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बाढ़ से सैकड़ों हेक्टेयर धान और केले की फसल बर्बाद, कर्ज में डूबे किसान

सुकमा जिले में बाढ़ का पानी निकलने से साथ किसानों की मुसीबतें बढ़ती जा रही है. पानी घटने के साथ तबाही का मंजर भी सामने आने लगा है. रिपोर्ट के मुताबिक बाढ़ से सुकमा जिले में करीब 1 हजार 5 सौ 70 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई है. इसके अलावा जिले में केले और मछली पालन में भी भारी नुकसान हुआ है.

केले की फसल बर्बाद
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Published : Aug 13, 2019, 5:59 PM IST

सुकमा: बाढ़ का पानी उतरने के बाद सुकमा जिले के किसानों की मुसीबतें और भी बढ़ गई है. पानी घटने के साथ तबाही का मंजर भी सामने आने लगा है. बाढ़ में हजारों एकड़ में लगी फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक बाढ़ से सुकमा जिले में करीब 1 हजार 5 सौ 70 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई है.

सैकड़ों हेक्टेयर धान और केले की फसल बर्बाद

जिले में सबसे ज्यादा नुकसान धान और केले की फसल को ही हुआ है. जिले में हुए नुकसान का पूरा आंकड़ा अभी नहीं आया है. हालांकि विभागीय आंकड़े जमा किए जा रहे हैं. सुकमा के तहसीलदार आरपी बघेल ने बताया कि अभी सर्वे किया जा रहा है. इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा.

किसान लीज पर खेत लेकर करते हैं खेती
इस साल मानसून का साथ मिलने से धान की अच्छी पैदावार का अनुमान था. सुकमा के किसान इस बार अच्छी पैदावार की आस लगाए थे, लेकिन लगातार तीन बार आये बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है. बाढ़ से आए पानी ने खेतों में रेत और मलबा छोड़ दिया है. जिससे खेतों में लगी फसल बर्बाद हो गई है. किसान वेंकटरमना ने बताया कि लगातार तीन बार आई बाढ़ ने जिले में जमकर कहर बरपाया है. पहली बार आये बाढ़ के बाद किसी तरह रोपा लगा पाए थे, लेकिन तीसरी बार में रोपा भी खराब हो गया. अब इतना समय नहीं है कि फिर से रोपा लगाया जा सके. वेंकटरमना ने बताया कि कई किसान भूमि लीज पर लेकर खेती करते हैं. इस बार बाढ़ के चलते उन्हें ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

अति वर्षा से केले की फसल चौपट
बाढ़ के अलावा जिले में हुई अति वर्षा से केले की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. सुकमा के किसान अधिकांश भूसावाली और खरपुरा प्रजाति के केले की खेती करते हैं. लगातार हुई बारिश ने केले की फसल को बर्बाद कर दिया है. किसान शेख सुभान और शेख औलिया ने बताया कि भारी बारिश की वजह से केले की फसल अनजान बीमारी की चपेट में आ गई है. केले समय से पहले ही जमीन पर गिरने लगे हैं. किसानों का कहना है कि बाढ़ की वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है.

न बीमा मिला, न मुआवजा
जिले में बाढ़ से मछली पालन कर रहे किसानों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. जिला मुख्यालय में ही 46 एकड़ तालाब में मछली पालन में लगभग 30 से 40 लाख रुपये की नुकसान होने की बात कही जा रही है. बाढ़ का पानी तालाब के ऊपर से बहने से मछली भी बाढ़ के पानी के साथ बह गए हैं. जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. किसान सीताराम राजू ने बताया कि मछली पालन का कोई बीमा भी नहीं होता है. उन्होंने कहा कि पिछले साल अगस्त में आई बाढ़ से उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हुआ थे. हालांकि 9 महीने बाद 8 हजार प्रति हेक्टर के हिसाब से उन्हें सिर्फ 40 हजार रुपये का मुआवजा शासन की तरफ से मिला था, लेकिन ये मुआवजा नुकसान से बहुत कम है. इस नुकसान से वे उबर भी नहीं पाये थे कि इस साल भी बाढ़ से उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है.

