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नक्सली ड्रोन से रख रहे हैं सुरक्षाबलों पर नजर! CRPF कैंप पर दिखी अज्ञात लाइट - सुकमा में नक्सल गतिविधि

खुफिया विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक गढ़चिरौली और दक्षिण बस्तर में नक्सलियों के पेलोड ड्रोन खरीदने की खबर मिली है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि दक्षिण बस्तर में रात को आकाश में दिखने वाली रोशनी पेलाड ड्रोन की हो सकती है.

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Published : Oct 6, 2019, 12:58 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 1:24 PM IST

सुकमा: पालोड़ी सीआरपीएफ कैंप के ऊपर एक अज्ञात रोशनी देखने को मिली है. करीब तीन रातों से घूम रही इस रोशनी ने सुरक्षा एजेंसियों को परेशान कर दिया है. जवान अब तक ये पता नहीं लगा पाए है कि आखिर ये रोशनी किस चीज की है. अनुमान लगाया जा रहा है कि नक्सली ड्रोन जैसी किसी उपकरण से सुरक्षाबलों पर नजर रख रहे हैं. खास बात यह है कि कैंप के आस—पास घूम रहे इस उपकरण में लाइट तो जल रही है लेकिन उसमें कोई आवाज नहीं आ रही है. सीआरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक जिस तरह से रोशनी दिखाई पड़ रही है उससे ड्रोन कैमरे का शक हो रहा है.

नक्सली ड्रोन से रख रहे हैं सुरक्षाबलों पर नजर

खुफिया विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक गढ़चिरौली और दक्षिण बस्तर में नक्सलियों के पेलोड ड्रोन खरीदने की खबर मिली है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि दक्षिण बस्तर में रात को आकाश में दिखने वाली रोशनी पेलाड ड्रोन की हो सकती है. सीआरपीएफ जवानों ने रात को अलग-अलग समय पर आसमान में रोशनी देखी है. वहीं एक ड्रोन को आमापेंटा की ओर जाते भी देखा है.

क्या है पेलोड ड्रोन
पेलोड एक ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) है. इसमें ड्रोन के अलावा अतिरिक्त कैमरा, सेंसर या डिलिवरी के लिए पैकेज भी शामिल होते हैं. पेलोड ड्रोन कम से कम तीन किलो और अधिकतम 30 किलो का वजन लेकर उड़ सकते हैं. इस हिसाब से सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ना लाजमी है. यदि नक्सली पेलोड ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सुरक्षाबलों को सतर्क होने की जरूरत है. क्योंकि नक्सली पेलोड ड्रोन के जरिए 10 से 30 किलो की आईईडी का इस्तेमाल सुरक्षाबलों के कैंपों पर कर सकते हैं.

किस्टाराम क्षेत्र है संवेदनशील
किस्टाराम इलाका नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में जाना जाता है. यहां आए दिन नक्सली वारदात होती रहती है. साल 2018 में नक्सलियों ने इसी इलाके में सुरक्षाबलों की एंटी लैंड व्हीकल को आईईडी विस्फोट कर उड़ाया था. जिसमें सीआरपीएफ के 9 जवान शहीद हुए थे.

सुकमा पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने इसे गंभीर और चिंता का विषय बताया है. उन्होंने कहा कि किस्टाराम इलाके में सीआरपीएफ कैंपों पर रोशनी देखी गई है. आशंका जताई जा रही है कि नक्सलियों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कथित ड्रोन का अलग—अलग एजेंसियों से जांच कराया जाएगा.

सुकमा: पालोड़ी सीआरपीएफ कैंप के ऊपर एक अज्ञात रोशनी देखने को मिली है. करीब तीन रातों से घूम रही इस रोशनी ने सुरक्षा एजेंसियों को परेशान कर दिया है. जवान अब तक ये पता नहीं लगा पाए है कि आखिर ये रोशनी किस चीज की है. अनुमान लगाया जा रहा है कि नक्सली ड्रोन जैसी किसी उपकरण से सुरक्षाबलों पर नजर रख रहे हैं. खास बात यह है कि कैंप के आस—पास घूम रहे इस उपकरण में लाइट तो जल रही है लेकिन उसमें कोई आवाज नहीं आ रही है. सीआरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक जिस तरह से रोशनी दिखाई पड़ रही है उससे ड्रोन कैमरे का शक हो रहा है.

नक्सली ड्रोन से रख रहे हैं सुरक्षाबलों पर नजर

खुफिया विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक गढ़चिरौली और दक्षिण बस्तर में नक्सलियों के पेलोड ड्रोन खरीदने की खबर मिली है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि दक्षिण बस्तर में रात को आकाश में दिखने वाली रोशनी पेलाड ड्रोन की हो सकती है. सीआरपीएफ जवानों ने रात को अलग-अलग समय पर आसमान में रोशनी देखी है. वहीं एक ड्रोन को आमापेंटा की ओर जाते भी देखा है.

