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'लाल आतंक' की दहशत झेल रहे इलाकों में जीवन पहुंचाएंगी ये मितानिने - सर्दी-खांसी, बुखार और गर्भवती महिलाओं के बारीकी से इलाज

सुकमा के धूर नक्सली इलाकों में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए कलेक्टर ने मितानिनो की नियुक्ती की है. इससे इलाके में प्राथमिक इलाज देने में मदद मिलेगी.

लाल आतंक के इलाके में जीवन पहुंचाएंगी मितानिन
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Published : Sep 27, 2019, 10:36 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 11:49 AM IST

सुकमाः छत्तीसगढ़ के नक्सल और दुर्गम इलाकों में अब स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से कुछ हद तक निजात मिलेगी. जिला प्रशासन ने धूर नक्सल प्रभावित इलाके में एक नई पहल कर ग्रामीणों को राहत भरी खबर दी है. मितानिन कार्यकर्ता इन इलाकों में ग्रामीणों का प्राथमिक तौर पर इलाज कर उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी हुई सलाह देंगी. इससे नक्सल इलाके में इलाज की कमी से होने वाली मौतों पर लगाम लगेगी. योजना की शुरुआत कलेक्टर चंदन कुमार ने इलाके में रोजाना स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए की है.

लाल आतंक के इलाके में जीवन पहुंचाएंगी मितानिन

मितानिन कार्यकर्ताओं के भरोसे स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार करने की बात थोड़ी अजीब जरूर है लेकिन क्षेत्र की संवेदनशीलता और भौगोलिक परिस्थितियों को पहले समझना ज्यादा जरूरी है. जिले में लगातार नक्सलियों की एक्टिविटी होने की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं शून्य हैं. खास तौर पर कोंटा विकासखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की हालात बेहद दयनीय है. यहां मौसमी बीमारियों का इलाज हो पाना भी संभव नहीं है.

स्वास्थ्य सेवाओं में मिलेगा मदद
क्षेत्र संवेदनशील और रास्तों की कमी होने के कारण अंदर ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस सेवाएं पहुंच नहीं पाती है. इससे आपातकालीन स्थिति में मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भी पहुंच पाना चुनौती बन जाता है. सामान्य दिनों में ग्रामीण मरीज को साड़ी की झोली बनाकर या फिर खाट के सहारे स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचते हैं, लेकिन बारिश के मौसम में इलाके के नदी-नाले उफान पर रहते हैं, इस वजह से मरीज बिना इलाज के ही अपनी जान गवाने के लिए मजबूर होते हैं. ऐसी परिस्थितियों में मितानिन कार्यकर्ता ग्रामीणों की सर्दी-खांसी और मौसमी बीमारियों का प्राथमिक इलाज कर उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में मददगार साबित होंगे.

चयन कर, दिया जा रहा है प्रशिक्षण

जिला प्रशासन नक्सल प्रभावित क्षेत्र के 300 से ज्यादा आबादी वाले गांव में मितानिन कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करने जा रहा है. करीब ढाई सौ मितानिन इन इलाकों में अपनी सेवा देंगी. इसके लिए प्रशासन ने नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाली शिक्षित बेरोजगार युवतियों का चयन किया गया है. उन्हें मलेरिया,सर्दी-खांसी, बुखार और गर्भवती महिलाओं के बारीकी से इलाज करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

बेरोजगारों को मिलेगा रोजगार
कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जिले में दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां नक्सल गतिविधियां बहुत ज्यादा हैं. इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा पाना बहुत मुश्किल है और मितानिन भी नहीं हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए दूरस्त और नक्सल प्रभावित इलाकों से पढ़ी लिखी महिलाओं का चयन किया गया है. प्रथम चरण में 60 महिलाओं को प्रशिक्षण जिला मुख्यालय में आवासीय सुविधा के साथ दिया जा रहा है. प्राथमिक प्रशिक्षण देने के बाद सभी मितानिनों को मेडिकल किट के साथ उनके संबंधित गांव भेजा जाएगा. जहां पर वे मूल रूप से स्वास्थ्य सेवाएं देंगी.