सुकमा: बाढ़ का पानी उतरने के बाद सुकमा जिले के किसानों की मुसीबतें और भी बढ़ गई है. पानी घटने के साथ तबाही का मंजर भी सामने आने लगा है. बाढ़ में हजारों एकड़ में लगी फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक बाढ़ से सुकमा जिले में करीब 1 हजार 5 सौ 70 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई है.

सैकड़ों हेक्टेयर धान और केले की फसल बर्बाद

जिले में सबसे ज्यादा नुकसान धान और केले की फसल को ही हुआ है. जिले में हुए नुकसान का पूरा आंकड़ा अभी नहीं आया है. हालांकि विभागीय आंकड़े जमा किए जा रहे हैं. सुकमा के तहसीलदार आरपी बघेल ने बताया कि अभी सर्वे किया जा रहा है. इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा.

किसान लीज पर खेत लेकर करते हैं खेती
इस साल मानसून का साथ मिलने से धान की अच्छी पैदावार का अनुमान था. सुकमा के किसान इस बार अच्छी पैदावार की आस लगाए थे, लेकिन लगातार तीन बार आये बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है. बाढ़ से आए पानी ने खेतों में रेत और मलबा छोड़ दिया है. जिससे खेतों में लगी फसल बर्बाद हो गई है. किसान वेंकटरमना ने बताया कि लगातार तीन बार आई बाढ़ ने जिले में जमकर कहर बरपाया है. पहली बार आये बाढ़ के बाद किसी तरह रोपा लगा पाए थे, लेकिन तीसरी बार में रोपा भी खराब हो गया. अब इतना समय नहीं है कि फिर से रोपा लगाया जा सके. वेंकटरमना ने बताया कि कई किसान भूमि लीज पर लेकर खेती करते हैं. इस बार बाढ़ के चलते उन्हें ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

अति वर्षा से केले की फसल चौपट
बाढ़ के अलावा जिले में हुई अति वर्षा से केले की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. सुकमा के किसान अधिकांश भूसावाली और खरपुरा प्रजाति के केले की खेती करते हैं. लगातार हुई बारिश ने केले की फसल को बर्बाद कर दिया है. किसान शेख सुभान और शेख औलिया ने बताया कि भारी बारिश की वजह से केले की फसल अनजान बीमारी की चपेट में आ गई है. केले समय से पहले ही जमीन पर गिरने लगे हैं. किसानों का कहना है कि बाढ़ की वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है.

न बीमा मिला, न मुआवजा
जिले में बाढ़ से मछली पालन कर रहे किसानों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. जिला मुख्यालय में ही 46 एकड़ तालाब में मछली पालन में लगभग 30 से 40 लाख रुपये की नुकसान होने की बात कही जा रही है. बाढ़ का पानी तालाब के ऊपर से बहने से मछली भी बाढ़ के पानी के साथ बह गए हैं. जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. किसान सीताराम राजू ने बताया कि मछली पालन का कोई बीमा भी नहीं होता है. उन्होंने कहा कि पिछले साल अगस्त में आई बाढ़ से उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हुआ थे. हालांकि 9 महीने बाद 8 हजार प्रति हेक्टर के हिसाब से उन्हें सिर्फ 40 हजार रुपये का मुआवजा शासन की तरफ से मिला था, लेकिन ये मुआवजा नुकसान से बहुत कम है. इस नुकसान से वे उबर भी नहीं पाये थे कि इस साल भी बाढ़ से उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है.

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डे प्लान स्टोरी...

बाढ़ ने चौपट की खेती-किसानी, कई हेक्टेयर धान और केले की फसल हुई बर्बाद...

