सुकमा: बाढ़ का पानी उतरने के बाद सुकमा जिले के किसानों की मुसीबतें और भी बढ़ गई है. पानी घटने के साथ तबाही का मंजर भी सामने आने लगा है. बाढ़ में हजारों एकड़ में लगी फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक बाढ़ से सुकमा जिले में करीब 1 हजार 5 सौ 70 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई है.
जिले में सबसे ज्यादा नुकसान धान और केले की फसल को ही हुआ है. जिले में हुए नुकसान का पूरा आंकड़ा अभी नहीं आया है. हालांकि विभागीय आंकड़े जमा किए जा रहे हैं. सुकमा के तहसीलदार आरपी बघेल ने बताया कि अभी सर्वे किया जा रहा है. इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा.
किसान लीज पर खेत लेकर करते हैं खेती
इस साल मानसून का साथ मिलने से धान की अच्छी पैदावार का अनुमान था. सुकमा के किसान इस बार अच्छी पैदावार की आस लगाए थे, लेकिन लगातार तीन बार आये बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है. बाढ़ से आए पानी ने खेतों में रेत और मलबा छोड़ दिया है. जिससे खेतों में लगी फसल बर्बाद हो गई है. किसान वेंकटरमना ने बताया कि लगातार तीन बार आई बाढ़ ने जिले में जमकर कहर बरपाया है. पहली बार आये बाढ़ के बाद किसी तरह रोपा लगा पाए थे, लेकिन तीसरी बार में रोपा भी खराब हो गया. अब इतना समय नहीं है कि फिर से रोपा लगाया जा सके. वेंकटरमना ने बताया कि कई किसान भूमि लीज पर लेकर खेती करते हैं. इस बार बाढ़ के चलते उन्हें ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
अति वर्षा से केले की फसल चौपट
बाढ़ के अलावा जिले में हुई अति वर्षा से केले की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. सुकमा के किसान अधिकांश भूसावाली और खरपुरा प्रजाति के केले की खेती करते हैं. लगातार हुई बारिश ने केले की फसल को बर्बाद कर दिया है. किसान शेख सुभान और शेख औलिया ने बताया कि भारी बारिश की वजह से केले की फसल अनजान बीमारी की चपेट में आ गई है. केले समय से पहले ही जमीन पर गिरने लगे हैं. किसानों का कहना है कि बाढ़ की वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है.
न बीमा मिला, न मुआवजा
जिले में बाढ़ से मछली पालन कर रहे किसानों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. जिला मुख्यालय में ही 46 एकड़ तालाब में मछली पालन में लगभग 30 से 40 लाख रुपये की नुकसान होने की बात कही जा रही है. बाढ़ का पानी तालाब के ऊपर से बहने से मछली भी बाढ़ के पानी के साथ बह गए हैं. जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. किसान सीताराम राजू ने बताया कि मछली पालन का कोई बीमा भी नहीं होता है. उन्होंने कहा कि पिछले साल अगस्त में आई बाढ़ से उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हुआ थे. हालांकि 9 महीने बाद 8 हजार प्रति हेक्टर के हिसाब से उन्हें सिर्फ 40 हजार रुपये का मुआवजा शासन की तरफ से मिला था, लेकिन ये मुआवजा नुकसान से बहुत कम है. इस नुकसान से वे उबर भी नहीं पाये थे कि इस साल भी बाढ़ से उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है.