सुकमा : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हिंसा की घटनाओं में शामिल दो नक्सलियों ने सरेंडर किया है. नक्सलियों ने पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के सामने आत्मसमर्पण किया है. इससे पहले भी एक महिला नक्सली ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था.आत्मसमर्पित महिला नक्सली पर एक लाख का इनाम घोषित था.महिला नक्सली की पहचान हेमला गंगी के रूप में हुई थी. जो पिछले 12 सालों से प्रतिबंधित संगठन से जुड़ी थी.
नक्सलियों की खोखली विचारधारा को छोड़ा : पुलिस के अफसर की माने तो दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संघ (डीएकेएमएस) के सदस्य उइका मल्ला और मिलिशिया सदस्य सोदी हुंगा ने अमानवीय और खोखली माओवादी विचारधारा से निराशा जाहिर की है.इसके बाद गुरुवार को पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
जगरगुंडा और किस्टाराम इलाके में थे सक्रिय : दोनों लंबे समय से जिले के जगरगुंडा और किस्टाराम इलाकों में हिंसा की कई घटनाओं में शामिल थे. आत्मसमर्पण करने वाले लोगों ने पुलिस को बताया कि वे जिला पुलिस के नक्सल पुनर्वास 'पूना नार्कोम अभियान' (स्थानीय गोंडी बोली में गढ़ा गया एक शब्द, जिसका अर्थ है नई सुबह या नई शुरुआत) से प्रभावित थे.दोनों ही आत्मसमर्पित नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के अनुसार सुविधाएं प्रदान की जाएंगी.
पूना नार्कोम अभियान का दिख रहा असर: नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार ने नक्सल उन्मूलन अभियान चलाया है. इस अभियान को "पूना नार्कोम अभियान" नाम दिया गया है. इस अभियान के तहत सुकमा के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बैनर पोस्टर लगाने और ग्रामीणों से मिलकर नक्सलियों से आत्मसमर्पण करने के लिए अपील की जा रही है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत कई सुविधाएं दी जा रही हैं. ताकि वे दोबारा नक्सल संगठन की तरफ ना लौटे.