सुकमा. जिले में बाढ़ का पानी उतरने के बाद किसानों की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं. पानी घटने के साथ तबाही का मंजर भी सामने आने लगा है बाढ़ में हजारों एकड़ में लगी फसलों को लील लिया है. एक रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ से जिले के करीब 1570 हेक्टेयर धान की फसल प्रभावित हुई है. सबसे ज्यादा नुकसान धान और केले की फसल को पहुंचा है. विभागीय आंकड़ा अभी एकत्र किया जा रहा है सुकमा तहसीलदार आरती बघेल ने बताया कि अभी सर्वे कार्य जारी है, जल्दी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा.

इस बार मानसून का साथ मिलने के कारण धान की अच्छी पैदावार होने का अनुमान था. जिले का अर्थ तंत्र धान की फसल पर ही निर्भर है. यहां के किसान इस बार अच्छी पैदावार की आस लगाए थे. लेकिन लगातार तीन बार आये बाढ़ ने किसानों की कमर ही तोड़ दी है. बाढ़ से आए पानी ने खेतों में रेत और मलबा छोड़ गया. जिससे फसल बर्बाद हो गई है. किसान वेंकटरमना ने बताया कि लगातार तीन बार आई बाढ़ ने जमकर कहर बरपाया है. पहली बार आये बाढ़ के बाद किसी तरह रोपा लगा पाए थे लेकिन तीसरी बार बार ने रोपा भी खराब हो गया. अब इतना समय भी नहीं है कि दुबारा रोपा लगाया जा सके.


Body: कई किसान लीज में करते हैं खेती...
किसान वेंकटरमना ने बताया कि कई किसान भूमि लीज में लेकर खेती करते हैं. इस बार बाढ़ के चलते उन्हें ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है. भूमि मालिक को किराया भी चुकता करना है. बाढ़ से आये नुकसान से लागत भी निकलना मुश्किल हो गया है.

बाढ़ की तबाही से केले की फसल चौपट...
बाढ़ के अलावा जिले में हुई अति वर्षा से केले की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. सुकमा के किसान अधिकांश भूसावाली और खरपुरा प्रजाति की खेती करते हैं. लगातार हुई बारिश ने केले की फसल को बर्बाद कर दिया है. किसान शेख सुभान और शेख औलिया ने बताया कि भारी बारिश की वजह से केले की फसल अनजान बीमारी की चपेट में आ गई है. केले समय से पहले ही जमीन पर गिरने लगे हैं. किसानों का कहना है कि बाढ़ की वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि मुनाफा तो दूर लागत की वसूली भी नहीं होगी.


Conclusion: बाढ़ में कई हेक्टर तालाब में डूबे मछली पालन कर रहे किसानों को लाखों का नुकसान खरीफ की फसल के अलावा मछली का पालन कर रहे किसानों को भी बाढ़ से बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है जिला मुख्यालय में सिर्फ 3 किसानों की 46 एकड़ तालाब दुकान की चपेट में आ गए इससे उन्हें लगभग 30 40 लाख रुपए का नुकसान होने की बात कही जा रही है बाढ़ का पानी तालाब के ऊपर से बहने से मछली भी बाढ़ के पानी के साथ बह गए जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है

न बीमा होता है और ना ही उचित मुआवजा मिलता है...
किसान सीताराम राजू ने बताया कि मछली पालन का बीमा करने कोई कंपनी आगे नहीं आती पिछले साल अगस्त में आई बाढ़ से उन्हें लाखों का नुकसान हुआ है 9 महीने के बाद 8 हजार प्रति हेक्टर के हिसाब से उन्हें सिर्फ ₹40 हजार का मुआवजा शासन की तरफ से मिला है वह इस नुकसान से उधर ही नहीं पाए थे कि दोबारा बाढ़ से उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है

बाइट 01 : नागु, किसान
बाइट 02 : वेंटक रमना, किसान
बाइट 03: कुम्हार, किसान
बाइट 04: शेख सुभान, किसान
बाइट 05 : शेख औलिया, किसान

बाइट 06: आरपी बघेल, तहसीलदार, सुकमा
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