारकीय बनी रहती है.

Conclusion:जर्जर सड़कें है नगर की पहचान:
दोरनापाल के विभिन्न वर्फ़ों में बनी सीसी सड़कें निर्माण के चंद महीनों में उखाड़ गई है। जिसके चलते अधिकांश सड़कें जर्जर हो गई है। बारिश का पानी सड़कों पर जमा रहने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।आज भी दोरनापाल में गांव जैसी सुविधाएं है। लोगों को पीने के लिए साफ पानी भी नही मिल रहा है।
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