सुकमाः छत्तीसगढ़ के नक्सल और दुर्गम इलाकों में अब स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से कुछ हद तक निजात मिलेगी. जिला प्रशासन ने धूर नक्सल प्रभावित इलाके में एक नई पहल कर ग्रामीणों को राहत भरी खबर दी है. मितानिन कार्यकर्ता इन इलाकों में ग्रामीणों का प्राथमिक तौर पर इलाज कर उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी हुई सलाह देंगी. इससे नक्सल इलाके में इलाज की कमी से होने वाली मौतों पर लगाम लगेगी. योजना की शुरुआत कलेक्टर चंदन कुमार ने इलाके में रोजाना स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए की है.

लाल आतंक के इलाके में जीवन पहुंचाएंगी मितानिन

मितानिन कार्यकर्ताओं के भरोसे स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार करने की बात थोड़ी अजीब जरूर है लेकिन क्षेत्र की संवेदनशीलता और भौगोलिक परिस्थितियों को पहले समझना ज्यादा जरूरी है. जिले में लगातार नक्सलियों की एक्टिविटी होने की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं शून्य हैं. खास तौर पर कोंटा विकासखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की हालात बेहद दयनीय है. यहां मौसमी बीमारियों का इलाज हो पाना भी संभव नहीं है.

स्वास्थ्य सेवाओं में मिलेगा मदद
क्षेत्र संवेदनशील और रास्तों की कमी होने के कारण अंदर ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस सेवाएं पहुंच नहीं पाती है. इससे आपातकालीन स्थिति में मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भी पहुंच पाना चुनौती बन जाता है. सामान्य दिनों में ग्रामीण मरीज को साड़ी की झोली बनाकर या फिर खाट के सहारे स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचते हैं, लेकिन बारिश के मौसम में इलाके के नदी-नाले उफान पर रहते हैं, इस वजह से मरीज बिना इलाज के ही अपनी जान गवाने के लिए मजबूर होते हैं. ऐसी परिस्थितियों में मितानिन कार्यकर्ता ग्रामीणों की सर्दी-खांसी और मौसमी बीमारियों का प्राथमिक इलाज कर उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में मददगार साबित होंगे.

चयन कर, दिया जा रहा है प्रशिक्षण

जिला प्रशासन नक्सल प्रभावित क्षेत्र के 300 से ज्यादा आबादी वाले गांव में मितानिन कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करने जा रहा है. करीब ढाई सौ मितानिन इन इलाकों में अपनी सेवा देंगी. इसके लिए प्रशासन ने नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाली शिक्षित बेरोजगार युवतियों का चयन किया गया है. उन्हें मलेरिया,सर्दी-खांसी, बुखार और गर्भवती महिलाओं के बारीकी से इलाज करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

बेरोजगारों को मिलेगा रोजगार
कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जिले में दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां नक्सल गतिविधियां बहुत ज्यादा हैं. इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा पाना बहुत मुश्किल है और मितानिन भी नहीं हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए दूरस्त और नक्सल प्रभावित इलाकों से पढ़ी लिखी महिलाओं का चयन किया गया है. प्रथम चरण में 60 महिलाओं को प्रशिक्षण जिला मुख्यालय में आवासीय सुविधा के साथ दिया जा रहा है. प्राथमिक प्रशिक्षण देने के बाद सभी मितानिनों को मेडिकल किट के साथ उनके संबंधित गांव भेजा जाएगा. जहां पर वे मूल रूप से स्वास्थ्य सेवाएं देंगी.

Intro:पॉजिटिव न्यूज़...

स्वास्थ विभाग की रीढ़ बनेंगी मितानिन कार्यकर्ता, जिले के धुर नक्सल क्षेत्र में देंगी सेवाएं...

