सुकमाः छत्तीसगढ़ के नक्सल और दुर्गम इलाकों में अब स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से कुछ हद तक निजात मिलेगी. जिला प्रशासन ने धूर नक्सल प्रभावित इलाके में एक नई पहल कर ग्रामीणों को राहत भरी खबर दी है. मितानिन कार्यकर्ता इन इलाकों में ग्रामीणों का प्राथमिक तौर पर इलाज कर उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी हुई सलाह देंगी. इससे नक्सल इलाके में इलाज की कमी से होने वाली मौतों पर लगाम लगेगी. योजना की शुरुआत कलेक्टर चंदन कुमार ने इलाके में रोजाना स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए की है.
मितानिन कार्यकर्ताओं के भरोसे स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार करने की बात थोड़ी अजीब जरूर है लेकिन क्षेत्र की संवेदनशीलता और भौगोलिक परिस्थितियों को पहले समझना ज्यादा जरूरी है. जिले में लगातार नक्सलियों की एक्टिविटी होने की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं शून्य हैं. खास तौर पर कोंटा विकासखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की हालात बेहद दयनीय है. यहां मौसमी बीमारियों का इलाज हो पाना भी संभव नहीं है.
स्वास्थ्य सेवाओं में मिलेगा मदद
क्षेत्र संवेदनशील और रास्तों की कमी होने के कारण अंदर ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस सेवाएं पहुंच नहीं पाती है. इससे आपातकालीन स्थिति में मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भी पहुंच पाना चुनौती बन जाता है. सामान्य दिनों में ग्रामीण मरीज को साड़ी की झोली बनाकर या फिर खाट के सहारे स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचते हैं, लेकिन बारिश के मौसम में इलाके के नदी-नाले उफान पर रहते हैं, इस वजह से मरीज बिना इलाज के ही अपनी जान गवाने के लिए मजबूर होते हैं. ऐसी परिस्थितियों में मितानिन कार्यकर्ता ग्रामीणों की सर्दी-खांसी और मौसमी बीमारियों का प्राथमिक इलाज कर उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में मददगार साबित होंगे.
चयन कर, दिया जा रहा है प्रशिक्षण
जिला प्रशासन नक्सल प्रभावित क्षेत्र के 300 से ज्यादा आबादी वाले गांव में मितानिन कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करने जा रहा है. करीब ढाई सौ मितानिन इन इलाकों में अपनी सेवा देंगी. इसके लिए प्रशासन ने नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाली शिक्षित बेरोजगार युवतियों का चयन किया गया है. उन्हें मलेरिया,सर्दी-खांसी, बुखार और गर्भवती महिलाओं के बारीकी से इलाज करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
बेरोजगारों को मिलेगा रोजगार
कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जिले में दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां नक्सल गतिविधियां बहुत ज्यादा हैं. इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा पाना बहुत मुश्किल है और मितानिन भी नहीं हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए दूरस्त और नक्सल प्रभावित इलाकों से पढ़ी लिखी महिलाओं का चयन किया गया है. प्रथम चरण में 60 महिलाओं को प्रशिक्षण जिला मुख्यालय में आवासीय सुविधा के साथ दिया जा रहा है. प्राथमिक प्रशिक्षण देने के बाद सभी मितानिनों को मेडिकल किट के साथ उनके संबंधित गांव भेजा जाएगा. जहां पर वे मूल रूप से स्वास्थ्य सेवाएं देंगी.