क्या है पेलोड ड्रोन
पेलोड एक ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) है. इसमें ड्रोन के अलावा अतिरिक्त कैमरा, सेंसर या डिलिवरी के लिए पैकेज भी शामिल होते हैं. पेलोड ड्रोन कम से कम तीन किलो और अधिकतम 30 किलो का वजन लेकर उड़ सकते हैं. इस हिसाब से सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ना लाजमी है. यदि नक्सली पेलोड ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सुरक्षाबलों को सतर्क होने की जरूरत है. क्योंकि नक्सली पेलोड ड्रोन के जरिए 10 से 30 किलो की आईईडी का इस्तेमाल सुरक्षाबलों के कैंपों पर कर सकते हैं.

किस्टाराम क्षेत्र है संवेदनशील
किस्टाराम इलाका नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में जाना जाता है. यहां आए दिन नक्सली वारदात होती रहती है. साल 2018 में नक्सलियों ने इसी इलाके में सुरक्षाबलों की एंटी लैंड व्हीकल को आईईडी विस्फोट कर उड़ाया था. जिसमें सीआरपीएफ के 9 जवान शहीद हुए थे.

सुकमा पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने इसे गंभीर और चिंता का विषय बताया है. उन्होंने कहा कि किस्टाराम इलाके में सीआरपीएफ कैंपों पर रोशनी देखी गई है. आशंका जताई जा रही है कि नक्सलियों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कथित ड्रोन का अलग—अलग एजेंसियों से जांच कराया जाएगा.

Intro:सुरक्षाबलों के लिए नई चिंता... सीआरपीएफ कैंपों के उपर उड़ रहे नक्सली ड्रोन...

सुकमा. सुकमा जिले में तैनाज सुरक्षाबलों के लिए नई चिंता का विषय है. नक्सलियों के बटालियन जोन में कहे जाने वाले किस्टाराम इलाके में नक्सली जवानोंं पर नजर रखने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेामल करने की खबर है. ऐसा है तो सुरक्षाबलों के लिए बेहद ही खतरनाक और गंभीर खबर है.

बताया जाता है कि इस माह के शुरूआत में पालोड़ी सीआरपीएफ कैंप के उपर एक अज्ञात रौशनी देखने को मिल रही है. करीब तीन रातों से घूम रही रौशनी ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिये हैं. जवान रौशनी को लगातार देख रहे है पता नहीं कर पा रहे हैे कि आखिर किस चीज की रोशनी है. अनुमाान लगाया जा रहा है कि संभवत: नक्सलियों द्वारा ड्रोन जैसी किसी उपकरण से सुरक्षा बलों पर नजर रखाी जा रही है. खास बात यह है कि कैंप के आस—पास घूम रहे इस उपकरण की लाईट तोे जल रही है पर उसमें कोई आवाज नहीं आ रही है.सीआरपीएफ अधिकारियों के अनुसार जिस तरह से रौशनी दिखाई पड़ रही है उससे ड्रोन कैमरे का शक हो रहा है.

Body:खुफिया विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गढ़चिरौली और दक्षिण बस्तर के माओवादियोंं द्वारा पेलोड ड्रोन खरीदने की खबर है. इस बात से अंदाजा लगा रहे हैं कि दक्षिण बस्तर में रात को आकाश में दिखने वाली रौशनी पेलाड ड्रोन की हो सकती है. सीआरपीएफ जवानों ने रात को अलग—अलग समय पर आसमान में रोशनी देखी है और ड्रोन को आमापेंटा की ओर जाते भी देखा है.

क्या है पेलोड ड्रोन...
संक्षेप में, पेलोड एक ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) है. इसमें ड्रोन के अतिरिक्त कुछ भी शामिल होता है - जैसे कि अतिरिक्त कैमरा, सेंसर या डिलीवरी के लिए पैकेज.
पेलोड ड्रोन कम से कम तीन किलो और अधिकतक 30 किलो का वजन ले कर उड़ सकते हैं. इस लिहाज से सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ना लाजमी है. यदि नक्सली पेलोड ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सुरक्षाबलों को सर्तक होने की जरूरत है. क्योंकि नक्सली पेलोड ड्रोन के जरिये 10 से 30 किलो की आईईडी का इस्तेमाल सुरक्षाबलोंं के कैंपो पर कर सकते हैं.

किस्टाराम क्षेत्र बटालियन का हाई रेड अलर्ट जोन...
जिले का किस्टाराम इलाका में माओवादियों के हाई अलर्ट जोन के रूप में जाना जाता है. यह इलाका माओवादियों के मिलिट्री बटालियन के अधिन है. वर्ष 2018 में माओवादियों ने इसी इलाके में सुरक्षाबलों की एंटी लैंड व्हीकल को आईईडी विस्फोट कर उड़ाया था जिसमें सीआरपीएफ के 9 जवान शहीद हुए थे.

Conclusion:सुकमा पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने इसे गंभीर व चिंता का विषय बताया है. उन्होने कहा कि किस्टाराम इलाके में सीआरपीएफ कैंपों पर रौशनी देखी है. आशंका जताई जा रही है कि नक्सलियों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होने बताया कि कथित ड्रोन की अलग—अलग एजेंसियोंं से जांच कराया जायेगा.
Last Updated : Oct 6, 2019, 1:24 PM IST
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