सुकमा. छत्तीसगढ़ के अत्यंत नक्सल प्रभावित सुकमा जिले से राहत भरी खबर आ रही है।जिले के नक्सल व दुर्गम इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बहाल होने जा रही हैं। मितानिन कार्यकर्ता इन इलाकों में ग्रामीणों का प्राथमिक उपचार करेंगे। और ये सब हो रहा है जिले के कलेक्टर चंदन कुमार की पहल पर।

मितानिन कार्यकर्ताओं के भरोसे स्वास्थ्य सेवाये विस्तार की बात पर आप जरूर आश्चर्यचकित हो रहे होंगे, लेकिन आपको इस क्षेत्र के संवेदनशीलता और भौगोलिक परिस्थितियों को पहले समझना होगा। सुकमा जिला अत्यंत नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां स्वस्थ्य सेवाएं शून्य हैं। खासकर जिले के कोंटा विकासखंड में हालात बेहद दयनीय है। यहां मौसमी बीमारियों का इलाज भी संभव नहीं है।

क्षेत्र की संवेदनशीलता और पहुंच मार्ग नहीं होने के कारण इन इलाकों तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है। आपातकालीन स्थिति में मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। सामान्य दिनों में किसी तरह मरीज को साड़ी की झोली बनाकर या फिर खाट में लिटा कर स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचा पाते हैं। लेकिन बारिश में इलाके के नदी-नाले उफान पर रहते हैं। ऐसे में मरीज को अपनी जान गवाने के सिवा कोई रास्ता नही बचता।


Body:ऐसी परिस्थितियों के बीच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा ग्रामीणों को मिले ना मिले, पर मितानिन कार्यकर्ता सर्दी-खांसी, मलेरिया व अन्य मौसमी बीमारियों का उपचार कर मरीज को स्वस्थ कर सकेंगी। वहीं गंभीर मरीजों का प्राथमिक उपचार कर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में मदद भी करेंगी।

क्षेत्र के हालातों को देखते हुए जिला प्रशासन नक्सल प्रभावित क्षेत्र के 300 से ज्यादा आबादी वाले गांव में मितानिन कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करने जा रहा है। करीब ढाई सौ मितानिन इन इलाकों में अपनी सेवा देंगी। इसके लिए प्रशासन ने नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाली शिक्षित बेरोजगार युवतियों का चयन किया है। इन्हें जिला मुख्यालय स्थित पुराना कलेक्ट्रेट कार्यालय में बकायदा मितानिन की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। जिसमें मलेरिया सर्दी-खांसी बुखार और गर्भवती महिलाओं का उपचार करने की बारीकियां सिखाई जा रही हैं। जल्दी मितानिन ट्रेनिंग पूरी कर अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करेंगे।


Conclusion: सुकमा कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जिले में कई सारे ऐसे क्षेत्र हैं। जहां पर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना बहुत ही कठिन कार्य है। कसालपाड, दुलेड, डब्बाकोंटा सिलगेर जैसे दर्जनों गांव है, जहां नक्सल गतिविधियां चरम सीमा पर रहती हैं इन इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना मुश्किल है। यहां कोई भी मितानिन नहीं है। इन परिस्थितियों को देखते हुए ऐसे दूर दरस्त और नक्सल प्रभावित जगहों से पढ़ी लिखी महिलाएं। जो इस कार्य को करने के इच्छुक हैं, उनका चयन किया गया है। प्रथम चरण में 7 महिलाओं को प्रशिक्षण जिला मुख्यालय में आवासीय सुविधा के साथ दिया जा रहा है। प्राथमिक प्रशिक्षण देने के पश्चात संपूर्ण मेडिकल किट के साथ मितानिनो को उनके संबंधित गांव भेजा जाएगा। जहां पर वे मूल रूप से स्वास्थ्य सेवाएं देंगी।

बाइट 01: कुंजाम रामे, प्रशिक्षणार्थी
बाइट 02: पसम सिबा, प्रशिक्षणार्थी

बाइट 03: गीता बंजारे, मितानिन ट्रेनर
बाइट 04: चंदन कुमार, कलेक्टर सुकमा

नोट: कलेक्टर की बाइट रिपोर्टर app से भेजा हूँ....
Last Updated : Sep 27, 2019, 11:49 AM IST
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